जम्मू-कश्मीर में अब कैसे बन सकती है सरकार, यह हो सकती हैं संभावनाएं
जम्मू-कश्मीर में नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अब राज्य की राजनीतिक दिशा क्या होगी। क्या कोई संभावना है वहां किसी लोकतांत्रिक सरकार की। नवजीवन आपके सामने पेश कर रहा है कुछ विकल्प:
जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक हालात ने अचानक नाटकीय मोड़ ले लिया है। चार साल से पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी यानी पीडीपी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार चला रही बीजेपी ने गठबंधन खत्म करने का ऐलान कर दिया। इस फैसले से जहां राजनीतिक वर्ग सकते में आ गया वहीं पीडीपी भी आश्चर्यचकित है। बीजेपी के इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस्तीफा दे दिया है।
इस नाटकीय घटनाक्रम के बाद जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक दशा क्या होगी, इसे लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। गठबंधन खत्म करने का ऐलान करते हुए बीजेपी ने संकेत दिए कि राज्य में बिगड़ते हालात को काबू में करने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाना बेहतर विकल्प होगा। तो क्या जम्मू-कश्मीर राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ रहा है? या फिर कोई और संभावना है, जिससे लोकतांत्रिक तरीके से वहां सरकार चल सके।
सबसे पहले समझना होगा कि मौजूदा विधानसभा में पार्टियों की स्थिति क्या है, यानी किस पार्टी की कितनी सीटें हैं। 2014 में हुए चुनाव के नतीजों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीडीपी के पास 28, बीजेपी की 25, नेशनल कांफ्रेंस की 15 और कांग्रेस की 12 सीटें हैं। इसके अलावा पीपुल्स कांफ्रेंस की 2 और सीपीएम और पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम की पार्टी की एक-एक सीट है। इसके अलावा तीन निर्दलीय विधायक भी विधानसभा में हैं।
इन सीटों के आधार पर क्या संभावनाएं हैं, क्योंकि 87 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 44 सीटें चाहिए। तो क्या संभावित तस्वीरें बनती हैं, आइए देखते हैं।
तस्वीर -1: पीडीपी-कांग्रेस गठबंधन
पीडीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाएं और उन्हें तीन निर्दलीयों और सीपीएम का समर्थन मिले। पीडीपी के पास 28 सीटें हैं और कांग्रेस के पास 12 सीटें। बहुमत के लिए इन दोनों के साथ आने के बाद 4 और सीटों की जरूरत होगी, जिसे सीपीएम के एक और तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन से पूरा किया जा सकता है।
तस्वीर – 2 : नेशनल काफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन को पीडीपी का समर्थन
नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन करें और पीडीपी उन्हें बाहर से समर्थन करे। नेशनल कांफ्रेंस की 15 सीटें हैं और कांग्रेस की 12 सीटें। इस तरह उन्हें सरकार बनाने के लिए कम से कम 17 विधायकों का समर्थन चाहिए, जो पीडीपी के पास है।
तस्वीर -3 : पीडीपी-नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन
पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस मिलकर गठबंधन करें और कांग्रेस उन्हें बाहर से समर्थन दे तो बहुमत वाली सरकार बन सकती है। पीडीपी के 28 विधायक और नेशनल कांफ्रेंस के 15 विधायक मिलकर बहुमत के लगभग करीब यानी 43 सीटों तक पहुंच सकते हैं। ऐसी स्थिति में सिर्फ एक विधायक का और समर्थन चाहिए, जो सीपीएम, निर्दलीय या किसी और दल से लिया जा सकता है।
तस्वीर – 4 : नेशनल कांफ्रेंस-बीजेपी गठबंधन
एक तस्वीर यह भी संभव है कि नेशनल कांफ्रेंस और बीजेपी का गठबंधन हो और बाकी के 4 विधायकों का समर्थन हासिल किया जाए। नेशनल कांफ्रेंस के पास 15 सीटें हैं जबकि बीजेपी के पास 25। ऐसे में इस गठबंधन को बहुमत के लिए महज 4 सीटों की जरूरत होगी, जो निर्दलीय और अन्य से हासिल किया जा सकता है।
तस्वीर – 5 : राष्ट्रपति शासन, एमपी-राजस्थान के साथ चुनाव
बीजेपी ने फैसले का ऐलान करने वाली प्रेस कांफ्रेंस में संकेत दिए हैं कि राज्य के हालात के लिए राष्ट्रपति शासन बेहतर विकल्प है। ऐसे में हो सकता है कि केंद्र जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा दे। और इस साल नवंबर में होने वाले मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनावों के साथ जम्मू-कश्मीर में नए सिरे से चुनाव का ऐलान किया जाए।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता है।
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Published: 19 Jun 2018, 5:22 PM