जम्मू-कश्मीर: उमर अब्दुल्ला ने कहा- लोगों ने लड़ाई के लिए नहीं दिया वोट, नौकरियां और राज्य का दर्जा चाहते हैं लोग

उमर अब्दुल्ला ने कहा, "सरकार बनने दीजिए। मुझे लगता है कि केंद्र के साथ उचित संबंध जम्मू-कश्मीर के लिए अच्छे होंगे। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने लड़ाई के लिए वोट नहीं दिया है, उन्होंने वोट दिया है क्योंकि वे नौकरियां, राज्य का दर्जा चाहते हैं।"

फोटो: Getty Images
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नवजीवन डेस्क

जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा, "मैं आज जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने अपने मत का इस्तेमाल किया इस बात के बावजूद कि यहां 8-10 साल से लोकतंत्र को पनपने नहीं दिया गया। कश्मीर और जम्मू के पहाड़ी इलाकों में वोटरों ने इस साजिश को नाकाम किया है। मतदाताओं ने अपनी जिम्मेदारी निभाई। अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने काम के जरिए अपने आप को इन वोटों के काबिल साबित करें।"

जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल के हस्तक्षेप के सवाल पर उन्होंने कहा, "हमारे और दिल्ली में फर्क है। दिल्ली कभी रियासत रही नहीं या दिल्ली को रियासत बनाने का वादा किसी ने किया नहीं। हम एक रियासत थे। हमें रियासत का दर्जा देने का वादा किया गया था। यहां हुकूमत बनते ही कैबिनेट का पहला फैसला ये होगा कि वो एक संकल्प कैबिनेट की ओर से पास करें कि केंद्र को अब जम्मू-कश्मीर में रियासत का दर्जा दिया जाए।"


उमर अब्दुल्ला ने कहा, "सरकार बनने दीजिए। यह सीएम से पूछें जो निर्वाचित होंगे। मेरा सुझाव होगा कि नई दिल्ली के साथ समन्वय जरूरी है। केंद्र से लड़ने से हमारे मुद्दे और मुश्किलें हल नहीं होंगी, हम बीजेपी की राजनीति स्वीकार नहीं करेंगे और बीजेपी हमारी राजनीति स्वीकार नहीं करेगी, हमारी प्रतिद्वंद्विता रहेगी। मुझे लगता है कि केंद्र के साथ उचित संबंध जम्मू-कश्मीर के लिए अच्छे होंगे। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने लड़ाई के लिए वोट नहीं दिया है, उन्होंने वोट दिया है क्योंकि वे नौकरियां, राज्य का दर्जा चाहते हैं।"

गौरतलब है कि विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडिया’ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पहली चुनी हुई सरकार बनाएगा,जहां उसने विधानसभा चुनावों में 90 में से 49 सीट हासिल की हैं। पांच साल पहले संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए हैं।

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