कश्मीर में दहशत के बीच श्रीनगर में हुई सर्वदलीय बैठक, अब्दुल्ला-महबूबा ने आर्टिकल 35-ए पर मोदी सरकार को दी ये नसीहत
श्रीनगर में मीडिया से बात करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अनुच्छेद 35ए को जम्मू-कश्मीर से हटाने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि राज्य को मिले विशेष दर्जे को बचाने के लिए सभी को एक साथ आना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर में असमंजस और दहशत के माहौल के बीच श्रीनगर में राज्य की पार्टियों ने बैठक की। ये सर्वदलीय बैठक नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के घर पर हुई। फारूक अब्दुल्ला के घर हुई इस बठक में कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा की गई। बैठक खत्म होने के बाद फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती मीडिया से मुखातिब हुए। इस दौरान फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि घाटी में इतनी बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती से लोगों में दहशत का माहौल है। उन्होंने कहा कि इस तरह का माहौल घाटी में कभी नहीं रहा है। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ जब अमरनाथ यात्रा समय से पहले रोक दी गई हो।
मीडिया से बात करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अनुच्छेद 35-ए को जम्मू-कश्मीर से हटाने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि राज्य को मिले विशेष दर्जे को बचाने के लिए सभी को एक साथ आना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों से अपील की कि दोनों देश ऐसा कोई भी कदम न उठाएं, जिससे घाटी में तनाव बढ़े। गौरतलब है कि ये बैठक पहले श्रीनगर के किसी होटल में होने वाली थी, लेकिन होटलों में एक एडवाइजरी जारी की गई थी कि किसी भी पार्टी की बैठक को आयोजित न होने दिया जाए। यही वजह है कि ये सर्वदलीय बैठक फारूक अब्दुल्ला के घर पर हुई>
गौरतलब है कि घाटी में बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर घाटी में सरकार ने 40 हजार सुरक्षा बलों की तैनाती के बावजूद 10 हजार सैनिकों की अतिरिक्त तैनाती की थी। इसके बाद भी सरकार ने 25 हजार सुरक्षा बलों को घाटी में भेजा। यही नहीं सरकार ने सेना और वायुसेना को भी हाई अलर्ट पर रखा है। अचानक से अमरनाथ यात्रा को रोक दिया गया। अमरनाथ यात्रियों के साथ सैलानियों को सरकार ने घाटी से वापस बुला लिया था। सुरक्षा बलों की तैनाती के बीच खबरों में कहा जा रहा था कि सरकार जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35-ए को हटाने जा रही है। इन खबरों के बीच घाटी के राजनीतिक दलों के साथ स्थानीय लोगों में भी बेचैनी है। यही वजह है कि राज्य की सभी पार्टियों ने फारूक अब्दुल्ला के घर पर ये बैठक की और अपनी चिंता जाहिर की।
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