सोनू सूद पर छापे मारकर सरकार ने कराई अपनी किरकिरी! फिल्म जगत और दूसरे लोगों पर आखिर क्यों होती है ऐसी कार्रवाई !
छापों से क्या हासिल हुआ, इस बारे में संसद में कोई रिपोर्ट पेश नहीं की जाती इसलिए किसी को कुछ पता नहीं चलता । उदाहरण के लिए, सहारा समूह पर डाले गए आयकर छापों को लेकर भी कोई सूचना नहीं है।
फिल्मों को लेकर कई दशक से लेखन कर रहे सुभाष के झा ने अभी हाल में सोनू सोद से पूछा कि चार दिनों तक आयकर विभाग की पड़ताल और सर्वे के बाद वह कैसा महसूस कर रहे हैं, तो सूद ने कहाः ‘जबरदस्त, एकदम टॉप ऑफ द वर्ल्ड।’ झा बताते हैं कि सूद ने कहाः ‘चार दिनों बाद जब मैंने इंटरनेट और फोन का दोबारा इस्तेमाल किया, तो 53,000 ईमेल और 8,00,000 मैसेज थे। उनमें से किसी में नहीं कहा गया था कि ‘यह ठीक था।’’ लेकिन यह कहने पर कि यह सब उनके और उनके परिवार के लिए आघात पहुंचाने वाला तो रहा ही होगा, उन्होंने दार्शनिक अंदाज में कहा, ‘चलता है, सर। यह सिस्टम का हिस्सा है। वे अपना काम कर रहे थे जैसे मैं अपना करता हूं। अंततः हम सबको हमारा कर्म ही उत्तरदायी बनाता है।’
यह कहने पर कि संभवतः वह कामकाज से कुछ दिनों की छुट्टी ले रहे होंगे या कुछ दिन छुट्टियां बिताएंगे, उन्होंने कहा, ‘छुट्टियों का समय कहां है, सर? चार दिन जब मैं सब जगह से कटा हुआ था, सैकड़ों जरूरी अनुरोध जमा हो गए हैं। मुझे अपना काम जारी रखना होगा। जब मैं आपसे बात कर रहा हूं, मुझे देखने के इंतजार में सैकड़ों लोग बाहर खड़े हैं। वे मुझे देखकर भरोसा करना चाहते हैं कि मैं ठीक हूं। इसलिए आप समझ गए होंगे कि क्यों बहुत खुश हूं।’
सोनू सूद कलाकार और निर्माता तो हैं ही, अभी कोरोना काल में उन्होंने जिस तरह जनसेवा के कार्य किए हैं, उसने उन्होंने जन-जन के बीच पहुंचा दिया है। उन्होंने एक टीवी चैनल से कहा कि आयकर अधिकारियों ने कहा कि उन लोगों ने सूद के ऑफिस में जिस तरह की सावधानी से तैयार किए एकाउंटिंग और दस्तावेजी काम देखे, वैसा कम ही मिलता है। लेकिन तब भी विभाग ने सूद पर 20 करोड़ की टैक्स चोरी करने, विदेश से दान लेते हुए विदेशी अंशदान (विनियमन) कानून (एफसीआरए) का उल्लंघन करने और अप्रैल, 2021 से अब तक अपने चैरिटी फाउंडेशन के लिए 18.94 करोड़ अनुदान लेने तथा राहत कार्य में सिर्फ 1.7 करोड़ खर्च कर शेष 17 करोड़ बिना उपयोग किए रखे रहने का आरोप लगाया।
इस साल मार्च में कर चोरी के आरोप में मुंबई में फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप, कलाकार तापसी पन्नू, फैन्टम फिल्म्स और क्वान टैलेंट एजेंसी पर भी छापे डाले गए। कश्यप और पन्नू- दोनों सीएए, एनआरसी, कृषि-व्यापार कानूनों समेत कई मामलों पर सरकार की आलोचना करते रहे हैं।
लेकिन सूद को क्यों चुना गया? पिछले साल कोविड की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के दौरान पांव-पैदल अपने घर-गांव लौट रहे प्रवासी मजदूरों की उन्होंने जिस तरह मदद की थी, उसकी चतुर्दिक प्रशंसा हुई थी। स्पाइसजेट ने हाल में अपने विमान पर सूद की फोटो के साथ यह वाक्य लिखवाया थाः सैल्यूट टु द सेवियर सोनू सूद (बचाने वाले सोनू सूद को सलाम)।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र में लिखा कि भाजपा ने उनकी प्रशंसा की थी। उसने पूछा कि महा विकास अघाड़ी सरकार भी वही काम क्यों नहीं कर सकती जो सूद कर रहे हैं। दरअसल, भाजपा ने सूद को अपने आदमी के तौर पर दिखाना शुरू किया लेकिन जब सूद अरविंद केजरीवाल के शैक्षिक अभियान के लिए ब्रांड एम्बेसेडर बने, आयकर ने उन पर छापे डाल दिए।
फिल्म उद्योग में काम कर रहे लोग इस बात से तो सहमत हैं कि विभाग को जांच- पड़ताल और सर्वे करने का अधिकार है लेकिन वे पूछते हैं कि वह कौन-सा चश्मा है जिससे कुछ लोगों को इसके लिए चुन लिया जाता है। वे यह भी कहते हैं कि इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह बात है कि इनसे हासिल क्या हुआ। जब ‘निजी’ पीएम केयर्स फंड में किसी तरह की पारदर्शिता नहीं है, तब सूद की चैरिटी और उनके कथित तौर पर अनुपयोग किए गए फंड की इस तरह की जांच क्यों की जा रही है?
वैसे, आय कर विभाग में काम कर रहे एक अफसर ने भी चुटकी ली कि ‘आयकर छापे तेजी से सम्मान के बैज होते जा रहे हैं।’
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