ISRO ने आदित्य L-1 को सफलतापूर्वक किया लॉन्च, कांग्रेस बोली- फिर से देश का बढ़ाया मान, प्रियंका ने कहा- जय हिंद

प्रियंका गांधी ने ट्वीट करके कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज एक बार फिर से इतिहास रचा है। चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद अब सूर्य मिशन आदित्य L-1 की सफल लॉन्चिंग करके इसरो ने अंतरिक्ष में भारत की ताकत को स्थापित किया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान शनिवार सुबह भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण राकेट-सी57 (पीएसएलवी-सी57) के साथ रवाना हुआ। पीएसएलवी-एक्सएल संस्करण के रॉकेट ने 1,480.7 किलोग्राम वजनी आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान के साथ उड़ान भरी,  जो सौर गतिविधियों का अध्ययन करेगा। 321 टन वजनी 44.4 मीटर लंबा पीएसएलवी-सी57 रॉकेट सुबह 11.50 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से आदित्य-एल1 के साथ रवाना हुआ।  

अपनी पूंछ पर एक मोटी नारंगी लौ के साथ धीरे-धीरे आसमान की ओर बढ़ते हुए, रॉकेट ने गड़गड़ाहट के साथ गति प्राप्त की और एक मोटा गुबार छोड़ते हुए ऊपर और ऊपर चला गया। दिलचस्प बात यह है कि यह मिशन  भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए सबसे लंबे मिशनों में से एक है।

वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट करके कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज एक बार फिर से इतिहास रचा है। चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद अब सूर्य मिशन आदित्य L-1 की सफल लॉन्चिंग करके इसरो ने अंतरिक्ष में भारत की ताकत को स्थापित किया है। इसरो की पूरी टीम और सभी देशवासियों को शुभकामनाएं। जय हिंद।


कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा कि ISRO ने देश को गौरवान्वित होने के अनेक मौके दिए हैं। चंद्रयान-3 के बाद ISRO ने आदित्य L-1 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर फिर से देश का मान बढ़ाया है।  देश के वैज्ञानिकों की इस अभूतपूर्व उपलब्धि पर समस्त कांग्रेस परिवार को गर्व है। ISRO की पूरी टीम को शुभकामनाएं।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “आज आदित्य-L1 का लॉन्च होना‌ ISRO और भारत के लिए एक और शानदार उपलब्धि है। ISRO को एक बार फिर सलाम करते हुए, इसकी निरंतरता को समझने के लिए आदित्य-L1 की हाल की टाइमलाइन को याद करना सही होगा।

  • 2006: एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ़ इंडिया और इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज के वैज्ञानिकों ने एक उपकरण के साथ सौर वेधशाला के कंसेप्ट का प्रस्ताव रखा।

  • मार्च 2008: वैज्ञानिकों ने ISRO के साथ इस प्रस्ताव को साझा किया।

  • दिसंबर 2009:  ISRO ने एक उपकरण के साथ आदित्य-1 परियोजना को मंजूरी दी

  • अप्रैल 2013: पूर्व अध्यक्ष UR राव के प्रमुख हस्तक्षेप के बाद ISRO ने एक "अवसर की घोषणा" जारी की, जिसमें वैज्ञानिक समुदाय से अधिक वैज्ञानिक उपकरणों (पेलोड) के प्रस्तावों की मांग की गई।

  • जून 2013: ISRO ने प्राप्त वैज्ञानिक प्रस्तावों की समीक्षा की।

  • जुलाई 2013: ISRO ने आदित्य-1 मिशन के लिए सात पेलोड का चयन किया, जिसका अब नाम बदलकर आदित्य-L1 मिशन कर दिया गया है।

  • नवंबर 2015: ISRO ने औपचारिक रूप से आदित्य-L1 को मंजूरी दी।

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Published: 02 Sep 2023, 2:00 PM