इस्लामिक विद्वान मौलाना राबे हसनी नदवी का निधन, लंबे समय से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के थे अध्यक्ष
मौलाना राबे हसनी नदवी वयोवृद्ध इस्लामिक विद्वान थे। वह लंबे समय से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष और लखनऊ में इस्लामी शिक्षा के सबसे बड़े केंद्र नदवतुल उलेमा के अध्यक्ष थे। उन्हें दुनिया के 500 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों में शामिल किया गया था।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी का गुरुवार को निधन हो गया। मौलाना राबे हसनी नदवी ने 93 वर्ष की उम्र में लखनऊ के डालीगंज स्थित नदवा मदरसे में आखिरी सांस ली। पिछले लंबे समय से उनकी तबीयत खराब थी। हाल में उन्हें इलाज के लिए रायबरेली से लखनऊ लाया गया था।
मौलाना राबे हसनी नदवी देश के वयोवृद्ध इस्लामिक विद्वान थे। वह लंबे समय से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष और लखनऊ में इस्लामी धार्मिक शिक्षा के महत्वपूर्ण केंद्र- नदवतुल उलेमा के अध्यक्ष थे। वह मुस्लिम वर्ल्ड लीग के संस्थापक सदस्य और आलमी राबिता अदब-ए-इस्लामी, रियाद (केएसए) के उपाध्यक्ष भी थे। उन्हें दुनिया के 500 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों में सूचीबद्ध किया गया था।
मौलाना राबे हसनी नदवी का जन्म 1 अक्टूबर 1929 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था। राबे हसनी नदवी ने रायबरेली में ही अपने परिवार के मकतब से प्राथमिक शिक्षा हासिल की और उच्च अध्ययन के लिए दारुल उलूम नदवतुल उलमा में दाखिल हो गए। साल 1949 में शिक्षा पूरी करने के बाद उन्हें दारुल उलूम नदवतुल उलेमा में ही सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्ती मिल गई।
इसके बाद वह इस्लामिक शिक्षा और अध्यापन से ही जुड़ गए। साल 1993 में उन्हें दारुल उलूम नदवतुल उलेमा का मुहतमिम (वाइस चांसलर) नियुक्त किया गया। इसके 1999 में उन्हें नदवा का चांसलर नियुक्त किया गया। जून 2002 में हैदराबाद में हजरत मौलाना काजी मुजाहिदुल इस्लाम कासमी के निधन के बाद उन्हें सर्वसम्मति से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का अध्यक्ष चुना गया। तब से वह इस पद पर थे। अरबी भाषा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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