पंजाब में फ्लाइओवर पर पीएम की कार रोके रखकर क्या एसपीजी ने ब्लू बुक नियमों की अनदेखी की, क्या दाल में कुछ काला है!
एसपीजी के एक पूर्व अधिकारी का कहना है कि एसपीजी की ब्लू बुक में पीएम की सुरक्षा के हर पहलू का विस्तृत ब्योरा होता है कि हर स्थिति में पीएम की कैसे सुरक्षा करनी है। इसीलिए फ्लाइओवर पर पीएम के काफिले का एक भीड़ के नजदीक रुका रहना चौंकाता है और लगता है कि दाल में कुछ काला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान हुई कथित सुरक्षा चूक को लेकर बीजेपी ने हो-हल्ला मचा रखा है। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री को पंजाब के फिरोजपुर में एक रैली में शामिल होना था। इसके लिए उन्हें बठिंडा एयरपोर्ट से हैलीकॉप्टर द्वारा रैली स्थल पर जाना था। लेकिन, बारिश और मौसम खराब होने के कारण जब पायलट ने हैलीकॉप्टर उड़ाने से इनकार कर दिया तो अचानक प्रधानमंत्री के काफिले को सड़क के रास्ते से फिरोजपुर ले जाने का फैसला किया गया। बठिंडा से फिरोजपुर की दूरी करीब 100 किलोमीटर है और इस दूरी को तय करने में कम से कम 2 घंटे लगने वाले थे। सिर्फ आधे घंटे के नोटिस पर सड़क के रास्ते में प्रधानमंत्री का काफिला सड़के के रासते निकल पड़ा, लेकिन इस रास्ते पर पहले से ही प्रदर्शन कर रहे किसानों ने रास्ता ब्लॉक कर रखा था, जिसके चलते प्रधानमंत्री को वापस लौटना पड़ा।
मैं जिंदा लौट आया...बयान की अभी तक पुष्टि नहीं!
बीजेपी ने इसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक बताते हुए हंगामा खड़ा कर रखा है और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस बाबत पंजाब सरकार से जवाब तलब किया है। इतना ही नहीं न्यूज एजेंसी ने प्रधानमंत्री के एक कथित जुमले को भी जारी किया जिसमें बताया गया कि एयरपोर्ट से रवाना होते वक्त पीएम ने अधिकारियों से कहा कि, “अपने सीएम को थैंक्यू बोलना कि मैं बठिंडा जिंदा वापस आ गया...” इस जुमले की पुष्टि न तो अभी तक पीएमओ ने की है और न ही बीजेपी ने। लेकिन इस जुमले से जो बात निकल कर सामने आती है कि पूरे मामले को एक साजिश करार देने की कोशिश की जा रही है।
मामले के तूल पकड़ने पर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने न सिर्फ इस मामले में सफाई पेश की बल्कि प्रधानमंत्री के बिना रैली जाए वापस जाने पर खेद भी जताया। उन्होने कहा कि अगर जरूरत पडती तो प्रदानमंत्री के जीवन के लिए वह अपनी जान भी कुर्बान कर देते।
लेकिन प्रधानमंत्री को तो किसी भी समय कोई भी खतरा था ही नहीं। सीएम ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को तो जब पता चला कि रैली में बहुत ही कम लोग आए हैं तो उन्होंने खुद ही वापस जाने का फैसला किया।
कैसे वायरल हुए फ्लाइओवर पर पीएम के काफिले के फोटो?
इस मामले पर एक पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा कि बड़ा सवाल है कि प्रधानमंत्री का काफिले के पास निश्चित रूप से कुछ लोग आ गए थे, जैसा कि कुछ फोटो से साफ हो रहा है, और इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) में वरिष्ठ पद पर काम कर चुके इस अधिकारी ने कहा कि, “दूसरे मुद्दों की बात करने से पहले मैं इस बात पर हैरान हूं कि आखिर ये सारे फोटो सार्वजनिक कैसे हो गए? इन फोटो को किसने खींचा? और फिर इन फोटो को आम लोगों तक किसने पहुंचाया? यह को संयोग नहीं हो सकता क्योंकि हर ऐंगल से फोटो खींचे गए हैं।”
कोई फोटोग्राफर पीएम की कार के इतना नजदीक कैसे पहुंचा!
इस अधिकारी ने मामले की संवेदनशीलता देखते हुए अपना नाम बताने से इनकार कर दिया, इसके अलावा एसपीजी में काम कर चुके अधिकारियों को एसपीजी एक्ट के तहत मीडिया से बात करने की इजाजत नहीं होती है। हालांकि यह अधिकारी अब एसपीजी का हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने कहा, “यह ऐसा मामला नहीं है जहां एक सरकारी फोटोग्राफर घटनाओ को कैमरे में कैद कर रहा होता है। एसपीजी अधिकारियों या जवान तो ऐसे फोटो खींचेगे नहीं, और अगर मान भी लें कि किसी राह चलते ने इन फोटो को खींचा है, तो आखिर एसपीजी ने इस फोटोग्राफर को इतना करीब कैसे आने दिया, क्योंकि नियामनुसार तो यह प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक का मामला बन जाता?” इस अधिकारी ने कहा कि, “इसी से लगता है कि इस मामले में दाल में कुछ काला जरूर है।”
उन्होंने एसपीजी की ब्लू बुक का हवाला दिया जिसमें एक एक बात साफ की गई है कि किसी भी समय और परिस्थिति में प्रधानमंत्री की सुरक्षा किस तरह सुनिश्चित की जानी है, और इसमें कोई भी खामी या कमोबेशी नहीं होती है।
इस अधिकारी ने कहा कि, “जब प्रधानमंत्री पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक यात्रा पर होते हैं, तो एसपीजी ही उनकी यात्रा का सारा विवरण तैयार करती है जिसमें मिनट-दर-दम मिनट प्रधानमंत्री के मूवमेंट का ब्योरा होता है, और इसे उन लोगों को दिया जाता है जो इस पूरे कार्यक्रम को बिना रुकावट के पूरा कराने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इस ब्योरे में अन्य बातों के अलावा सभी सुरक्षा इंतजामों और सुरक्षा बलों या जवानों की तैनाती का भी विवरण रहता है। पंजाब के मामले में भ इस ब्योरी की एक प्रति पंजाब के मुख्य सचिव को भेजी गयी होगी जो कि राज्य सरकार का सबसे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी होता है।”
मौसम विभाग ने तो पहले ही दे दी होगी मौसम खराब होने की जानकारी!
इस अधिकारी ने कहा कि, “इस मामले में भी मुझे लगता है कि एक विस्तृत ब्योरा 4 जनवरी को तैयार कर पंजाब के मुख्य सचिव को भेजा गया होगा। इस ब्योरे में साफ तौर पर लिखा गया होगा कि प्रधानमंत्री भठिंडा एयरपोर्ट से एमआई-17 हैलीकॉप्टर द्रा फिरोजपुर जाएंगे। लेकिन एसपीजी की ब्लू बुक के मुताबिक मौसम विभाग से उस इलाके के मौसम का पूर्वानुमान विस्तार में लिया गया होगा जहां-जहां प्रधानमंत्री को जाना था। मौसम विभाग की इस रिपोर्ट में साफ लिखा होगा कि बुधवार को बठिंडा और फिरोजपुर और उसके आसपास के इलाकों में मौसम खराब रहेगा।” इस अधिकारी ने कहा कि “इस बारे में आजकल हर उस व्यक्ति को पता लग जाता है जिसके पास स्मार्ट फोन है। तो यह तो नहीं कहा जा सकता कि एसपीजी अधिकारी मौसम में एकाएक आए बदलाव से चौंक गए होंगे।“
आखिर क्या था कंटिंजेसी प्लान!
उन्होंने बताया कि, “ब्लू बुक में यह भी स्पष्ट होता है कि किसी भी कारण से अगर यात्रा में कोई भी अचानक बदलाव होता है तो इसका कंटिंजेंसी प्लान क्या होता है या क्या होना चाहिए। वैसे भी एसपीजी ने इस विकल्प को तो रखा ही होगा कि अगर हैलीकॉप्टर से प्रधानमंत्री नहीं जाते हैं तो वे सड़क के रास्ते जा सकते हैं। तो प्रोटोकॉल के मुताबिक एसपीजी को पंजाब के डीजीपी को सूचित करना होता है जिससे कि रास्ते को सुरक्षित और संरक्षित किया जा सके।”
“और फिर डीजीपी को एसपीजी को यह आश्वस्त करना होगा कि रास्ता संरक्षित कर लिया गया है और प्रधानमंत्री के रास्ते पर सभी जरूरी इंतजाम कर दिए गए हैं। इस आश्वासन के बिना एसपीजी एक इंच भी प्रधानमंत्री को आगे नहीं जाने देगी। अगर डीजीपी को सूचना दी गई थी और उन्होंने आश्वासन दिया था तो डीजीपी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। पूरा घटनाक्रम दरअसल क्या हुआ इसका खुलासा तो पूरी जांच के बाद ही हो पाएगा।”
पायलट कार ने क्यों नहीं दी रास्ता ब्लॉक होने की जानकारी!
इस अधिकारी ने कहा कि, “जब भी प्रधानमंत्री मूवमेंट होता है या उनका काफिला चलता है तो आगे एक एडवांस वार्निंग पायलट वाहन जरूर कुछ दूरी पर आगे चलता है। तो इस वाहन ने तो नोटिस कर ही लिया होगा कि प्रधानमंत्री जिस रास्ते से आ रहे हैं उस पर दिक्कत है। और अगर अचानक से भीड़ रास्ते पर आ गई है तो उसकी सूचना तो एडवांस वार्निंग पायलय वाहन ने तुंरत एसपीजी को दी होगी और इसके बाद काफिला तुरंत रुक गया होगा। तो फिर प्रधानमंत्री के वाहन को फ्लाइओवर पर ले जाने की क्या जरूरत थी। और फिर ऐसी जगह पर 15-20 मिनट तक इंतजार करने की क्या जरूरत थी जहां सामने ही भीड़ नजर आ रही थी?”
उन्होंने कहा, “मान भी लिया कि जैसा दावा किया जा रहा है कि पंजाब पुलिस से संपर्क नहीं हो पा रहा था जो कि अपने आप में अनोखी सी बात है क्योंकि इलाके का एसएसपी तो खुद ही इस काफिले का हिस्सा रहा होगा, तो फिर तुरंत ही प्रधानमंत्री की कार को वापस क्यों नहीं मोड़ा गया? आखिर इंतजार किस बात का किया गया? और इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि फोटोग्राफ में साफ दिख रहा है कि एसपीजी जवान पीएम की कार को चारों तरफ से कवर किए हुए हैं, लेकिन कार का फ्रंट एकदम खाली है। ऐसा क्यों है, इसका जवाब तो एसपीजी को देना होगा कि आखिर ऐसा क्यों हुआ, क्योंकि प्रोटोकॉल के मुताबिक यह नहीं होना चाहिए।”
आखिर एसपीजी के 'जीरो एरर' सिद्धांत का क्या हुआ!
उन्होंने कहा, “कुल मिलाकर बात यह है कि एक जांच से ही पता चल सकता है कि आखिर हुआ क्या? पंजाब पुलिस का काम था कि रास्ते को संरक्षित करना और पूरे सुरक्षा इंतजामों में कोई कमी नहीं आ देना। एसपीजी एक्ट की धारा 14 के मुताबिक राज्य सरकार समेत सभी एजेंसियों को एसपीजी डायरेक्टर या ग्रुप के मेंबर का सहयोग करना होगा जब भी जरूरत पड़े, या फिर उसे सौंपी गई जिम्मेदारी या काम में कोई बढ़ोत्तरी की जाए।”
इस अधिरारी ने कहा कि, “बहरहाल, शून्य दोष यानी जीरो एरर के सिद्धांत पर काम करने वाली एसीपी इस मामले में चूक करत हुई दिख रही है और जिम्मेदारी भी उसी की है। 3000 जवानों के बल वाली ऐसी एजेंसी जिसका सालाना बजट 590 करोड़ हो और जिसकी जिम्मेदारी हर समय प्रधानमंत्री की सुरक्षा को सुनिश्चित करना हो, तो जवाब भी उसे ही देना होगा।“
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