क्या संघ प्रमुख भागवत ने विपक्षी दलों को कुत्ता कहा? प्रकाश अंबेडकर और ओवैसी ने उठाए सवाल
अमेरिका में विश्व हिंदू कांग्रेस में संघ प्रमुख मोहन भागवत के शेर और कुत्ते वाले बयान को लेकर सियासी विवाद खड़ा हो गया है। भारिप बहुजन महासंघ के नेता प्रकाश अंबेडकर और एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने मोहन भागवत के इस बयान पर कड़ा ऐतराज जताया है।
राष्ट्रीय स्वंय संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने क्या विपक्षी दलों की तुलना कुत्ते से की है? यह सवाल भारिप बहुजन महासंघ के नेता प्रकाश अंबेडकर और एआईएमआईएम के नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने उठाया है। दोनों नेताओं ने इसे संघ की विचारधारा बताए हुए इस बयान की कड़ी आलोचना की है।
भारिप बहुजन महासंघ के नेता और संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर के पौत्र प्रकाश अंबेडकर ने भी विश्व हिंदू कांग्रेस में दिए गए मोहन भागवत के बयान की कड़ी निंदा की है। अंबेडकर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 'कुत्ते' का जिक्र यहां देश के विपक्षी दलों के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि वह भागवत की इस मानसिकता की आलोचना करते हैं, जिसमें उन्होंने विपक्षी पार्टियों का जिक्र कुत्ते के रूप में किया है। प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि पार्टियां सत्ता में आती-जाती रहती हैं, लेकिन इस तरह की मानसिकता सत्तापक्ष की सोच जाहिर करती है कि विपक्ष उनसे लड़ नहीं सकता। अंबेडकर ने कहा कि कि उन्हें सत्ता में फिर से बैठाने से पहले जनता को पुन: विचार करना चाहिए।
वहीं एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर हमला बोलते हुए मोहन भागवत को निशाने पर लिया है। ओवैसी ने कहा कि भारत के संविधान में सभी को इंसान के रूप में देखा गया है। इसमें किसी को भी शेर या कुत्ते के रूप में नहीं कहा गया है। संघ के साथ यही परेशानी है कि वह भारत के संविधान को नहीं मानता। संघ की विचारधारा ही ऐसी है। इसमें वे खुद को शेर और बाकी सभी को कुत्ता समझते हैं। वे खुद को शक्तिशाली और दूसरों को कमजोर समझते हैं, लेकिन हमारे संविधान में सभी को बराबरी का दर्जा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि उन्हें भागवत के इस बयान से उन्हें तनिक भी हैरानी नहीं हुई है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि आरएसएस पिछले 90 वर्षों से इसी तरह की भाषा का इस्तेमाल करता रहा है। देश की जनता उन्हें इस बार सबक सिखाएगी। बता दें कि ओवैसी हमेशा से संघ की विचारधारा पर हमलावर रहे हैं। बीजेपी के सत्ता में आने के बाद उनके हमले कुछ ज्यादा ही तेज हो गए हैं।
मोहन भागवत ने शुक्रवार को अपने संबोधन में कहा था कि हिंदुओं को प्रभुत्व की कोई आकांक्षा नहीं है और समुदाय तभी समृद्ध होगा जब वह एक समाज के रूप में काम करेगा। उन्होंने कहा था कि “अगर एक शेर अकेला है तो जंगली कुत्ते आक्रमण करके शेर को खत्म कर सकते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए।” भागवत ने कहा कि हम दुनिया को बेहतर बनाना चाहते हैं. हमें प्रभुत्व की कोई आकांक्षा नहीं है. हमारा प्रभाव विजय अथवा औपनिवेशीकरण का परिणाम नहीं है.
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