दुनिया में घटी महंगाई, लेकिन भारत में बढ़ी, तेल, मूंगफली से कॉटन तक हुए सस्ते, पर देश में लगी है आग
विशेषज्ञों के अनुसार मुख्य रूप से डॉलर के मुकाबले रुपये में आई गिरावट के चलते घरेलू बाजार में आयातित वस्तुओं की कीमतें कम नहीं हो पा रही हैं। इसके अलावा घरेलू बाजार में वस्तुओं की खपत बढ़ना भी दाम बढ़ने की एक वजह है।
भारत में इस साल जनवरी में गैस, खाद्य वस्तु, कॉफी-चाय, कॉटन से लेकर खाने के तेल जैसी चीजों के दाम दोगुने तक बढ़ गए, लेकिन ठीक इसी दौरान दुनिया के बाजारों में इन सबके दाम 48% तक घट गए। पिछले महीने देश की खुदरा महंगाई दर एक बार फिर बढ़कर 6.5 फीसदी तक पहुंचने की एक अहम वजह यह भी रही। जबकि ठीक एक-दो महीने पहले बीते साल नवंबर-दिसंबर में महंगाई दर 6% से नीचे रही थी।
उदाहरण के तौर पर देखें तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्राकृतिक गैस के दाम के मामले में सबसे ज्यादा अंतर देखा गया। बीते माह जहां विश्व बाजार में इसकी कीमत में 28.6 फिसदी की गिरावट आई, वहीं घरेलू बाजार में इसके दाम 95 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गए। वहीं इस दौरान कॉटन के दाम भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में 24.1% घटे, लेकिन घरेलू बाजार में 8.6% तक बढ़ गए। इसी तरह वैश्विक बाजार में बीते माह यूरिया के भाव सबसे ज्यादा 47.6 फीसदी तक घटे, लेकिन भारतीय बाजार में इसकी थोक महंगाई दर 5.2% बढ़ गई।
रिपोर्ट के अनुसार ओरिगो कमोडिटीज इंडिया के सीनियर मैनेजर इंद्रजीत पॉल का कहना है कि इस साल बाजार में कॉटन की आवक 40% तक कम है। दाम और बढ़ने की आस में किसानों ने ही फसल रोक रखी है। इसके अलावा मूंगफली का उत्पादन ही बीते सीजन से इस साल 16.4% कम हुआ है। इन दोनों के दाम में बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह यही दिख रही है।
वहीं केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक, मुख्य रूप से डॉलर के मुकाबले रुपये में आई गिरावट के चलते घरेलू बाजार में आयातित वस्तुओं की कीमतें कम नहीं हो पा रही हैं। इसके अलावा घरेलू बाजार में वस्तुओं की खपत बढ़ना भी दाम बढ़ने की एक वजह है। एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा का कहना है कि भारत खपत का करीब 60% प्राकृतिक गैस आयात करता है। लेकिन देश में आने के बाद इसे दोबारा गैस में तब्दील करना पड़ता है, जिसमें काफी खर्च होता है। इसीलिए भारत और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में बड़ा फर्क होता है।
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