मध्य प्रदेश में औद्योगिक कॉरिडोर से तय होगा विकास का सफर, लोगों की बढ़ी उम्मीदें, जानें क्या है DMIC
दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर के निर्माण से मध्य प्रदेश सीधे तौर पर लाभ मिलने वाला है। कॉरिडोर के दोनों ओर विकसित होने वाली इंडस्ट्रियल टाउनशिप में से एक मध्य प्रदेश में भी विकसित हो रही है।
दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (डीएमआईसी) एक ऐसी महत्वाकांक्षी परियोजना है जो देश के कई महत्वपूर्ण राज्यों से गुजरेगी। ऐसे में न केवल इन राज्यों बल्कि आसपास के कुछ अन्य राज्यों के पास भी यह अवसर होगा कि वे इस कॉरिडोर से मिलने वाली सुविधाओं का फायदा उठा सकें। यह अवसर केवल उद्योगपतियों और कंपनियों के लिए नहीं बल्कि इन राज्यों के लोगों के लिए भी हैं। उनके लिए इस कॉरिडोर के आसपास विकसित होने वाली औद्योगिक टाउनशिप में रोज़गार के अपार अवसर होंगे। एक छोटे-मोटे शहर की तरह विकसित होने वाली इन औद्योगिक टाउनशिप में लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार काम मिलना तय है। मध्य प्रदेश विशालकाय इंडस्ट्रियल टाउनशिप इस परियोजना का हिस्सा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ इस परियोजना को लेकर जितने उत्साहित हैं, उसे देखकर प्रदेश की जनता के मन में भी उम्मीदें बहुत बढ़ गयी हैं।
क्या है डीएमआईसी?
डीएमआईसी की बात करें तो 9000 करोड़ डॉलर से विकसित किया जा रहा यह कॉरिडोर पूरे देश के विकास के लिए बहुत मायने रखता है। यह कॉरिडोर उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरेगा लेकिन मध्यप्र देश के आर्थिक विकास में भी इसकी अहम भूमिका होने वाली है। 1483 किलोमीटर लंबाई वाले इस कॉरिडोर के प्रभाव क्षेत्र में मध्यप्रदेश की 372 वर्ग किलोमीटर भू-भाग वाली इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप बस रही है। यह बहुत बड़ा इलाका है। इसके माध्यम से मध्य प्रदेश की आर्थिक तस्वीर में आमूलचूल बदलाव देखने को मिल सकता है। निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इस इंडस्ट्रियल टाउनशिप तक सड़क-हवाई अथवा रेल मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग- 3 (आगरा-मुंबई) इसे सड़क मार्ग से जोड़ता है जबकि करीब स्थित इंदौर शहर इसे रेल और हवाई संपर्क प्रदान करता है।
इंडस्ट्रियल टाउनशिप
इस कॉरिडोर के प्रभाव क्षेत्र में मध्यप्रदेश की जो एकीकृत इंडस्ट्रियल टाउनशिप विकसित की जा रही है वह निवेश तो लायेगी ही साथ ही स्थानीय लोगों को रोज़गार के बेशुमार मौके प्रदान करेगी। यह टाउनशिप पीथमपुर-धार-महू औद्योगिक क्षेत्र में विकसित की जा रही है। इसके अतिरिक्त मध्यप्रदेश का नीमच-नयागांव और रतलाम-नागदा क्षेत्र भी डीएमआईसी के निवेश और औद्योगिक विकास क्षेत्र में आते हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ निरंतर निवेश की आवश्यकता और औद्योगिक विकास पर जोर देते रहे हैं। ऐसे में यह टाउनशिप उम्मीदों को पूरा करने का अहम जरिया बन सकती है।
देशव्यापी स्तर पर देखें तो यह कॉरिडोर रोड, रेल और हवाई संपर्क के माध्यम से पूरे देश से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। ऐसे में यह स्वाभाविक रूप से औद्योगिक गतिविधियों को गति प्रदान करने का काम करेगा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से देश की कारोबारी राजधानी मुंबई तक की दूरी तय करने वाला यह कॉरिडोर देश के विभिन्न कारोबारी क्षेत्रों से गुजरेगा। इस कॉरिडोर के दोनों ओर निवेशकों के लिए निवेश के लिए औद्योगिक भूखंड उपलब्ध होंगे।
मध्य प्रदेश को कैसे मिलेगा फायदा?
इस कॉरिडोर में बनने वाली इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप में माल और अन्य वस्तुओं का तेजी से से अबाध परिवहन सुनिश्चित होगा। जीएसटी की व्यवस्था लागू होने के बाद एक देश-एक कर प्रणाली लागू हो चुकी है। ऐसे में कॉरिडोर के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं का तेज गति से परिचालन सुनिश्चित हो सकेगा। यह तीव्र गति मध्यप्रदेश में बढ़ते निवेश और औद्योगिक गतिविधियों में भी परिलक्षित होगी।
कई और बातें हैं जो मध्यप्रदेश को निवेश केंद्र के रूप में प्रमुखता देती हैं। मध्यप्रदेश में प्रचुर मात्रा में भूमि उपलब्ध है जो लैंड बैंकों के माध्यम से कारोबारियों को दी जाती है। इसके अलावा मध्यप्रदेश की धरती प्राकृतिक संसाधनों से भी परिपूर्ण है। कोयले से लेकर हीरा तक, मैंगनीज से लेकर बॉक्साइट तक तमाम प्राकृतिक संसाधन मध्यप्रदेश की धरती के गर्भ में भरपूर मात्रा में मौजूद हैं।
प्रदेश सरकार भी अपने स्तर पर निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रकार की रियायतों की घोषणा करती रहती है। प्रदेश कारोबारी सुगमता रैंकिंग में भी शीर्ष 10 राज्यों में शामिल है। बिजली उत्पादन के मामले में मध्यप्रदेश उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है जिनके पास अपनी जरूरत से ज्यादा बिजली है और जिसे वह जरूरत पड़ने पर अन्य राज्यों को बेचता है। प्रदेश ने कौशल विकास का भी एक मजबूत ढांचा तैयार किया है। ऐसे में प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में निवेश करने वाली कंपनियों को कुशल श्रमिकों की कोई कमी नहीं होगी।
दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में मध्यप्रदेश की हिस्सेदारी, परियोजना के पहले चरण में दूसरे सबसे बड़े भू-भाग वाली हिस्सेदारी है। मध्यप्रदेश की इंडस्ट्रियल टाउनशिप में सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के उद्योग लगाए जाएंगे। ये वे क्षेत्र हैं जो पहले ही तेज विकास के साथ अपनी उपयोगिता को साबित कर चुके हैं। इसके अलावा वाहन एवं वाहन कलपुर्जा क्षेत्र को भी प्राथमिकता दी जाएगी। गौरतलब है कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के चलते ही पीथमपुर को भारत का डेट्रॉयट कहा जाता है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रदेश के समग्र विकास की प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। करीब 10 महीने पहले पद संभालते ही उन्होंने कई ऐसी घोषणाएं की थीं जो निवेशकों और कारोबारियों का उत्साह बढ़ाने वाली थीं। नए फूड पार्क और टैक्सटाइल पार्क की स्थापना, देश के जानेमाने उद्यमियों के साथ मुलाकात कर उन्हें प्रदेश में निवेश के लिए आमंत्रित करना, युवाओं को नये-नये क्षेत्रों में कौशल विकास का अवसर देना और रोज़गार में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देना ऐसे ही कुछ कदम हैं। उम्मीद की जानी चाहिये की उनके कुशल नेतृत्व में दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के प्रभाव क्षेत्र में आनेवाली मध्यप्रदेश की इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप भी विकास के नये आयाम गढ़ेगी।
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