देश की लोकतांत्रिक अवधारणा पर सोचा समझा हमला किया जा रहा है: प्रोफेसर कौशिक बसु के साथ संवाद में राहुल गांधी
देश की लोकतांत्रिक अवधारणा पर सोचा-समझा हमला किया जा रहा है, आरएसएस-बीजेपी सभी संस्थाओ पर कब्जा कर रहे हैं। ये बातें राहुल गांधी ने कही हैं। राहुल गांधी प्रतिष्ठित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में प्रोफेसर कौशिक बसु के साथ संवाद कर रहे थे।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि आज देश के हालात बहुत खराब हैं। इमरजेंसी लगाना गलत था, लेकिन आज के हालात और इमरजेंसी में फर्क है। उन्होंने कहा कि ” बुनियादी फर्क यह है कि तब कांग्रेस पार्टी या किसी अन्य ने देश के संवैधानिक ढांचे पर कब्जा करने की कोशिश नहीं की। क्योंकि कांग्रेस पार्टी की विचारधारा ऐसा करने की इजाजत नहीं देती है। लेकिन आज सत्ता के जोर पर संवैधानिक संस्थाओं को समझौता करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। हम ऐसा चाहकर भी नहीं कर सकते क्योंकि हमारी विचारधारा ऐसी नही है। लेकिन आरएसएस एकदम अलग कर रही है। संघ हर संस्था में अपने लोगों को भर रहा है। अगर आज हम बीजेपी को चुनाव में हरा भी दें तो भी संस्थागत तरीके से पैठ जमा चुके लोगों से छुटकारा मिलना मुश्किल होगा।“
राहुल गांधी ने कहा कि “ आज हमें संसद में बोलने की अनुमति नहीं है, न्यायपालिका से उम्मीद नहीं है, आरएसएस-बीजेपी के पास बेतहाशा आर्थिक ताकत है। व्यवसायों को विपक्ष के पक्ष में खड़े होने की इजाजत नहीं है। लोकतांत्रिक अवधारणा पर ये सोचा-समझा हमला है।“ राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का हवाला देते हुए कहा कि जब कांग्रेस सरकार थी तो अधिकारी मुख्यमंत्री की ही नहीं सुनते थे, क्योंकि हर जगह आरएसएस के लोग बैठे हुए हैं। उन्होंने मणिपुर और पुडुचेरी का भी जिक्र किया। राहुल गांधी ने कहा कि मणइपुर में सांसद कहते हैं कि राज्यपाल किसी संवैधानिक पद पर बैठे शख्स के बजाए सिर्फ संघ कार्यकर्ता की तरह व्यवहार करते हैं। पुडुचेरी में जो उपराज्यपाल थीं वे सरकार के लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में अड़ंगा लगाती थीं.
राहुल गांधी ने अपने पिता स्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या को याद करते हुए कहा, “मुझे उनकी मौत से हिंसा का सही अर्थ समझ में आया।” उन्होंने कहा कि उन्हें काफी पहले ऐहसास हो गया था कि उनके पिता की मौत निश्चित है क्योंकि वे जिन शक्तियों से लड़ रहे थे वे एकजुट हो चुकी थीं।
राहुल गांधी ने कहा कि वे कांग्रेस पार्टी में हमेशा अंदरुनी लोकतंत्र के पक्षधर रहे हैं और इसे बढ़ावा देने का काम कई वर्षों से कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “इसके लिए मेरी ही पार्टी के लोगों ने मेरी आलोचना की थी। मैंने अपनी पार्टी के लोगों से कहा कि पार्टी में अंदरुनी लोकतंत्र लाना निश्चित तौर पर जरूरी है। आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं इसलिए प्रभावी हैं, क्योंकि उनके पास स्वतंत्र संस्थाएं हैं, लेकिन, भारत में उस स्वतंत्रता पर हमला किया जा रहा है।”
राहुल गांधी ने आगे कहा कि, “आखिर सिर्फ कांग्रेस से ही अंदरूनी लोकतंत्र का सवाल क्यों किया जाता है। बीजेपी से क्यों नहीं, समाजवादी पार्टी से क्यों नहीं, बीएसपी से क्यों नहीं?”
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