भारत और चीन की सेना ने लद्दाख के गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स से वापसी शुरू की, LAC पर तनाव कम करने की कोशिश
यह कदम उज्बेकिस्तान में अगले हप्ते होने वाले शंघाई सम्मेलन से पहले उठाया गया है, जिसमें पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति दोनों भाग लेने वाले हैं। हालांकि किसी पक्ष ने अब तक पुष्टि नहीं की है कि दोनों नेता शिखर सम्मेलन में द्विपक्षीय वार्ता करेंगे या नहीं।
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मई 2020 से चल रहे गतिरोध को समाप्त करने के लिए एक कदम आगे बढ़ाते हुए भारत और चीन की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 से हटना शुरू कर दिया है। दोनों सेनाओं ने इसकी पुष्टि की है।
यह कदम उज्बेकिस्तान में अगले सप्ताह होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन से पहले उठाया गया है, जिसमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोनों भाग लेने वाले हैं। हालांकि किसी भी पक्ष ने अब तक पुष्टि नहीं की है कि दोनों नेता शिखर सम्मेलन के मौके पर द्विपक्षीय वार्ता करेंगे या नहीं। दोनों नेताओं में अप्रैल 2020 में गतिरोध की शुरूआत के बाद से बात नहीं हुई है।
8 सितंबर, 2022 को भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की बैठक के 16वें दौर में बनी आम सहमति के अनुसार, गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स (पीपी-15) के क्षेत्र से भारतीय और चीनी सैनिकों ने समन्वित और योजनाबद्ध तरीके से हटना शुरू कर दिया है, जो कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के लिए अनुकूल है। दोनों पक्षों ने गुरुवार को जारी एक संयुक्त बयान में यह जानकारी दी।
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गलवान घाटी में मई 2020 में हुई हिंसक झड़प से गतिरोध शुरू होने के बाद से दोनों पक्षों ने अब तक फरवरी 2021 में पैंगोंग त्सो के दोनों क्षेत्र से और अगस्त में गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में पीपी-17 से विघटन के साथ 16 दौर की बातचीत की है। अब जो टकराव वाले बिंदु बने हुए हैं वे डेमचोक और डेपसांग हैं, जिन्हें चीन ने लगातार यह कहते हुए स्वीकार करने से इनकार कर दिया है कि वे मौजूदा गतिरोध का हिस्सा नहीं हैं।
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