चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की पत्नी को आयकर विभाग का नोटिस, मोदी-शाह को क्लीन चिट दिए जाने का किया था विरोध
चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की पत्नी को आयकर विभाग ने नोटिस भेज दिया है। खास बात ये है कि अशोक लवासा ने लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के आरोपों में पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को आयोग द्वारा क्लीन चिट देने पर असहमति जताई थी।
आयकर विभाग ने देश के निर्वाचन आयग को त्रिमूर्ति में से एक चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की पत्नी को एक नोटिस जारी किया है। अशोक लवासा की पत्नी को ये नोटिस कई कंपनियों के स्वतंत्र निदेशक की हैसियत से हो रही उनकी आय को लेकर भेजा गया है। खास बात ये है कि अशोक लवासा वहीं चुनाव आयुक्त हैं ,जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के आरोपों में पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को आयोग द्वारा क्लीन चिट देने पर असहमति जताई थी।
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खबरों के अनुसार चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के भारत सरकार में सचिव बनने के बाद उनकी पत्नी नोवेल लवासा को कई कंपनियों का स्वतंत्र निदेशक बनाया गया था। बताया जा रहा है कि इस मामले में आयकर विभाग ने पिछले हफ्ते नोवेल लवासा से पूछताछ भी की थी। खबरों के अनुसार आयकर विभाग ने नोवेल लवासा से पूछताछ के दौरान इन कंपनियों में डायरेक्टर रहते हुए उनकी आमदनी को लेकर जानकारी मांगी थी।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान अशोक लवासा उस समय सुर्खियों में आ गए थे, जब उन्होंने पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के आरोपों में आयोग द्वारा क्लीन चिट दिए जाने पर असहमति जताई था। उन्होंने एक डिसेंट नोट लिखकर पीएम मोदी और अमित शाह के खिलाफ लगे 11 आरोपों में उन्हें क्लीन चिट देने के फैसले को मानने से इंकार किया था। इतना ही नहीं पीएम मोदी को क्लीन चिट दिये जाने पर उनके फैसले को रिकॉर्ड नहीं करने पर विरोध जताते हुए अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर बताया था कि जब तक उनके असहमति वाले मत को ऑन रिकॉर्ड नहीं किया जाएगा तब तक वह आयोग की किसी बैठक में शामिल नहीं होंगे।
बता दें कि पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ मिली आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों की जांच के लिए गठित समिति में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, अशोक लवासा और सुशील चंद्रा शामिल थे। मोदी औऱ शाह को क्लीन चिट दिए जाने पर चुनाव आयुक्त लवासा का मत बाकी दोनों सदस्यों से अलग था और वह इन आरोपों को आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में मान रहे थे। लेकिन बहुमत से लिए गए फैसले में दोनों के आचरण को आचार संहिता का उल्लंघन नहीं मानते हुए क्लीनचिट दे दी गई। सिर्फ इतना ही नहीं लवासा के मत को भी रिकॉर्ड पर नहीं लिया गया। अपने पत्र लवासा ने ये भी दावा किया था, उनके विरोध के बाद से लगातार उनपर आयोग की बैठकों से दूर रहने के लिए दबाव बनाया गया।
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