'वायनाड भूस्खलन में हमने लोगों को मलबे के साथ बहते देखा लेकिन हम कुछ नहीं कर सके'

सिविल पुलिस अधिकारी जिबलू रहमान ने कहा कि लोगों को मलबे के साथ बहते हुए देखा और उनके रोंगटे खड़े हो गए। वह कुछ भी करने में खुद को असमर्थ महसूस कर रहे थे।

फोटो: PTI
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नवजीवन डेस्क

वायनाड में कभी न भरने वाले जख्म देने वाली भूस्खलन की घटना को एक सप्ताह हो गया है, लेकिन उस भयावह दिन की यादें अभी भी मेप्पाडी पुलिस थाने के एक पुलिस अधिकारी को सताती हैं, जो चूरलमाला क्षेत्र में आई विनाशकारी आपदा के बीच लोगों की जान बचाने में अपनी असमर्थता को बेहद पीड़ा के साथ याद करते हैं।

मेप्पाडी पुलिस थाने के सिविल पुलिस अधिकारी जिबलू रहमान ने पहला भूस्खलन होने के बाद तुरंत कार्रवाई करते हुए ओडिशा के दो पर्यटकों को मलबे से बचाया।

जब रहमान मौके पर पहुंचे तो जीवित बचे लोगों में से एक के हाथ-पैर टूटे हुए थे और दूसरे के कपड़े फटे हुए थे और उसे खरोंचें आई थीं। वे मदद के लिए चिल्ला रहे थे।

रहमान ने बताया, ‘‘उन्होंने मुझे बताया कि ऊपर की ओर दो और लोग हैं। मैंने उन्हें अपनी टी-शर्ट और कोट दिया और उन्हें वहां पर पहुंचे स्थानीय युवाओं के सुपुर्द किया। फिर, मैं अन्य दो लोगों की तलाश में ऊपर की ओर चला गया।’’

जैसे ही रहमान ऊपर की ओर दो व्यक्तियों की ओर बढ़े, उन्होंने एक तेज आवाज़ सुनी और समझ गए कि एक और भूस्खलन हुआ है।

कोई और विकल्प न होने पर, वह सुरक्षित स्थान की ओर भागे। उन्होंने देखा कि पानी पूरे वेग से नीचे की ओर बह रहा है और अपने साथ कीचड़, पत्थर और पेड़ों को बहाकर ले जा रहा है।

उन्होंने लोगों को मलबे के साथ बहते हुए देखा और उनके रोंगटे खड़े हो गए। वह कुछ भी करने में खुद को असमर्थ महसूस कर रहे थे।

रहमान से पहले, वन विभाग का रात्रि गश्ती दल घटनास्थल पर था, जो हाथियों के आवासीय क्षेत्र में भटकने के बारे में स्थानीय लोगों की कॉल का जवाब दे रहा था।

मेप्पाडी के उप वन रेंज अधिकारी के प्रदीप ने बताया, ‘‘स्थानीय लोगों से सूचना मिलने के बाद हमारी रात्रि गश्त टीम मौके पर गई थी, जिसमें कहा गया था कि हाथी आवासीय क्षेत्र में घुस आए हैं। हम हाथियों को वापस जंगल में खदेड़ने के लिए वहां गए थे।’’

मौके पर पहुंचने पर, उन्होंने नदी में बढ़ते जल स्तर को देखा और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की चेतावनी दी।

प्रदीप ने कहा, ‘‘जब हम वापस लौट रहे थे, तो हमने एक तेज आवाज सुनी, और पहला भूस्खलन हुआ। लोग सुरक्षित जगह पर भागने लगे और हमने उन्हें सुरक्षित जगह पर पहुंचने में मदद करने के लिए अपनी सर्च लाइट और वाहन की हेडलाइट चालू की।’’ वन टीम ने 45 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। जब बचाव कार्य जारी था, तभी उन्होंने दूसरी तेज आवाज सुनी और समझ गए कि एक बड़ा भूस्खलन हुआ है।

अधिकारियों के अनुसार, 30 जुलाई को वायनाड के मुंडक्कई और चूरलमाला इलाकों में हुए विनाशकारी भूस्खलन के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 226 हो गई है।

स्थानीय प्रशासन द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, बड़े पैमाने पर भूस्खलन के बाद 138 लोग लापता हैं।

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