यूपी पुलिस का एक और कारनामा, दारोगा ने बेच दी प्रवासी मजदूरों की उम्मीद की साइकिल!

मुजफ्फरनगर के भोपा थाना क्षेत्र में पुलिस के एक दरोगा द्वारा क्वारंटीन में भेजे गए प्रवासी मजदूरों की साइकिल बेचने का खुलासा हुआ है। जिन मजदूरों की साईकिल बेचने की बात सामने आई है, उन मजदूरों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। किसी को ये भी नहीं पता कि वे मजदूर अभी क्वारंटीन हैं या घर जा चुके हैं

फोटोः आस मोहम्मद कैफ
फोटोः आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

देश में कोरोना संकट के चलते लगे लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की तकलीफों का कोई अंत होता नहीं नजर आ रहा है। रोजाना एक से एक दिल दहला देने वाली खबरें आकर इनके दर्द को उजागर कर जाती हैं। इसी बीच उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद से एक बेहद हैरतंगेज करने वाली खबर आई है, जो संवेदनहिनता और निर्ममता की सारी हदें पार कर चुकी यपी पुलिस का घिनौना चेहरा भी सामने लाती है।

दरअसल मुजफ्फरनगर के भोपा थाना क्षेत्र में पुलिस के एक दरोगा द्वारा क्वारंटीन में भेजे गए प्रवासी मजदूरों की साइकिल बेचने का खुलासा हुआ है। विडंबना ये है कि जिन मजदूरों की साईकिल बेचने की बात सामने आई है, उन मजदूरों को अभी तक इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। और यह भी किसी को नहीं पता कि वे मजदूर अभी क्वारंटीन हैं, या अपने घर जा चुके हैं।

इस संवेदनहीन घटना का खुलासा एक स्थानीय अखबार के एक संवाद सूत्र ने किया है। उसने दारोगा के कहने पर 10 साइकिल ले जाकर बेचने वाले होमगार्ड की वीडियो बना ली। इस बातचीत से साफ हो जाता है कि साइकिलें मजदूरों की थीं और मात्र 6 हजार रुपये में दसों साईकिलें बेच दी गईं।

बताया जा रहा है कि यह वीडियो भोपा थाना क्षेत्र के स्वामी कल्याण देव कॉलेज परिसर का है, जहां से गुजर रहे मजदूरो को रोकाकर यहीं क्वारंटीन किया गया है। बताया जा रहा है कि ये साईकिलें ऐसे ही 10 मजदूरों की हैं, जिन्हें यहां क्वारंटीन किया गया है। ऐसी स्थिति में क्वारंटीन मजदूरों की साईकिलों की हिफाजत पुलिस को करनी थी। लेकिन भोपा पुलिस के एक दरोगा ने हिफाजत करने की बजाय 10 साईकिलों को ओने-पौने दाम में बेच दिया। हालांकि, भोपा थाना प्रभारी संजीव कुमार इस मामले से अनभिज्ञता जता रहे हैं।

बता दें कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में पुलिस का एक होमगार्ड एक अज्ञात युवक से बात करता हुआ बता रहा है कि 'दरोगा जी ने मजदूरों की 10 साईकिलें बेचने के लिए दी थी, जो 6 हज़ार रुपये की बिक गईं। इस पर वीडियो बनाने वाला युवक कहता है, “इतनी सस्ती!” इस पर पास में ही खड़ा यूपी पुलिस का एक सिपाही कहता है कि सिर्फ 5 हजार रुपये मिल रहे थे। कह सुनकर 6 हजार करवा दिए। एक-एक साईकिल 500 रुपये की बेची गई है। वीडियो में बातचीत से स्पष्ट होता है कि साईकिल मजदूरों की ही बेची गई है।

इस घटना पर समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव मनीष जगन अग्रवाल ने बेहद अहम सवाल उठाते हुए कहा कि “प्रदेश भर में हजारों मजदूर साईकिल से आए हैं। प्रदेश सरकार दावा करती है कि सैकड़ों मजदूरों को बस से उनके गांव भेजा गया है। ऐसे में यह बताया जाना चाहिए कि इनकी साईकिलें कहां हैं! साथ ही क्वारंटीन किए गए मजदूरों के साईकिल की हिफाजत भी की जानी चाहिए।” उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर जैसी शिकायत अन्य जगह से भी आई है। लगता है कि इन लोगों को साईकिल से ही नफरत है। अग्रवाल ने कहा कि भोपा में मजदूरों की साईकिल बेचने के खुलासे से स्पष्ट है कि अब इन्होंने 'गरीबों की साईकिल के साथ घोटाला' किया है।

वहीं, मुजफ्फरनगर समाजवादी पार्टी के महासचिव जिया चौधरी ने मामले में कार्रवाई नहीं करने के लिए जिला प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है।उन्होंने कहा कि यह अत्यंत शर्मनाक है। मजदूर पहले ही भारी त्रासदी से जूझ रहे हैं। कुछ महिलाओं ने अपने जेवर तक बेचकर साईकिलें खरीदी हैं, जिनसे उनका परिवार किसी तरह घर जा सके। यह उनके उम्मीद की साईकिल है। चौधरी ने कहा कि हमने स्थानीय स्थानीय प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है, लेकिन वो मामले की लीपापोती कर रहे हैं। शायद वो समझते हैं कि मजदूर आकर उनकी शिकायत नहीं करेंगे। लेकिन हम पीड़ित मजदूरों से संपर्क करने का प्रयत्न कर रहे हैं।

इस पूरे मामले के सामने आने पर मुजफ्फरनगर देहात के एसपी नेपाल सिंह ने कहा कि मामला उनकी जानकारी में आ गया है और वो इसकी जांच कर रहे हैं। लेकिन इस बीच खबर है कि स्थानीय सीओ रामनिवास शर्मा ने वीडियो बनाकर सच सामने लाने वाले स्थानीय अखबार के संवाद सूत्र को उस के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि मामला वैसा है नहीं, जैसा दिख रहा है।

वहीं, जानसठ एसडीएम कुलदीप मीणा पूरे आरोप को निराधार बता रहे हैं। उनका कहना है कि मोरना में कल प्रवासी मजदूरों के लिए बस चलवाई गई थी। इसकी 52 लोगों की क्षमत होती है। हम सोशल डिस्टेन्स का ख्याल रखते हुए भेजते हैं, इसलिए हमनें 26 लोगो की सूची तैयार की। एक बस में नियमपूर्वक इतने ही लोग जा सकते थे। यह सभी बिहार के लोग थे। वो अपनी साईकिल छोड़ना नहीं चाहते थे। इन 26 लोगो में से सिर्फ तीन लोगों के पास साईकिल थी। वो साईकिल से जाना चाहते थे। साईकिल बेचे जाने का आरोप निराधार है।

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Published: 18 May 2020, 7:16 PM