आचार संहिता लागू होने से पहले मराठों को आरक्षण नहीं मिला तो सत्तासीन लोगों को नहीं बख्शेंगे: जरांगे
जरांगे ने कहा कि केंद्र और राज्य की सत्ता में आसीन बीजेपी एक घंटे के अंदर मुद्दे को सुलझा सकती है। वे मराठों को कुनबी के तौर पर ओबीसी श्रेणी में शामिल कर सकते हैं। चुनाव से पहले मराठों के लिए आरक्षण सुनिश्चित करना होगा, वरना हम उन्हें नहीं बख्शेंगे।
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने शुक्रवार को चेतावनी देते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने से पहले अगर उनके समुदाय को ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण नहीं दिया गया तो सत्तासीन लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
मनोज जरांगे जालना में अपने पैतृक गांव अंतरवाली सारती में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान जरांगे ने सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों से मराठा समुदाय के साथ राजनीति करने के बजाय इसे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में शामिल करने पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया।
जरांगे ने कहा, “केंद्र और राज्य की सत्ता में आसीन बीजेपी एक घंटे के अंदर मुद्दे को सुलझा सकती है। वे आरक्षण की सीमा बढ़ाकर मराठों को कुनबी के तौर पर ओबीसी श्रेणी में शामिल कर सकते हैं। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को चुनाव से पहले मराठाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित करना होगा, वरना हम उन्हें नहीं बख्शेंगे।”
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए अगले महीने चुनाव होने की संभावना है। लेकिन चुनाव से पहले मराठा आरक्षण की मांग के एक बार फिर जोर पकड़ने से राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी के गठबंधन के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। जरांगे के रुख से चुनाव से पहले मराठा आरक्षण आंदोलन के एक बार फिर बड़ा रूप लेने की संभावना लग रही है।
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