मोदी सरकार में भारत-पाक सीमा पर गोलीबारी में बेतहाशा वृद्धि, 6 गुणा ज्यादा हुई जवानों-नागरिकों की मौतः RTI
आरटीआई कार्यकर्ता प्रफुल शारदा के अनुसार सीमा पर दर्ज मौतों में, कुल 138 सैनिकों की जान गई, जिसमें 2010-2014 के बीच 20 और 2015 से फरवरी 2021 तक 118 मौतें शामिल हैं, जो सात वर्षो में लगभग छह गुना अधिक हैं। इसी तरह 129 नागरिकों की मौतों में भी यही स्थिति है।
एक ताजा आरटीआई खुलासे से पता चला है कि मोदी सरकार के दौरान भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा सैनिकों और नागरिकों के लिए 'हत्या के मैदान' बन गए हैं। आरटीआई के अनुसार एनडीए सरकार में सीमा पर गोलीबारी की सबसे ज्यादा घटनाएं हुई हैं, जिसमें 6 गुणा ज्यादा मौतें हुई हैं।
पुणे के आरटीआई कार्यकर्ता प्रफुल शारदा को दिए गए आरटीआई जवाब के अनुसार, 2010 से फरवरी 2021 के बीच सीमा पार से गोलीबारी की 14,411 घटनाएं हुईं, जिसमें 267 लोगों की जान चली गई। सुलेखा, निदेशक (एस-जेके) और गृह मंत्रालय में सीपीआईओ द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इसमें कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान 2010-2014 के बीच 1,178 फायरिंग और 2015 से फरवरी 2021 तक बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में 13,235 फायरिंग की घटनाएं शामिल हैं।
प्रफुल शारदा ने बताया कि सीमा पर दर्ज की गई मौतों में, कुल 138 सुरक्षाकर्मियों की जान गई, जिसमें 2010-2014 के बीच 20 और 2015 से फरवरी 2021 तक 118 मौतें शामिल हैं, जो सात वर्षो में लगभग छह गुना अधिक हैं। इसी तरह 129 नागरिक मौतों पर भी यही स्थिति है, जो 18 (2010-2014) से बढ़कर फरवरी 2015 से इस साल तक 111 हो गई है। यह आंकड़ों में छह गुना उछाल है। आरटीआई के अनुसार चोटों में से 664 में से 97, 2010-2014 के दौरान सामने आईं, जबकि 2015 से फरवरी 2021 तक 567 सामने आईं।
आरटीआई कार्यकर्ता प्रफुल्ल शारदा ने कहा कि पिछली यूपीए सरकार के दौरान, सीमाएं अपेक्षाकृत सुरक्षित थीं, जिनमें कुल 38 नागरिक और सुरक्षाकर्मी मारे गए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में यह संख्या तेजी से बढ़कर 229 हो गई है और सीमा पर झड़पों में 1143 जवान और आम लोग घायल हो गए।
शारदा ने बताया कि 2015 के बाद से, सीमा विवाद लगातार बढ़ रहे हैं- 405 से 449 (2016), 971 (2017), 2,140 (2018), 3,479 (2019), और आश्चर्यजनक रूप से 2020 में 5,133 गोलीबारी की घटनाएं हुईं, जो कि कोविड- 19 महामारी लॉकडाउन वर्ष था। केवल 2021 के पहले दो महीनों में ही रिकॉर्ड 658 गोलीबारी की घटनाएं हुई हैं, जिनमें चार सुरक्षा बल के जवान शहीद हो गए, 6 घायल हुए और 2 अन्य नागरिक घायल हुए।
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