संविधान को कायम रखने की बात करना राष्ट्र-विरोधी कैसे- कांग्रेस ने अमित शाह के बयान पर किया पलटवार

पवन खेड़ा ने सवाल किया कि हम भारत के संविधान को कायम रखने की बात कर रहे हैं तो यह राष्ट्र-विरोधी कैसे है? ऐसा क्यों है कि जब भी हम संविधान को कायम रखने की बात करते हैं तो बीजेपी को दिक्कत होती है? वे संविधान के इतने ख़िलाफ़ क्यों हैं?

संविधान को कायम रखने की बात करना राष्ट्र-विरोधी कैसे- कांग्रेस ने अमित शाह के बयान पर किया पलटवार
संविधान को कायम रखने की बात करना राष्ट्र-विरोधी कैसे- कांग्रेस ने अमित शाह के बयान पर किया पलटवार
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस ने राहुल गांधी को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर पलटवार करते हुए बुधवार को सवाल किया कि संविधान को कायम रखने की बात करना राष्ट्र-विरोधी कैसे है।पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यह सवाल भी किया कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विदेश जाकर भारत और भारतीय नागरिकों के खिलाफ भयावह टिप्पणियां करते हैं, तो क्या वह राष्ट्र-विरोधी नहीं हैं?

मोदी सरकार को लेकर आलोचनात्मक रुख के लिए चर्चित डेमोक्रेट इल्हान उमर से राहुल गांधी की मुलाकात को लेकर उनकी आलोचना किये जाने पर कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी (केंद्र) सरकार में है, इसलिए वह अमेरिकी राजदूत को तलब करे और अगर उसे ऐसा कुछ लगता है तो कार्रवाई करे। खेड़ा ने कहा, ‘‘शाह से कार्रवाई करने के लिए कहें, फिर हम प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों को बेनकाब कर देंगे। प्रधानमंत्री विदेश जाकर भारत और भारतीय नागरिकों के खिलाफ भयावह टिप्पणियां करते हैं, तो क्या वह राष्ट्र-विरोधी नहीं हैं?’’


पवन खेड़ा ने सवाल किया, ‘‘हम भारत के संविधान को कायम रखने की बात कर रहे हैं तो यह राष्ट्र-विरोधी कैसे है? ऐसा क्यों है कि जब भी हम संविधान को कायम रखने की बात करते हैं तो बीजेपी को दिक्कत होती है? वे संविधान के इतने ख़िलाफ़ क्यों हैं?’’ खेड़ा ने कहा कि राहुल गांधी ने संविधान को मजबूती के साथ कायम रखने की बात कही है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

अमित शाह ने बुधवार को कांग्रेस और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर देश-विरोधी बातें करने और देश को तोड़ने वाली ताकतों के साथ खड़े होने का आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने देश की सुरक्षा को हमेशा खतरे में डाला है। दरअसल राहुल गांधी अमेरिका की चार-दिवसीय यात्रा पर हैं। इस दौरान उन्होंने जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी और वर्जीनिया के उपनगर हर्नडॉन सहित कई अन्य स्थानों पर आयोजित कार्यक्रमों को संबोधित किया और भारत में लोकतंत्र और चुनाव सहित कई मुद्दों पर अपना पक्ष रखा।

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