सांसदों का निलंबन: अधीर रंजन ने कहा कि सरकार जमींदार नहीं कि विपक्ष माफी मांगे, हुड्डा ने कहा, यह लोकतंत्र की हत्या
12 सांसदों के निलंबन को विपक्ष ने लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। साथ ही कहा है कि सरकार जमींदार नहीं है कि विपक्ष मांगी माने। ध्यान रहे कि राज्यसभा सभापति ने निलंबन वापस लेने की विपक्ष की मांग खारिज कर दी है।
राज्यसभा से 12 सांसदों को निलंबित किए जाने के मुद्दे पर विपक्ष और सरकार के बीच गतिरोध जारी है। राज्यसभा सभापति एम वेंंकैया नायडू ने विपक्ष की मांग खारिज करते हुए निलंबन वापस लेने से इनकार कर दिया है। इस मुद्दे पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा है कि "इस मुद्दे पर पूरा विपक्ष एकजुट है और सभी सांसदों का निलंबन वापस होना चाहिए।" उन्होंने कहा कि "हम मजबूती से इस बारे में अपना पक्ष सदन में रखेंगे। यह लोकतंत्र की हत्या है"
वहीं लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि "यहां पर ज़मींदारी या राजा नहीं है कि हम बात-बात पर इनके पैर पकड़ें और माफी मांगे। ये ज़बरदस्ती क्यों माफी मंगवाना चाहते हैं। इसे हम बहुमत की बाहुबली कह सकते हैं। ये लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं।"
इसे अलावा राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि सांसदों का निलंबन गैरकानूनी है। उन्होंने कहा, "जिन 12 सदस्यों को निलंबित किया गया उन्हें वापस लेने के लिए आज हम अध्यक्ष महोदय से मिले और उनसे आग्रह किया गया। पिछले सत्र में जो घटना हुई थी फिर उसे उठाकर फिर से सदस्यों को निलंबित करना गैरक़ानूनी है और नियमों के खिलाफ है।"
इस बीच विपक्ष की एक और बैठक मल्लिकार्जुन खड़के के कमरे में शुरु हुई है।
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