हिंडनबर्ग खुलासाः सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका, SEBI से अडानी समूह के खिलाफ लंबित जांच पूरा कराने की मांग
याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने कहा है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों से आम जनता और निवेशकों के मन में संदेह का माहौल पैदा हुआ है।
हिंडनबर्ग के ताजा खुलासों पर मचे हंगामे के बीच सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दाखिल की गई है, जिसमें शेयर कीमतों में हेराफेरी के अडानी समूह पर लगे आरोपों से संबंधित दो लंबित मामलों में बाजार नियामक सेबी को अपनी जांच जल्द पूरा करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
उच्चतम न्यायालय में यह नई याचिका विशाल तिवारी ने दाखिल की है। उन्होंने वर्ष 2023 में भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच की मांग की थी।याचिकाकर्ता ने कहा है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों से आम जनता और निवेशकों के मन में संदेह का माहौल पैदा हुआ है।
अमेरिकी निवेश एवं शोध फर्म हिंडनबर्ग ने शनिवार को जारी अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि अडानी समूह के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए कथित तौर पर इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट विदेशी कोष में सेबी प्रमुख और उनके पति धवल बुच की भी हिस्सेदारी थी। इसके पहले हिंडनबर्ग ने जनवरी, 2023 में भी अडानी समूह पर वित्तीय लेनदेन में गड़बड़ी और शेयर कीमतों में हेराफेरी के आरोप लगाए थे।
उसके बाद तिवारी समेत कई याचिकाकर्ताओं ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर जांच की अपील की थी। बाद में सेबी ने शीर्ष अदालत को बताया कि अडानी समूह पर लगे 24 आरोपों में से 22 की जांच पूरी कर ली गई है जबकि दो मामले अभी लंबित हैं। उच्चतम न्यायालय ने जनवरी में सेबी को दो लंबित मामलों में जांच तेजी से और बेहतर रूप में तीन महीने के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया था।
विशाल तिवारी ने आवेदन में कहा, ‘‘इस न्यायालय ने सेबी की जांच पूरी करने के लिए स्पष्ट रूप से तीन महीने की समयसीमा तय की है। जब आदेश में तीन महीने का उल्लेख किया गया है, तो यह विवेकपूर्ण समझ बनती है कि लंबित जांच पूरी करने के लिए एक निश्चित समय अवधि तय की गई है।’’ उच्चतम न्यायालय की पीठ ने 3 जनवरी, 2024 को यह मामला विशेष जांच दल (एसआईटी) या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सुपुर्द करने से इनकार कर दिया था। उसने कहा था कि सेबी इस मामले की एक व्यापक जांच कर रहा है।
हालांकि, हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट में सेबी प्रमुख पर आरोप लगाए जाने के बाद याचिकाकर्ता तिवारी ने नया आवेदन दिया है। तिवारी ने कहा, ‘‘सेबी प्रमुख ने इन आरोपों को निराधार बताया है और इस अदालत ने भी माना है कि तीसरे पक्ष की रिपोर्ट पर विचार नहीं किया जा सकता है। लेकिन इस मामले ने जनता और निवेशकों के मन में संदेह का माहौल पैदा कर दिया है। ऐसी स्थिति में सेबी के लिए लंबित जांच को पूरा करना और जांच के नतीजे की घोषणा करना अनिवार्य हो जाता है।’’
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