हिमाचल प्रदेश: 'टॉयलेट टैक्स' जैसा कोई कर नहीं', सीएम सुक्खू ने बीजेपी के दुष्प्रचार का दिया जवाब
हिमाचल प्रदेश के सीएम ने बीजेपी को जवाब देते हुए कहा कि 'टॉयलेट टैक्स' जैसा कोई टैक्स नहीं है। इसका राजनीतिक लाभ नहीं उठाना चाहिए।
हिमाचल प्रदेश में ‘टॉयलेट सीट टैक्स’ लगाए जाने के बीजेपी के दुष्प्रचार का सीएम ने जवाब दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आरोपो को निराधार बताते हुए कहा कि 'टॉयलेट टैक्स' जैसा कोई टैक्स नहीं है। इसका राजनीतिक लाभ नहीं उठाना चाहिए। सुखविंदर सिंह सुखू ने कहा कि चुनाव से पहले बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश में 5 हजार करोड़ की रेवड़ियां बांटी थी, जिसमें उन्होंने मुफ्त पानी के मीटर लगाने का वादा किया था, और कहा था कि पानी का कोई बिल नहीं लेंगे।
सीएम ने कहा कि हमने प्रति परिवार से 100 रुपये का बिल लेने की बात कही। जिसमें ओबेरॉय और ताज जैसे पांच सितारा होटल भी शामिल थे। इनमें वो भी थे जो कर देने की क्षमता रखते थे। टायलेट टैक्स जैसे कोई टैक्स नहीं है। जो लोग इस पर राजनीति करते है उन्हें समझना चाहिए। इसका सियासी लाभ नहीं लेना चाहिए। चीजों को पहले समझे और फिर बातें करनी चाहिए।"
वहीं, हिमाचल प्रदेश के जल शक्ति विभाग की ओर से बयान जारी करते हुए शहरी क्षेत्रों में टॉयलेट के हिसाब से टैक्स लेने की खबरों का खंडन किया गया। दरअसल, हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार के ‘टॉयलेट सीट टैक्स’को लेकर बीजेपी के बड़े बड़े नेताओं की ओर से सियासी रोटियां सेकने की कोशिश की गई, यही कारण है कि सीएम को सामने आकर बीजेपी के इस दुष्प्रचार का भंडाफोड़ करना पड़ा।
एक ओर जहां वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था ''अविश्वसनीय, अगर सच है। एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छता को जन आंदोलन बना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस लोगों से शौचालय के लिए टैक्स वसूल रही है।
वहीं मुख्तार अब्बास नकवी ने भी कहा कि महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर कांग्रेस सरकार हिमाचल के लोगों को इस तरह का उपहार दे रही है निश्चित तौर पर इससे ज्यादा असंवेदनशीलता नहीं हो सकती है। एक तरफ पीएम नरेंद्र मोदी हर घर में फ्री टॉयलेट मिले, चौक चौराहा और चौपालों में फ्री टॉयलेट की व्यवस्था हो, उसके लिए मजबूती के साथ अभियान चला रहे हैं, दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी अपने राज्य में टायलेट पर भी टैक्स लगा रही है, यह एक क्रिमिनल एक्ट है, इससे ज्यादा कुछ नहीं है।
बीजेपी नेताओं की ओर से जारी इन बयानों से ये तो साफ हो गया है कि हर बार की तरह एक बार फिर बीजेपी की ओर से कांग्रेस शासित राज्यों के जनहित फैसलों के मुद्दों पर राजनीति करने की कोशिश हुई है।
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