हिमाचल तबाहीः विधानसभा से राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव पास, BJP ने मौन रहकर किया विरोध
लोगों को समझ नहीं आया कि देवभूमि की तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने में बीजेपी को क्या तकलीफ है। कांग्रेस के विधायक और मंत्रियों ने बीजेपी को बार-बार याद दिलाया कि पीएम मोदी हिमाचल को अपना दूसरा घर बताते हैं। बावजूद इसके बीजेपी अपने स्टैंड से नहीं हिली।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में आज राज्य में भारी बारिश से हुई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित हो गया। साथ ही सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने केंद्र से 12000 करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज की मांग की जिससे राज्य को आपदा से उबारने में मदद मिल सके। हालांकि, आज बीजेपी ने उस समय एक नई इबारत लिख दी, जब राज्य के लोगों की दुहाई देते हुए भी वह राज्य के लोगों के ही खिलाफ खड़ी नजर आई और प्रदेश में आई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा का यह मानसून सत्र इस मायने में ऐतिहासिक है कि राज्य सदी की सबसे भीषण आपदा से जूझ रहा है। देवभूमि के लोग विधानसभा की तरफ देख रहे थे। लोगों को उम्मीद भी कि सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष भी इस विपदा की घड़ी में उनके साथ खड़ा नजर आएगा, लेकिन बीजेपी के स्टैंड ने राज्य के लोगों को हैरत में डाल दिया है। लोगों को यह नहीं समझ में आया कि देवभूमि में आई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर देने में बीजेपी को क्या तकलीफ है। सत्ता पक्ष के विधायकों और मंत्रियों ने बीजेपी को बार-बार यह भी याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल को अपना दूसरा घर बताते हैं। बावजूद इसके बीजेपी अपने स्टैंड से नहीं हिली।
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने यहां तक कहा कि प्रधानमंत्री को हिमाचल के पकवान याद रहते हैं। मगर, जब राज्य में आपदा की घड़ी आई तो प्रधानमंत्री को प्रदेश की याद नहीं आई। इसके बावजूद कि प्रदेश सदी की सबसे भीषण तबाही से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार हिमाचल को सता रही है। केंद्र ने नुकसान के आकलन के लिए टीमें भी भेजीं। आकलन भी कराया, लेकिन मदद के नाम पर अब तक कुछ भी नहीं आया। उन्होंने कहा कि विपक्ष कह रहा है कि केंद्र ने हेलीकॉप्टर दिए, लेकिन इन हेलीकॉप्टर का किराया तो हमने दिया है। केंद्र ने हेलीकॉप्टर मुफ्त में नहीं दिए। अब तक जो भी आर्थिक सहायता के नाम पर केंद्र से आया है वह डिजास्टर फंड के तहत आया है, जो सभी राज्यों को मिलना तय था।
अंतत: हिमाचल में आई प्राकृतिक विपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की ओर से सदन में रखे गए संकल्प को तीन दिन की लंबी चर्चा के बाद बुधवार को देर शाम ध्वानि मत से पारित कर दिया गया। अब यह प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा। वोटिंग के वक्त बीजेपी के विधायक मौन रहे।
इससे पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के प्रस्ताव पर तीन दिन चली चर्चा का जवाब दिया। उन्होंने इस त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा मानते हुए केंद्र से 12000 करोड़ के विशेष आर्थिक पैकेज की मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसा तबाही का मंजर पहले कभी नहीं देखा गया। प्रदेश में 441 लोगों की जान चली गई हैं और 39 लोग अभी भी लापता हैं। सीएम सुक्खू ने कहा कि इस आपदा से 12 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ। 16658 पशुओं की मौत हुई, 2621 घर पूरी तरह नष्ट हो गए, 12 हजार से ज्यादा घरों को आंशिक नुकसान हुआ, 318 दुकानें, 238 झोपड़ियां, 540 घराट और 5917 गौशालाएं तबाह हो गई हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पौंग, पंडोह, पार्वती-2 डैम प्रबंधन को बिना सूचना पानी छोड़ने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं, क्योंकि इससे डाउन स्ट्रीम में भारी नुकसान हुआ है। हालात बयां करते हुए सीएम ने कहा कि मार्च से मई तक गर्मियों के दौरान प्रदेश में नॉर्मल से 19 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई। इससे मिट्टी में जरूरत से ज्यादा नमी हो गई। 24 जून को जब मानसून आया तो तबाही का दौर शुरू हो गया। फिर 7 से 11 जुलाई के बीच नॉर्मल से 436 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई। 24 जून से 14 जुलाई तक नॉर्मल से 147 प्रतिशत और 11 से 14 अगस्त के बीच 157 प्रतिशत ज्यादा बारिश प्रदेश में हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में आई इस तबाही में टूरिज्म इंडस्ट्री को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। राज्य में टूरिस्ट नहीं आने से सरकार को भी राजस्व का काफी घाटा हुआ है। राष्ट्रीय हाईवे प्राधिकरण की लापरवाही से लारजी परियोजना बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिससे 657 करोड़ की क्षति हुई है।
कांग्रेस विधायक भवानी सिंह पठानिया ने कहा कि यदि केंद्र सरकार राज्य में आई विपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करती है तो हिमाचल को ऋण माफी और लोन पर भी सब्सिडी मिलेगी। नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से मिलने वाला बजट भी 90:10 के अनुपात में मिलेगा। कृषि मंत्री चंद्र कुमार का कहना है कि अब यह केंद्र की जिम्मेदारी है कि वह हमारी मदद करे। हिमाचल हर उस मापदंड पर खरा उतरता है, जिसके तहत उसे विशेष मदद मिलनी चाहिए।
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