कोरोना में बेपटरी हुई यूपी की स्वास्थ्य वयवस्था, अकेले लखनऊ में एक लाख से अधिक मरीज सर्जरी के इंतजार में
अप्रैल में जब कोरोना की दूसरी लहर तेज हुई, तो आपात मामलों और दुर्घटनाओं को छोड़कर अधिकांश अस्पतालों ने सर्जरी को प्रतिबंधित कर दिया था। हालांकि, डॉक्टर इस बात से सहमत हैं कि कुछ सर्जरी अगर एक समय से आगे टाली जाती हैं, तो मरीज के लिए घातक साबित हो सकता है।
उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने गहरा असर डाला है। इस दौरान एक तरह से सूबे की स्वास्थ्य प्रणाली पूरी तरह से पटरी से ही उतर गई। यही कारण है कि महामारी में सर्जरी का एक बड़ा बैकलॉग बन गया है। अकेले राजधानी लखनऊ में एक लाख से भी अधिक मरीज सर्जरी के लिए कतार में हैं, क्योंकि दूसरी लहर में अधिकांश अस्पताल सर्जरी के लिए बंद हो गए थे और कुछ जगह केवल आपातकालीन ऑपरेशन किए गए।
लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के एक वरिष्ठ संकाय सदस्य ने खुलासा किया है कि अकेले केजीएमयू में लगभग 45,000 सर्जरी का बैकलॉग है। पित्ताशय की समस्याओं, आंतों की समस्या, ट्यूमर, सुधारात्मक सर्जरी और यहां तक कि आथोर्पेडिक सर्जरी से संबंधित मरीज भी कतार में हैं। महामारी के कारण सर्जरी पर रोक लगा दी गई थी। इनमें से अधिकतर ऐच्छिक सर्जरी हैं जिनकी योजना पहले से बनाई जाती है और जिनकी कोई आपात आवश्यकता नहीं होती है।
हालांकि, डॉक्टर इस बात से सहमत हैं कि कुछ सर्जरी, अगर एक बिंदु से आगे टाल दी जाती हैं, तो मरीज के लिए घातक साबित हो सकती हैं। आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, लखनऊ के तीन प्रमुख सरकारी अस्पताल- किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और एसपीएम सिविल अस्पताल दूसरी लहर से एक दिन पहले तक औसतन 300 सर्जरी करते थे।
50 वर्षीय मीनू शर्मा अपने पित्ताशय में पथरी को हटाने के लिए दिसंबर 2019 से कतार में इंतजार कर रही हैं। मीनू ने कहा, ''पहले भी लंबा इंतजार था क्योंकि एक निजी वार्ड उपलब्ध नहीं था और फिर महामारी शुरू हो गई। मुझे नहीं पता कि मुझे सर्जरी के लिए कितना इंतजार करना होगा। मुझे गंभीर दर्द होता है, लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं है इसे सहन करने के अलावा।'' मीनू वर्तमान में कोविड से उबर रही हैं और उन्हें नहीं पता कि इससे उनकी सर्जरी में और देरी होगी या नहीं।
जब अप्रैल में महामारी की दूसरी लहर तेज हुई, तो आपातकालीन मामलों और दुर्घटनाओं को छोड़कर, अधिकांश अस्पतालों ने सर्जरी को प्रतिबंधित कर दिया था। केजीएमयू के संकाय सदस्य ने कहा कि स्टाफ की कमी के अलावा, कोरोना महामारी में रोगी के लिए संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है।
केजीएमयू के कुलपति, लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन पुरी ने कहा, ''हम दूसरी लहर के कम होने और सामान्य कामकाज शुरू होने के बाद भीड़ को प्रबंधित करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर सर्जरी को पुनर्निर्धारित करेंगे। जटिल समस्याओं वाले मरीजों का पहले ऑपरेशन किया जाएगा। हम पहले से ही अधिकतम निष्पादन की योजना पर काम कर रहे हैं। दक्षता से समझौता किए बिना सर्जरी संभव है।''
वहीं, एस.के. सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक नंदा ने कहा, "हमारे पास बैकलॉग के मुद्दे को हल करने के लिए पोस्ट लॉकडाउन ऑपरेशन के समय को बढ़ाने की योजना है।"
आरएमएलआईएमएस के प्रवक्ता श्रीकेश सिंह ने कहा, "हम मरीजों के संपर्क में हैं और जिनकी बीमारी अग्रिम चरण में है, उनका ऑपरेशन प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा।"
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