वह बीमार था, ब्लड प्रेशर का मरीज था, पानी के लिए तड़प रहा था, लेकिन उग्र भीड़ ने वहीं पैदा कर दिया एक और दादरी

दिल्ली से नैनीताल जाते हुए सड़क के किनारे जहां भी आपको बड़ी संख्या में तौलिया बिकते दिखाई पड़े, तो समझ लीजियेगा यही वो जगह है जहां इंसानियत शर्मसार हुई और सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में एक तड़पते हुए बीमार आदमी को एक घूंट पानी भी नहीं दिया गया।

फोटो : सोशल मीडिया
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आस मोहम्मद कैफ

देशभर में नफरत की राजनीति खौफनाक हो गयी है। सोमवार को नफरत की इसी राजनीति ने दादरी के पास एक और दादरी को पैदा कर दिया। दादरी से 30 किमी दूर पिलखुवा के बझेड़ा गाँव में गाय काटने की अफवाह के बाद उग्र हिंदूवादियों की भीड़ ने 50 साल के इंसान को पीट पीट कर मार दिया। वो तड़पता रहा, मगर उसके मजहब की पहचान बताकर उसे एक घूंट पानी तक नहीं दिया गया। उसकी जान बचाने आया 62 साल का एक किसान भी जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। इसके बाद पूरे इलाके में जबरदस्त सांप्रदायिक तनाव फैल चुका है।

पिलखुवा से यह ग्राऊंड रिपोर्ट बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है। चार साल बाद इस इलाके की ईद फिर से काली हो गई है।

"क़ासिम 50 साल से ज्यादा का था, 6 बच्चों का बाप, जवान हो रही बेटी की शादी की टेंशन वाला शख्स, थुलथुले बदन और ब्लडप्रेशर का मरीज़ था। बस इसलिए वो भाग नहीं पाया मौत से बचकर। उसे घेरकर मार दिया गया। एक बूंद पानी के लिए भी वो तड़पता रहा। जिंदा था तो पुलिस बचा नहीं पाई, मर गया तो उसकी कब्र पर पीएसी का पहरा है। या अल्लाह यह कैसी जिंदगी है।" कासिम के 65 साल के चाचा मेहर अली अपने दोनों हाथों में सिर पकड़े पिलखुवा के मोहल्ला सद्दीकनगर में क़ासिम के किराए के मकान वाले घर के बाहर बैठे हैं। वो जब यह कहते हैं, तो गम और दुख-तकलीफ उनके चेहरे पर तनाव लेकर आती है। वो कहते हैं, "सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि वो मुसलमान था। गाय कहां गई, उसे काटने के औजार कहां हैं, खून के निशान कहां हैं, कोई सबूत नहीं, अफवाह फैलाई और 6 बच्चों को यतीम कर दिया गया।”

वह बीमार था, ब्लड प्रेशर का मरीज था, पानी के लिए तड़प रहा था, लेकिन उग्र भीड़ ने वहीं पैदा कर दिया एक और दादरी

क़ासिम के घर के बाहर बैठे एक दर्जन से ज्यादा लोग एकदम सन्न हैं, चुप...यहां कोई अब तक समझ नहीं पा रहा है कि आखिर यह हुआ क्या !

दिल्ली से 50 किमी दूर पिलखुवा, हापुड़ जनपद का क़स्बा है। पहले यह मेरठ जनपद में आता था बाद में ग़ाज़ियाबाद का हिस्सा बन गया। फिर पंचशील नगर के नए नाम के साथ पिलखुवा को इस नए जिले में जोड़ दिया गया। दिल्ली से नैनीताल जाते हुए सड़क के किनारे जहां भी आपको बड़ी संख्या में तौलिया बिकते दिखाई पड़े, तो समझ लीजियेगा यही वो जगह है जहां इंसानियत शर्मसार हुई और सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में एक तड़पते हुए बीमार आदमी को एक घूंट पानी भी नहीं दिया गया।

इसी सड़क के किनारे बझेड़ा नाम का वो गांव है, जहाँ क़ासिम को ढोर (पालतू जानवर) की सूचना के साथ बुलाया गया था। इसी गाँव में क़ासिम का क़त्ल हुआ। हमें क़ासिम का भाई मोहम्मद सलीम (35) बताता है, "मेरे भाई गांव में बकरी बच्चा खरीद कर शहर में बेचते थे। यही उनके परिवार को पालने का जरिया था। वो 23 साल पहले अपने पुश्तैनी गांव ताड़ी से यहां चले आये थे। पिलखुवा में उनकी ससुराल है। बझेड़ा गांव का कोई आदमी उनसे मिला था जिसने उन्हें गांव में अपनी भैंस बेचने के लिए बुलाया था। ईद की वजह से वो तब नहीं जा सके। कल वो गये थे। घर पर पुलिस उनकी लाश लेकर आई। बहादुर क़ौम होने का दावा करने वाले शूरवीरों ने एक बूढ़े और अपने बच्चों का पेट पालने के लिए रोज़ी तलाशने गये एक निहत्थे आदमी को घेरकर मार दिया।”

वह बीमार था, ब्लड प्रेशर का मरीज था, पानी के लिए तड़प रहा था, लेकिन उग्र भीड़ ने वहीं पैदा कर दिया एक और दादरी

सोमवार को दोपहर बाद 3 बजे पुलिस ने घर फोन कर बताया की क़ासिम के साथ झगड़ा हुआ है। उन्हें रामा हॉस्पिटल ले जाया गया जहां वो हमें जिन्दा नहीं मिले।

चार भाईयों वाले क़ासिम के एक और भाई मोहम्मद शाईक (45) के अनुसार, "वो वहीँ मर चुके थे। आप वीडियो में देखिये कैसे तड़प रहे हैं, जैसे बिना पानी के मछली तड़पती है। क्या 50 साल का थुलथुल बदन वाला अकेला आदमी गाय काट सकता है। फिर गाय कहां है! यह झूठी अफवाह फैलाकर दंगा कराने की नीयत से की गई साजिशजन हत्या है।"

वह बीमार था, ब्लड प्रेशर का मरीज था, पानी के लिए तड़प रहा था, लेकिन उग्र भीड़ ने वहीं पैदा कर दिया एक और दादरी

क़ासिम के साथ एक और दूसरे व्यक्ति समीउद्दीन भी घायल हुए हैं। उन्हें हापुड़ के देवी नंदिनी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इत्तेफ़ाक़ यह है उनकी उम्र तो 60 साल से भी ज्यादा है। पिलखुवा थाने में इस घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने वाले समीउद्दीन के भाई यामीन कहते हैं, "मतलब कहानी यह गढ़ी है कि एक बीमार और एक बूढ़ा आदमी दोनों मिलकर गाय काट रहे थे, जबकि न उनके पास छुरी थी और न वहां गाय थी। बात साफ़ सुथरी है। यह गाय के नाम पर साज़िश कर दंगा कराने के लिए लिए हत्या है"।

वैसे घटना की खोज में कुछ और ही है। समीउद्दीन (62) मदेपुर के रहने वाले हैं। मदेपुर गांव घटनास्थल वाले बझेड़ा गांव के एकदम पास में है। दोनों गांव के खेत खलिहान एक दूसरे से मिले हुए हैं। दोनों गांव राजपूतों के हैं। मदेपुर में मुस्लिम राजपूत रहते हैं। जबकि बझेड़ा हिन्दू राजपूत बाहुल्य है। इनमें वर्चस्व की लड़ाई रहती है। यहां अक्सर साम्प्रदायिक तनाव हो जाता है और दोनों गांव में नफरत काफी बढ़ गई है। जिस समय भीड़ गाय काटने की अफवाह पर क़ासिम को पीट रही थी, तो समीउद्दन अपने खेत पर काम कर रहे थे। उन्होंने साहस करते हुए क़ासिम को बचाने की कोशिश की, जिसके बाद उनकी भी पिटाई की गई, जिससे वो बेहोश हो गए। फिलहाल वो खतरे से बाहर हैं।

पिलखुवा में पिछले कुछ सालों से आपसी संबधों में काफी बिगाड़ आया है। स्थानीय निवासी मोहम्मद शाहीन हमें बताते है कि, "यह ताल्लुक 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद ज्यादा खराब हुए हैं। दरअसल इस चुनाव में धौलाना विधानसभा से पांच बार के सांसद रमेश चंद्र तोमर ने चुनाव लड़ा था, जिन्हें बीएसपी के असलम चौधरी ने हरा दिया। जबकि यहां योगी आदित्यनाथ और अमित शाह दोनों ने इस चुनाव को "मौलाना बनाम धौलाना" की उपमा देकर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की थी। उसके बाद से ही रिश्तों में थोड़ी तल्खी बढ़ीहै। हालांकि यह आम लोगों के बीच नहीं है, मगर राजनीतिक कार्यकर्ताओं में साफ दिखती है।

इस बात से क़ासिम के परिवार वाले भी सहमत हैं। क़ासिम के सबसे बड़े बेटे महताब(24) बझेड़ा के बीजेपी से जुड़े नेता किरणपाल के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कहते हैं। किरणपाल क़ासिम की मौत से ठीक पहले एक वीडियो में क़ासिम से बात कर रहा है। तभी भीड़ वीडियो बनाने वाले युवक के पीछे दौड़ती है। बझेड़ा गांव में किरणपाल का ख़ासा दबदबा है और उसकी कई बीजीपी नेताओं से नजदीकी है। बताते हैं कि पिलखुवा थाने में भी उसकी धाक है। हालांकि उसका नाम मुक़दमे में नही है।

हापुड़ के एसपी संकल्प शर्मा ने बताया कि समीउद्दीन के भाई यामीन की तरफ से 5 अज्ञात लोगो के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। इस रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने राकेश और युधिष्ठर नाम के दो लोगों को अब तक गिरफ़्तार किया है। बाकी गिरफ़्तारियों के लिए पुलिस प्रयास कर रही है। किरणपाल की भूमिका की भी जांच की जा रही हैं। एसपी के अनुसार मौके पर गाय काटे जाने को लेकर कोई सूबत नहीं मिले हैं। गाय काटे जाने की सिर्फ अफवाह फैलाई गई। इस घटना को लेकर तमाम विकट परिस्थितियां उत्पन्न जी गई हैं। स्थानीय लोग मान रहे हैं कि यह सामान्य घटना नहीं है।

समाजवादी पार्टी के नेता मोहम्मद गफ्फार मदेपुर और बझेड़ा गांव के बीच वाले गांव देहरा में रहते हैं। वो अपनी जानकारी से इस साजिश से पर्दा उठाने की कोशिश करते हुए बताते है कि, "बझेड़ा गांव से शहर जाने का रास्ता मदेपुर और देहरा से होकर गुजरता है। देहरा में फैक्ट्री होने के कारण बझेड़ा के सैकड़ों लड़के यहां काम करते हैं, मगर इस दिन ज्यादातर लड़के छुट्टी पर रहे और दोनों गांवों से निकलकर बझेड़ा के लोग पिलखुवा कम गये। यह घटना 3 बजे हुई, जबकि बझेड़ा के लोगों ने सुबह से ही गांव से बाहर आना बंद कर दिया था। जाहिर है अंदर कुछ चल रहा था। स्थानीय विधायक असलम चौधरी कहते हैं कि "जल्दी ही इस साजिश का पर्दाफाश हो जायेगा। यहां अमनपसंद लोग ज्यादा हैं और हिन्दूओं ने भी शिद्दत से इस घटना की निंदा की है"।

वह बीमार था, ब्लड प्रेशर का मरीज था, पानी के लिए तड़प रहा था, लेकिन उग्र भीड़ ने वहीं पैदा कर दिया एक और दादरी

क़ासिम कुरैशी की सयानी हो रही बेटी निशा (17) अपने घर के दरवाजे पर उदास खड़ी है। तीन दिन पहले की उसकी ईद मातम में बदल गई है। शारिक हमें बताते हैं कि, "क़ासिम बेटी को जवान होते देख परेशान रहता था। वह जितना कमाता था, उतना खर्च हो जाता था। बेटी की शादी की चिंता उसे लगातार सता रही थी। बड़ा बेटा शादी के बाद अलग हो गया था। रोते हुए निशा कह रही थी, "अब्बू ईद पर खुद नए कपड़े नहीं बनाते थे, मगर हमें दिलाते थे। वो पुराने कपड़े धुलवाकर पहन लेते थे, इन्हें भी कई कई दिन दिन तक पहने रखते थे। अब हर ईद पर वो बहुत याद आएंगे। हमारी ईद हमेशा के लिए खराब हो गई"।

कुछ बरस पहले यहीं पास के दादरी में फ्रिज में गाय का गोश्त होने की अफवाह में चार साल पहले अख़लाक़ को पीट-पीट मार दिया गया था। अख़लाक़ की हत्या में जेल गए लड़के पिलखुवा में भी घूमते है। दादरी और पिलखुवा पास-पास ही हैं।

क़ासिम का बेटा महताब इंसाफ मांग रहा है मगर सिस्टम ऐसा है कि बझेड़ा के लड़के कुछ समय बाद दादरी में घूमते दिखाई देंगे। क़ासिम के 6 बच्चो में चार तो यह भी नहीं जानते कि अब्बू कहां चले गए! इस सबके बीच मदेपुर और बझेड़ा में भारी तनाव है। यहाँ पुलिस ने अपनी सारी ताक़त लगा दी है। अभी तक सब शांत है, मगर ये शांति क्या किसी आने वाले तूफान की सूचक है, माहौल में उसकी आहट महसूस की जा सकती है।

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Published: 20 Jun 2018, 10:09 AM