हरियाणा: 24 घंटे में बदली सरकार और सियासत की तस्वीर, विश्वास प्रस्ताव के बीच कांग्रेस ने गिनाई सरकार की नाकामियां
हरियाणा ने 24 घंटे के भीतर सरकार और सियासत दोनों में भारी उलटफेर देखा। राज्य में बीजेपी की नई सरकार आई तो उसकी सहयोगी जेजेपी दोफाड़ का शिकार हो गई। इसी दौरान नई सरकार के विश्वास मत के दौरान मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने सरकार की नाकामियां गिनाईं।
हरियाणा की सियासत में फिर एक नई इबारत लिखी गई। राज्य की सरकार में बीजेपी के साथ भागीदार रही जन नायक जनता पार्टी (जेजेपी) दो-फाड़ हो गई। नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पास करने से पहले देश के विधायी इतिहास में शायद पहली बार किसी राजनीतिक दल के तौर पर जेजेपी ने अपने विधायकों को सदन से अनुपस्थिति रहने के लिए व्हिप जारी किया। भारी हंगामे के बीच नायब सैनी ने फ्लोर टेस्ट तो पास कर लिया, लेकिन कांग्रेस के विधायकों ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाकर विधानसभा चुनाव कराने की मांग की।
महज 24 घंटे में ही हरियाणा में राज्य की सरकार और सियासत की तस्वीर पूरी तरह बदल गई। जिनके नेतृत्व में चुनाव लड़ने का बीजेपी दम भर रही थी, वह मनोहर लाल खट्टर पूर्व सीएम से लोकसभा उम्मीदवार हो गए। एक दिन पहले यानि 12 मार्च तक बीजेपी के साथ सरकार चला रही जेजेपी के अपने विधायकों को विधानसभा से अनुपस्थित रहने का व्हिप जारी करने के बावजूद उसके 5 विधायक सदन पहुंच गए।
साफ है कि दुष्यंत चौटाला की जन नायक जनता पार्टी दोफाड़ हो गई। जो विधायक सदन पहुंचे उनमें जेजेपी कोटे से खट्टर सरकार में मंत्री रहे देबेंद्र बबली, रामकुमार गौतम, राम निवास सुरजाखेड़ा, ईश्वर सिंह और जोगीराम सिहाग शामिल थे। हालांकि, सरकार के विश्वास प्रस्ताव पेश करने से पहले ये पांचो विधायक सदन से बाहर निकल गए थे। इस तरह जेजेपी के यह पांचो विधायक पार्टी के व्हिप से भी बच गए और बीजेपी के पाले में जाने का संदेश भी दे दिया।
सरकार की तरफ से पेश विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत में ही कांग्रेस के रोहतक से विधायक बीबी बत्रा ने नियम-3 के तहत इस तरह सत्र बुलाने पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि एक दिन पहले यानि 12 मार्च को रात में साढ़े दस बजे विस का सत्र बुलाने का संदेश मिला। ऐसी क्या इमरजेंसी थी कि इस तरह विस का सत्र बुलाया गया। विधायक चंडीगढ़ से 300 किलोमीटर की दूरी तक रहते हैं। उनका चंडीगढ़ पहुंचना इतनी जल्दी कैसे संभव है। इस पर स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता का तर्क था कि सेशन कभी भी शार्ट नोटिस पर बुलाया जा सकता है। यह विधायक की जिम्मेदारी है कि वह सत्र के लिए तय समय पर पहुंचे।
नेता विरोधी दल भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी यही सवाल उठाया और कहा कि वे इस बारे में जवाब सरकार से चाहते हैं। सरकार की तरफ से जवाब देने के लिए सीएम नायब सैनी की जगह पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के खड़े होने पर विपक्ष ने आपत्ति दर्ज कराई। इस पर विधान सभा में हंगामे के हालात बने। हुड्डा ने कहा कि यह पहली बार हुआ है कि सत्र से पहले विधान सभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक भी नहीं बुलाई गई। हुड्डा का कहना था कि जो भी विधायक विश्वास प्रस्ताव पर बोलना चाहता है उसके बोलने तक सत्र चलना चाहिए। अंतत: स्पीकर ने चर्चा के लिए 2 घंटे का समय तय कर दिया।
कांग्रेस की तरफ से चर्चा का आरंभ करते हुए पूर्व स्पीकर डा. रघुबीर कादियान ने सरकार में हुए बड़े बदलाव पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र में कुछ फैसलों का एक्सरे होना चाहिए। डा. कादियान ने कहा कि ऐसी राजनीतिक घटनाएं बहुत कम देखने को मिलती हैं। उन्होंने दावा किया कि यह बदलाव इसलिए हुआ क्योंकि सरकार के खिलाफ एंटी-इंकंबेंसी है। सरकार पर हमला करते हुए कादियान ने कहा कि एंटी-इंकंबेंसी किसी एक व्यक्ति की वजह से नहीं होती है। यह पूरे सिस्टम से होती है। कादियान ने कहा कि किसान बदहाल होकर सड़कों पर बैठा है। कर्मचारी ओपीएस के लिए संघर्ष कर रहा है। सरपंचों पर लाठीचार्ज किया गया। प्रदेश में अस्थिरता की स्थिति है। प्रदेश भ्रष्टाचार में नंबर वन है। रोजाना घोटाले हैं। डकैती और मर्डर सरेआम हो रहे हैं। महंगाई और बेरोजगारी में भी प्रदेश नंबर वन है। मनरेगा को बंद कर दिया है। व्यापारी परेशान है।
कादियान ने मांग की कि ऐसे हालात में प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाकर नया जनादेश लिया जाना चाहिए। कादियान ने विश्वास प्रस्ताव पर सीक्रेट वोटिंग की मांग करते हुए कहा कि ऐसा होने पर आपके पांच विधायक इसके खिलाफ वोट करेंगे।
विधायक रावदान सिंह ने भी चर्चा के दौरान कहा कि सीएम बदलने से कुछ नहीं होगा यह जनता सब कुछ जानती है। राव दान सिंह ने भी सीक्रेट वोटिंग की मांग की। विधायक नीरज शर्मा ने कहा कि परिवार पहचान पत्र, प्रापर्टी आईडी और शराब घोटाले का जवाब जनता देगी। विधायक शेमशेर सिंह गोगी ने सवाल खड़ा किया कि यदि मनोहर लाल ने सब अच्छा किया था तो इस बदलाव की नौबत ही क्यों आई। सीएम आवास का नाम संत कबीर कुटीर रखने से कुछ नहीं होगा। गोगी ने कहा कि एक बृजेंद्र सिंह के कांग्रेस में आने के अगले दिन इतना बड़ा फैसला हो गया। उन्होंने तंज करते हुए कहा कि उम्मीद है कि अगले सत्र में एक और नए सीएम से मुलाकात होगी।
विधायक गीता भुक्कल ने कहा कि इस सरकार में किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे गए, सिर फोड़े गए, गोली मारी गई। बहन-बेटियों की क्या हालत की गई। सरकार ने जनता का विश्वास खो दिया है। गीता भुक्कल ने एक तकनीकी सवाल उठाया कि गवर्नर हाउस में मंत्री पद की शपथ लेते हुए चौधरी रणजीत सिंह चौटाला ने अपना नाम ही नहीं लिया।
निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने कहा कि युवा नौकरी के लिए भटक रहे हैं। किसान सड़कों पर नहीं होता यदि उसका ख्याल रखा होता। सरकार काम करती तो यह दिन नहीं देखने पड़ते। कुंडू ने कहा कि पीएम गुरुग्राम आए थे, लेकिन जनता नहीं थी। एमपी के सीएम की नारनौल रैली में कुर्सियां खाली पड़ी थीं। तभी पीएम को समझ में आ गया कि हालात ठीक नहीं हैं।
विधायक आफताब अहमद ने नूंह दंगे में निर्दोष लोगों पर एक्शन के लिए सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि नूंह में सीएम की रैली में 500 बसें लगाई गई थीं, लेकिन गांवों से लोगों को ढोकर लाने के लिए भेजी गई इन बसों में 3-3 लोग ही थे। सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है। आफताब अहमद ने भी राष्ट्रपति शासन लगा कर चुनाव करवाने की मांग की।
अंत में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने सरकार पर बड़े हमले किए। उन्होंने कहा कि विश्वास प्रस्ताव लाने की नौबत ही क्यों पड़ी। बीजेपी को यमुना पार करने का वादा करने वाली जेजेपी के साथ सरकार बना ली। इस सरकार का कोई आधार ही नहीं था। हुड्डा ने कहा कि इस सरकार में कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तक नहीं बन पाया। फिर हरियाणा के लोगों के साथ धोखा किया जा रहा है।
नए सीएम को नाईट वाच मैन की संज्ञा देते हुए हुड्डा ने इस बदलाव को सिर्फ टाईम गैप अरेंजमेंट करार दिया। हुड्डा ने मांग की कि हाउस को डिजाल्व करो और चुनाव कराओ। हरियाणा के साथ धोखा न करो।
कांग्रेस की सीक्रेट वोटिंग की मांग न मानने पर विरोध करने के बावजूद स्पीकर ने ध्वनिमत से विश्वास प्रस्ताव पास करा दिया। अंत में सरकार पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की विदाई पर सदन में धन्यवाद प्रस्ताव ले आई, जिसका कांग्रेस ने भारी विरोध किया। हुड्डा का कहना था कि पूर्व सीएम को धन्यवाद देना है तो वह सदन में ऐसे ही धन्यवाद दे सकते हैं। यदि प्रस्ताव लाया जाएगा तो हम इसके विरोध में वाकआउट करेंगे, जिसके बाद सरकार ने धन्यवाद प्रस्ताव वापस ले लिया।
अंत में एक और खबर शायद बीजेपी को देनी थी। लिहाजा, पूर्व मुख्यमंत्री ने समूचे सदन को सहयोग के लिए धन्यवाद देते हुए विधायक पद से भी इस्तीफे का ऐलान कर दिया।
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