हरियाणाः बीजेपी सरकार में रजिस्ट्री घोटाला! कांग्रेस ने पूछा- क्या खट्टर सरकार इसे भी ठंडे बस्ते में डालेगी
रणदीप सुरजेवाला ने पूछा कि क्या खट्टर सरकार ‘रजिस्ट्री घोटाले’ की हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जांच करवाएगी और क्या मुख्यमंत्री सामने आकर सारे तथ्य हरियाणा की जनता से साझा करेंगे या फिर शराब घोटाले की जांच की तरह इस घोटाले को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
हरियाणा में बीजेपी सरकार के पिछले 6 साल के शासनकाल में घोटालों की एक लंबी फेहरिस्त है। इस सूची में अब रजिस्ट्रियों में हुए गड़बड़झाले की सुर्खियां भी जुड़ गई हैं। एनसीआर के जिलों- गुरुग्राम, सोनीपत और फरीदाबाद में अवैध कॉलोनियों की रजिस्ट्री में बड़ा खेल हुआ है। आरोप में 1000 करोड़ तक के घोटाले की बात है। कांग्रेस ने सरकार को इस पर घेरते हुए कहा कि खट्टर सरकार में घोटालों का अंबार लग गया है। नित नए उजागर हो रहे घोटालों ने सरकार की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।
कांग्रेस के अखिल भारतीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने हमला बोलते हुए कहा कि “खट्टर सरकार के 6 साल में घोटालों की एक लंबी सूची है। मसलन, धान खरीद घोटाला पार्ट-1, धान खरीद घोटाला पार्ट-2, अरावली लैंड यूज घोटाला, यमुना खनन घोटाला, ओवरलोडिंग घोटाला, रोडवेज किलोमीटर स्कीम घोटाला, एचएसएससी भर्ती घोटाला, पेपरलीक घोटाला, एचटीईटी घोटाला, गीता जयंती घोटाला, छात्रवृत्ति घोटाला, बिजली मीटर घोटाला, शराब घोटाला और अब रजिस्ट्री घोटाला।”
सुरजेवाला ने कहा कि 21 जुलाई, 2020 को खट्टर सरकार ने एक चौंकाने वाला आदेश जारी कर पूरे हरियाणा में 26 दिन के लिए रजिस्ट्रियों पर रोक लगा दी। सार्वजनिक तौर पर और समाचार पत्रों से यह उभर कर सामने आया है कि असल में रोक के यह आदेश गुरुग्राम, सोनीपत, फरीदाबाद, यानि दिल्ली-एनसीआर में हुए नजायज संपत्ति पंजीकरण की शिकायतों को लेकर आनन-फानन में जारी किए गए हैं। आदेश में तो आईटी अपग्रेडेशन का हवाला दिया गया, पर असल कारण लॉकडाउन का फायदा उठा भू-माफियाओं द्वारा दिल्ली-एनसीआर की जमीन में अवैध कॉलोनियां काट रजिस्ट्रियां और कन्वेयंस डीड करवाने का नाजायज खेल बताया जा रहा है। एक समाचार पत्र ने तो इस घोटाले का आंकलन 1,000 करोड़ रुपये किया है।
सुरजेवाला ने कहा कि सार्वजनिक पटल पर उपलब्ध सूचना में यह भी सामने आया है कि इस गड़बड़झाले में सरकार में उच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों और अफसरों का सीधा-सीधा हाथ है। गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत आदि से बड़ी संख्या में इस बारे में शिकायत सामने आई है।
उन्होंने कहा कि कोरोना लॉकडाउन के समय इसी प्रकार एक बहुत बड़ा शराब घोटाला हुआ। यहां तक कि आबकारी और कराधान विभाग की आंतरिक जांच में 1 करोड़ शराब-बीयर इत्यादि की बोतलों का सीधे-सीधे घालमेल पाया गया है। शराब माफिया ने खूब चांदी कूटी और सरकार के खजाने को चूना लगाया। मुख्यमंत्री ने 15 दिन में जांच संपूर्ण करने का वादा किया, पर हुआ वही- ढाक के तीन पात। जांच को पचड़े में डाल दिया गया।
सुरजेवाला का कहना है कि रजिस्ट्री घोटाले में तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आज तक जांच के बारे में एक शब्द तक नहीं कहा। उन्होंने पूछा कि “क्या खट्टर सरकार को भूमाफिया द्वारा लॉकडाउन की अवधि में किए गए रजिस्ट्री घोटाले की जानकारी है? यदि हां, तो इसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा? क्या रजिस्ट्री घोटाले में सरकार में बैठे लोगों और चहेते अधिकारियों का सीधा-सीधा हाथ है? यदि हां, तो उनके नाम और चेहरे उजागर क्यों नहीं किए जा रहे? क्या अवैध कॉलोनियां काटने, नाजायज रजिस्ट्री और कन्वेयंस डीड करने, सरकार के खजाने को चूना लगाने के बारे में अनेकों शिकायतें खट्टर सरकार के पास हैं? यदि हां, तो उन्हें जनता के समक्ष रख दोषियों को बेनकाब क्यों नहीं किया जा रहा?”
इसका साथ ही रणदीप सुरजेवाला ने पूछा कि क्या खट्टर सरकार ‘रजिस्ट्री घोटाले’ की हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जांच करवाएगी? सरकार से पांचवां सवाल करते हुए सुरजेवाला ने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री सामने आकर सारे तथ्य हरियाणा की जनता से साझा करेंगे या फिर शराब घोटाले की जांच की तरह इस घोटाले को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
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