हरियाणाः मानसून सत्र के पहले दिन फंसी खट्टर सरकार, चंद्रयान-3 पर भूपेंद्र हुड्डा ने नेहरू का योगदान दिलाया याद
खट्टर सरकार को पता था कि नूंह हिंसा पर वह पहले दिन ही घिरने वाली है। इससे बचने के लिए लॉ एंड ऑर्डर पर चर्चा के विपक्ष के प्रस्ताव को उसने स्वीकार ही नहीं किया। लेकिन फिर भी बाढ़, मुआवजा और परिवार पहचान पत्र जैसे मुद्दों पर सरकार बुरी तरह घिर गई।
हरियाणा विधानसभा का आगाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यशोगान से हुआ, जिस पर विपक्ष ने सवाल उठा दिए। दरअसल नूंह हिंसा पर चर्चा से बचने के लिए सीएम खट्टर मिशन चंद्रयान-3 की सफलता का पूरा श्रेय पीएम को देते हुए एक प्रस्ताव ले आए, जिस पर विपक्ष ने कहा कि यह सफलता कोई एक दिन में नहीं मिली है। इसमें पंडित नेहरू का भी उतना ही योगदान है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का भी बड़ा योगदान है। किसी एक व्यक्ति को देश को मिली इस बड़ी कामयाबी का श्रेय देना ठीक नहीं है। इसके बाद सरकार सत्र के पहले दिन ही कई बार फंसी और उसे कोई जवाब नहीं सूझ रहा था।
चंद्रयान-3 पर पीएम मोदी का यशोगान पड़ा भारी
शुक्रवार सुबह 11 बजे मानसून सत्र का आगाज होते ही शोक प्रस्ताव के बाद सरकार मिशन चंद्रयान-3 की सफलता पर प्रस्ताव लेकर आ गई। मुख्यमंत्री खुद प्रस्ताव पढ़ने के लिए खड़े हुए। प्रस्ताव में देश को मिली इस कामयाबी का पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देने पर विपक्ष ने सवाल उठा दिए। नेता विरोधी दल भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि चंद्रयान-3 की कामयाबी कोई एक दिन में नहीं मिली है। यह अचीवमेंट एक दिन की नहीं है। इसमें हर प्रधानमंत्री का योगदान है। पंडित नेहरू का इसमें बड़ा योगदान है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का योगदान है।
अनिल विज और भूपेंद्र हुड्डा के बीच तकरार
इस पर सत्ता पक्ष को तकलीफ हुई। गृह मंत्री अनिल विज और हुड्डा के बीच इसे लेकर बहस शुरू हो गई। स्पीकर के अनिल विज से बैठने के लिए कहने पर वह नाराज होकर सदन से बाहर चले गए, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष को कहना पड़ा कि कोई गलतफहमी हुई है। हमने गृह मंत्री से बाहर जाने के लिए नहीं कहा है। वह सदन के अंदर आ जाएं। सरकार को पता था कि नूंह हिंसा पर वह पहले दिन ही घिरने वाली है। इससे बचने के लिए लॉ एंड ऑर्डर पर विपक्ष की तरफ से चर्चा के लिए लाए गए प्रस्ताव को उसने स्वीकार ही नहीं किया।
नूंह हिंसा पर विपक्ष के सवाल उठाने पर सदन की अध्यक्षता कर रहे डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा ने कहा कि हमने इसे ले लिया है और सरकार को टिप्पणी के लिए भेजा है, सोमवार को बताएंगे। लेकिन अपने कार्यकाल की महत्वपूर्ण उपलब्धि के तौर पर परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) को पेश करने वाली सरकार इस पर बुरी तरह घिर गई। विपक्ष के विधायकों ने कहा कि परिवार पहचान पत्र का हाल यह है कि बीजेपी के हरियाणा से राज्यसभा सदस्य राम चंद्र जांगड़ा की आय पीपीपी में 1.80 लाख बताई गई है। रोहतक के मेयर की आय भी 1.80 लाख बताई गई है। हुड्डा ने कहा कि यह सब सरकार के पोर्टल की वजह से हुआ है। परिवार पहचान पत्र जनता के लिए परमानेंट परेशानी पत्र बन चुका है।
परिवार पहचान पत्र पर बुरी तरह घिरी सरकार
खट्टर सरकार एक और बड़ी विचित्र स्थिति में तब फंस गई जब विपक्ष ने पीपीपी के नियमों को लेकर सवाल उठा दिए। कांग्रेस के विधायकों ने कहा कि पीपीपी के नियम विधानसभा में कभी रखे ही नहीं गए। कोई अथॉरिटी कैसे विधानसभा से पास हुए बगैर कोई नियम बना सकती है। आश्चर्य की बात यह है कि सीएम को भी यह नहीं पता था कि पीपीपी के नियम सदन के पटल पर आए हैं या नहीं। सीएम कहने लगे कि यदि नहीं आए हैं तो इसी सत्र में सदन में पीपीपी का मसौदा रख दिया जाएगा।
इसके बाद बाढ़ से हरियाणा में हुई तबाही पर तमाम प्रस्तावों को क्लब कर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के रूप में स्वीकार कर इस पर चर्चा शुरू हुई। इस पर सरकार को न सिर्फ विपक्ष ने घेरा बल्कि सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी गंभीर सवाल उठाए। कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी ने सवाल उठाया कि एक तरफ सरकार कहती है कि जिन किसानों की फसल खराब हुई है, वह क्षतिपूर्ति पोर्टल पर आवेदन करें। दूसरी तरह अंबाला नगर परिषद सदर ने क्षतिपूर्ति के आवेदन के लिए एक फार्म जारी किया है। सरकार के यह दो मानदंड क्यों हैं। कांग्रेस के विधायक बिशन लाल सैनी ने सवाल उठाया कि सरकार ने मानसून से 3-4 महीने पहले बाढ़ से निबटने के प्रबंध क्यों नहीं किए।
बाढ़ पर चौतरफा घिरी खट्टर सरकार
विधायक मेवा सिंह ने कहा कि बाढ़ आने से पहले क्या सरकार सोई हुई थी। नदी-नाले रेत और गाद से भरे पड़े हुए हैं। सरकार ने इनकी सफाई क्यों नहीं करवाई। जगबीर सिंह मलिक ने कहा कि सरकार ने पिछले सत्र में एक कमेटी बनाने का वादा किया था। आज तक कोई कमेटी क्यों नहीं बनी। इनेलो के अभय चौटाला ने कहा कि 19 जनवरी 2023 को एक मीटिंग हुई थी, जिसमें बाढ़ प्रबंधन के लिए 1100 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे। सरकार बताए कि यह कहां खर्च हुए। अभय चौटाला ने कहा कि घग्घर नदी पर बने बांध में सरकार ने मिट्टी डलवाने के अलावा कुछ नहीं किया।
खट्टर सरकार की हालत पर अभय चौटाला ने दो उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि दुष्यंत चौटाला समालखा गए थे। साथ में डीसी भी थे। वहां एक गौशाला पानी से डूब गई थी। गौशाला का प्रबंधक मदद की गुहार लगा रहा था। लेकिन मदद देने की जगह दुष्यंत ने डीसी से कहा कि यह गौशाला इतनी नीची जमीन पर कैसे बनी है, इसकी जांच करवाओ। अभय चौटाला ने कहा कि फिर तो गृह मंत्री अनिल विज का घर भी अंबाला में बाढ़ से डूब गया था, उसकी भी जांच करवाओ। इससे पहले डिप्टी स्पीकर से अभय चौटाला की इस बात को लेकर बहस हुई कि यदि मंत्री सही जवाब नहीं देता है तो क्लैरीफिकेशन का अधिकार उन्हें दिया जाए। इस पर हुड्डा ने भी कई बार दखल दिया। अंत में सही जवाब नहीं मिलने पर अभय चौटाला ने वाकआउट कर दिया।
कांग्रेस विधायक शमशेर गोगी ने कहा कि सरकार यह बताए कि बाढ़ प्रबंधन में कितना पैसा खर्च किया गया है। किसकी जेब में गया है। सरकार एक जांच आयोग बनाकर जांच करे। किरण चौधरी ने कहा कि 7 साल से ड्रेनों की सफाई नहीं हुई है। सरकार बताए कि किस अधिकारी पर क्या कार्रवाई हुई। नेता विरोधी दल भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार के प्रबंधन की हालत बताते हुए कहा कि पंचकूला के कौशल्या डैम के 6 गेट में से 4 गेट तो काम ही नहीं कर रहे हैं। सोचो यदि पहाड़ से और पानी आ जाता और डैम टूट जाता तो कितनी तबाही होती।
जब डिप्टी सीएम ने ही डिप्टी स्पीकर को कर दिया चैलेंज
हरियाणा विधानसभा में आज सत्ता पक्ष में उस वक्त बड़ी अजीब स्थिति पैदा हो गई जब सरकार में उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा को ही चैलेंज कर दिया। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि आप नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हो। दरअसल बाढ़ से हुई तबाही पर विपक्ष की ओर से आए अल्प अवधि चर्चा के प्रस्ताव को कई और समान विषय के प्रस्तावों के साथ मिलाकर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में परिवर्तित कर दिया गया था। यह विभाग दुष्यंत चौटाला के पास है। जाहिर है कि जवाब भी उन्हीं को देना था। दुष्यंत ने रूल बुक दिखाते हुए डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा को चैलेंज किया कि पहले कभी इस तरह अल्प अवधि चर्चा के प्रस्ताव को परिवर्तित नहीं किया गया है। यदि कहीं रूल बुक में है या कभी किया गया है तो दिखाएं। आप नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
काफी देर तक दुष्यंत अपने स्टैंड पर अड़े रहे और सदन की कार्यवाही रुकी रही। इसके साथ ही डिप्टी सीएम कहने लगे कि ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सिर्फ 5 लोगों को सवाल पूछने की अनुमति है, लेकिन आपने इतने लोगों को अनुमति दे दी है। मैं किस-किस को जवाब दूंगा। उस वक्त सदन में बड़ी अजीब स्थिति थी। मुख्यमंत्री सदन में मौजूद नहीं थे और प्रोटोकॉल के हिसाब से सरकार में नंबर दो ही पीठ को चैलेंज कर रहा था। हालत यह थी कि सदन में मौजूद मंत्री दाएं-बाएं देख रहे थे। हालात तब और विचित्र हो गए जब कुलदीप बिश्नाई के पुत्र और बीजेपी विधायक भव्य बिश्नाई ने कह दिया कि मैं डिप्टी सीएम पर दया दृष्टि रखते हुए कोई सवाल नहीं करूंगा, क्योंकि इन पर आज बहुत हमले हो रहे हैं।
अपनों से भी बुरी तरह घिरी सरकार
सरकार पर हमले यहीं खत्म नहीं हुए। कैथल के गुहला चीका से जेजेपी विधायक ईश्वर सिंह ने भी सरकार को जमकर घेरा। बाढ़ का जायजा लेने गए ईश्वर सिंह को ही एक बुजुर्ग महिला ने थप्पड़ जड़ दिया था। उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र के 70 गांव बाढ़ के पानी की चपेट में आए हैं। 76 भैंसें मर गई हैं। 2 लोगों ने जान गवाई है। बाढ़ के पानी में कश्तियां चलानी पड़ी हैं। सरकार को जब पता है कि हर साल बांध यहां से टूटता है तो क्यों नहीं ठीक करवाया गया। वहीं बीजेपी विधायक लक्ष्मण नापा ने कहा कि हमारे क्षेत्र में 70 गांव प्रभावित हुए हैं। तटबंध पक्के किए जाएं। सबमर्सिबल पंप टूटने से किसानों का नुकसान काफी हुआ है। उन्हें मुआवजा दिया जाए।
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