खट्टर सरकार ने 6 साल में विज्ञापन पर लुटाए 385 करोड़, इसका आधा भी ऑक्सीजन प्लांट पर खर्च होता तो बच जाते सैकड़ों लोग
हरियाणा की खट्टर सरकार ने माना है कि उसने बीते 6 साल के दौरान अपने प्रचार पर करीब 400 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। सवाल है कि अगर इतना ही पैसा सरकार के पास था तो पहले से घोषित ऑक्सीजन प्लांट क्यों नहीं लगाए गए, जिससे कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सैकड़ों लोगों की जान बच सकती थी।
हरियाणा में बीजेपी सरकार ने बीते 6 साल में जितना पैसा अपने प्रचार पर खर्च किया है, अगर उसका आधा भी ऑक्सीजन प्लांट लगाने में खर्च किया होता तो कोरोना काल में बिना ऑक्सीजन दम तोड़ने वाले सैकड़ों मरीजों में से कई की जान बच सकती थी। आंकड़ों से सामने आया है कि राज्य की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने छह साल में तकरीबन चार सौ करोड़ रुपये अपने प्रचार में लुटाए हैं। समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, टेलीविजन, फ्लैक्स, बैनर और होर्डिंग्स में राज्य सरकार ने जी भरकर अपनी उपलब्धियों का बखान किया है।
जिस तरह केंद्र की मोदी सरकार और अन्य बीजेपी सरकारें करोड़ रुपए प्रचार पर लुटा रही हैं उसी तरह हरियाणा की मनोहर लाल सरकार भी वही काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने खुद विधान सभा में लिखित में बताया है कि नवंबर 2014 से 31 जनवरी 2021 की अवधि के दौरान राज्य सरकार ने विज्ञापन पर 385 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की है। इसमें केवल समाचार पत्रों में ही 280.20 करोड़ रुपये के विज्ञापन दिए गए हैं। इसके अलावा टेलीविजन पर 71 करोड़ प्रचार में खर्च किए गए हैं। वहीं पत्रिकाओं में 10 करोड़ रुपए के विज्ञापन दिए गए हैं। इसी तरह पत्र में 4.26 करोड़ और फ्लैक्स, बैनर और होर्डिंग्स में 19.65 करोड़ रुपये खजाने से खर्च किए गए हैं।
ध्यान रहे कि आम आदमी के टैक्स से जमा यह पैसा यदि स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा दुरुस्त करने में खर्च किया गया होता तो कोरोना से गांव-गांव में हुई मौतों का आंकड़ा छिपाने में सरकार को आज इतनी मशक्कत नहीं करनी पड़ती। पहले से घोषित पंचकूला, फरीदाबाद, सोनीपत, हिसार और करनाल समेत महज आधा दर्जन जगहों में ऑक्सीजन प्लांट ही लगा दिए गए होते लोगों की घुट-घुट कर मौत नहीं हुई होती।
बेशक, केंद्र की सरकार ने संसद में ऑक्सीजन की कमी से मौतों की बात नकार दी है, लेकिन अप्रैल-मई में प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन के लिए मचे हाहाकार का सच झुठलाया नहीं जा सकता। ऑक्सीजन की कमी से एक मई को गुरुग्राम में 11 मरीजों की मौत हुई थी, जिसमें कीर्ति अस्पताल में नौ और मानेसर के चिरंजीवी अस्पताल में दो मरीजों की जान गई थी। 25 अप्रैल को 15 मरीजों की ऑक्सीजन न मिलने से जान गई थी, जिसमें पलवल में सात, रेवाड़ी-गुड़गांव में चार-चार मरीजों ने जान गवाई थी। स्थानीय अधिकारी तक लगातार ऑक्सीजन न होने की तस्दीक कर रहे थे।
रेवाड़ी के विराट अस्पताल के संचालक का कहना था कि सिलेंडर लोड होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने ट्रक रोक दिया। सीएमओ का कहना था कि आगे से सप्लाई ही नहीं मिल रही तो कहां से लाएं। गुरुग्राम के कथूरिया अस्पताल के निदेशक का आरोप था कि सुबह छह बजे जिला प्रशासन को ऑक्सीजन की कमी के बारे में बता दिया था, पर प्रशासन टरकाता रहा। पलवल में परिजनों ने ऑक्सीजन नहीं मिलने का आरोप लगाया था। हिसार में पांच और पानीपत में तीन मरीजों की जान ऑक्सीजन न मिलने से गई थी। हिसार की घटना के तो खुद सीएम ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए थे।
26 अप्रैल तक प्रदेश में ऑक्सीजन न मिलने से 28 मौतों का आंकड़ा सामने आया था। यह सभी खबरें मीडिया की सुर्खियां बनी थीं, जिसे सरकार ने आज तक नकारा नहीं है। गुरुग्राम की गंभीर होती स्थिति को लेकर तो खुद बीजेपी विधायक सुधीर सिंगला ने प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक को पत्र लिखा था। स्वास्थ्य मंत्री ने भी प्रदेश में ऑक्सीजन कमी मानी थी। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को राज्य में ऑक्सीजन को लेकर स्थिति गंभीर होने की बात बताई थी। खुद मुख्यमंत्री का बयान कि हमारी तैयारी तो बाढ़ से निबटने की थी, लेकिन यह तो सूनामी आ गई….इस बात की तस्दीक था कि प्रदेश के हालात सामान्य नहीं थे।
तमाम बयान और हालात इस बात की गवाही हैं कि ऑक्सीजन की कमी से मौतें हुई थीं और अपनी प्रशंसा में राज्य का खजाना लुटाने की जगह यदि इसमें से कुछ राशि भी खर्च कर केवल ऑक्सीजन की कमी ही दूर कर ली गई होती तो ऐसे तमाम लोग, जिन्हें कोरोना ने निगल लिया, हमारे बीच आज मौजूद होते।
रोहतक से कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा के पिछले विधान सभा सत्र में किए गए सवाल के जवाब में खुद मुख्यमंत्री की ओर से विधान सभा के पटल पर रखे जवाब से यह बात तो उभरती है कि सरकार की थोड़ी सी भी संजीदगी तमाम कोरोना पीडि़तों के लिए संजीवनी बन गई होती। बीबी बत्रा ने सरकार से पूछा था कि क्या यह तथ्य है कि सरकार द्वारा समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों जैसे सरकार की उपलब्धियां, उद्घाटन समारोह, बधाई संदेश, जन्मदिन समारोह, पुण्यतिथि तथा सांस्कृतिक उत्सवों इत्यादि के विज्ञापनों पर विभिन्न साधनों के माध्यम से व्यय किया गया है। इस पर सरकार का लिखित जवाब मायने रखता है।
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