हरियाणा सरकार का नया फरमान, आज राज्‍य की किसी मंडी में नहीं होगी गेहूं खरीद, कांग्रेस ने कहा-साजिश का पर्दाफाश

हरियाणा का किसान मुश्किल में है। इसकी वजह है सरकार का एक नया फरमान, जिसके मुताबिक 29 अप्रैल को राज्‍य की किसी मंडी व खरीद केंद्र में गेहूं की खरीद नहीं होगी। आश्‍चर्य की बात यह है कि सरकार ने इसकी कोई वजह नहीं बताई है।

फोटो : सोशल मीडिया
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धीरेंद्र अवस्थी

पहले ही लाखों बोरी गेहूं किसान का मंडियों में भीग चुका है। अपनी फसल बेचने के बाद भुगतान संकट का सामना वह अलग से कर रहा है। विलंब से आरंभ हुई रबी फसलों की खरीद के चलते बाजारों में अपनी फसल औने-पौने दाम में बेचकर वह लुट चुका है। अब सरकार के इस फैसले के बाद प्रदेश के किसानों के सामने नई मुसीबत खड़ी हो गई है। कांग्रेस ने खट्टर सरकार को फिर कठघरे में खड़ा किया है।

कांग्रेस के अखिल भारतीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने राज्‍य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि मोदी-खट्टर सरकारों के ताजातरीन हुक्मनामे ने एक बार फिर किसान-आढ़ती-मजदूर के गठजोड़ को षडयंत्रकारी तौर पर तोड़ने की बीजेपी-जेजेपीकी साजिश का पर्दाफाश कर दिया है।

उन्‍होंने कहा कि हरियाणा के गठन के बाद 52 वर्ष में पहली बार गेहूँ खरीद में किसान-आढ़ती की इतनी दुर्दशा व गड़बड़झाला हुआ है। सबूत यह है कि 27 अप्रैल, 2020 तक हरियाणा में 21.60 लाख मीट्रिक टन गेहूँ की खरीद हुई। पिछले साल इस तिथि तक 91 लाख मीट्रिक टन गेहूँ की खरीद हुई थी, यानि पिछले साल के मुकाबले इस बार मात्र 23.75 प्रतिशत गेहूँ खरीद हुई है। इसका कारण है कि खट्टर-दुष्यंत जोड़ी की नीति और नीयत, दोनों में खोट है।

सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा का किसान-आढ़ती व मजदूर इस बदहाली के लिए बीजेपी-जेजेपी सरकार को कभी माफ नहीं करेगा तथा इसकी सजा इस बेमेल, निर्दयी व जनविरोधी गठबंधन को अवश्य मिलेगी।

सुरजेवाला ने इस सरकार को ‘यू-टर्न’ सरकार की संज्ञा देते हुए हर रोज बदलते फरमानों पर सवाल खड़े किए। उन्‍होंने कहा कि “26 मार्च, 2020 को खट्टर सरकार ने किसान को गेहूँ खरीद पर ₹50-125 प्रति क्विंटल बोनस देने की घोषणा कर डाली। पर, आज की तारीख में गेहूँ पर एक भी फूटी कौड़ी बोनस देने की कोई चर्चा नहीं है। 13 व 16 अप्रैल, 2020 को खट्टर सरकार ने सभी आढ़तियों को ऑनलाईन पेमेंट करने का निर्देश दिया तथा सात प्राईवेट बैंकों में खाते खोलने का फरमान जारी कर दिया। फिर यह आदेश वापस ले पुराने सिस्टम पर खरीद करने का निर्णय लिया गया। 21 अप्रैल को खट्टर सरकार ने एक बार फिर आढ़तियों की बजाय पंचायत के माध्यम से गेहूँ खरीद का निर्णय लिया। बाद में इस आदेश को भी वापस ले लिया गया। 24 अप्रैल, 2020 को आदेश जारी कर एक बार फिर डायरेक्ट ऑनलाईन पेमेंट का आदेश जारी किया गया। यह भी आदेश दिया गया कि एफसीआई द्वारा खरीद तभी मान्य होगी, जब बगैर किसी कटौती के सारा पैसा डायरेक्ट ऑनलाईन पेमेंट से दिया जाएगा। 27 अप्रैल को खट्टर सरकार द्वारा यह आदेश जारी किया गया कि गेहूँ खरीद के सारे पैसे का भुगतान डायरेक्ट ऑनलाईन पेमेंट से किया जाएगा।”


सुरजेवाला ने कहा कि अब 28 अप्रैल को यह निर्णय लिया गया है कि 29 अप्रैल, 2020 को किसी अनाजमंडी या खरीद केंद्र में गेहूँ खरीद नहीं होगी। ऐसा क्यों? सरकार को घेरते हुए उन्‍होंने कहा कि रोज बदलते ‘यू-टर्न’ फरमानों से खट्टर सरकार का अहंकार, हठधर्मिता व षडयंत्र की पोल खुल गई है। सच्चाई यह है कि आढ़ती किसान का चलता फिरता बैंक है। यह रिश्ता दशकों पुराना है व परस्पर विश्वास पर आधारित है। खट्टर-दुष्यंत सरकार इस रिश्ते को तोड़कर दशकों से चली आ रही खरीद प्रणाली, परस्पर विश्वास के रिश्ते तथा किसान को मिल रहे न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रणाली को तोड़ना चाहती है। पर, वह जान ले कि इस षडयंत्र में वह कभी कामयाब नहीं होंगे।

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Published: 28 Apr 2020, 9:00 PM