हरियाणा: करनाल में अमित शाह के मंच पर दिव्यांग ने फेंका जूता, पेंशन बंद करने से था नाराज
उछाला गया जूता मंच के काफी पहले गिरा, लेकिन इसके बाद हंगामा मच गया। इसी हंगामे के बीच अमित शाह का भाषण भी खत्म हो गया। जूता फेंकने के बाद भी दिव्यांग भागा नहीं। उसे तुरंत पकड़ लिया गया।
खट्टर सरकार के 9 वर्ष पूरे होने पर करनाल में बुलाई गई सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों की रैली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लाकर बड़ा संदेश देना चाह रही राज्य सरकार के हौसलों पर एक घटना ने पानी फेर दिया। पेंशन रोके जाने से नाराज एक दिव्यांग ने स्टेज की तरफ जूता उछाल दिया। उस वक्त अमित शाह भाषण दे रहे थे। उछाला गया जूता मंच के काफी पहले गिरा, लेकिन इसके बाद हंगामा मच गया। इसी हंगामे के बीच अमित शाह का भाषण भी खत्म हो गया। जूता फेंकने के बाद भी दिव्यांग भागा नहीं। उसे तुरंत पकड़ लिया गया।
बता दें, करनाल में 2 नवंबर को बुलाए गए बीजेपी के बहुप्रचारित अंत्योदय महासम्मेलन के नाम पर सरकार की योजनाओें का फायदा ले रहे लाभार्थियों की रैली के मुख्य वक्ता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह थे। युवक की पहचान कुरुक्षेत्र के शाहाबाद के रविंद्र सिंह नलवी के रूप में हुई है। दिव्यांग ने खुद कैमरों के सामने आकर अपनी पहचान बताई। उसने बताया कि उसका नाम रविंद्र सिंह नलवी है। नलवी उसका गांव है। उसने कहा कि किसी के कहने पर उसने जूता नहीं फेंका। उसका अपना रोष था। उसने कहा कि यह विकलांगों की विरोधी जनविरोधी सरकार है। जब अमित शाह बोल रहे थे तब हमने जूता फेंका। सरकार ने हमारी पेंशन बंद कर दी। यह विकलांगों की कोई बात नहीं सुनते। 18 महीने से हमारा भिवानी में धरना-प्रदर्शन चल रहा है। उसने कहा कि यह सरकार इसी के लायक है। हमने सरकार पर अपना रोष व्यक्त किया है। पेंशन बनवाने के लिए मैंने अपनी पत्नी के गहने बेच दिए। कभी चंडीगढ़ जाता था और कभी कुरुक्षेत्र। जाने के लिए किराया भी तो चाहिए। उसने कहा कि सरकार ने दिव्यांगों को बहुत जलील किया है। हालांकि, उसने यह भी स्वीकार किया कि वह आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता है, लेकिन इससे पार्टी का कोई लेना देना नहीं है। किसी ने उससे ऐसा करने के लिए नहीं कहा है। सरकार ने उसे इतना परेशान किया है कि रोष स्वरूप उसने जूता फेंका है।
बीजेपी ने इस रैली के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया था। इससे पहले सिरसा में हुई अमित शाह की रैली के फ्लॉप होने से सबक लेते हुए सरकार ने रैली में भीड़ लाने के लिए तकरीबन 1000 बसें लगा दी थीं। हालत ऐेसी थी कि किसी-किसी डिपो में तो रोडवेज की बसें ही नहीं बची थीं। विभागाध्यक्षों की तरफ से कर्मचारियों को रैली में ले जाने के लिए फरमान जारी किए गए थे। मसलन, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी नूंह की तरफ से हरियाणा कौशल रोजगार निगम पोर्टल से लगे टीजीटी अध्यापकों की उपस्थिति 2 नवंबर को करनाल में होने जा रहे महा अंत्योदय प्रोग्राम में सुनिश्चित करने के लिए कहा गया। फरमान में कहा गया कि इन अध्यापकों से मुख्यमंत्री बात करेंगे। साथ में यह भी कहा गया कि इन अध्यापकों की ड्यूटी उस दिन किसी अन्य कार्य में न लगाई जाए।
इसी तरह के फरमान दूसरे जिलों में भी जारी किए गए। साफ था कि बीजेपी इस रैली को किसी भी हालत में नाकाम होते हुए नहीं देखना चाहती थी। मकसद भी साफ था। वक्ताओं की तरफ से दिए गए भाषण से इसकी तस्दीक भी हो गई। केंद्र और राज्य की योजनाओं का फायदा ले रहे लाभार्थियों को स्टेज से साफ तौर पर यह संदेश दिया गया कि हमने आपको फायदा दिया अब पहले लोकसभा और उसके बाद विधानसभा चुनावों में हमारा ख्याल रखने की बारी आपकी है। लेकिन एक घटना ने बीजेपी के इन हौसलों को जोर का झटका धीरे से जरूर दिया है। यह मुद्दा आगे तक जाने वाला है। पेंशन रोकने या कटने का सवाल पूरे हरियाणा में पहले से ही गर्म है।
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