हरियाणा: रोजगार के लिए इज़रायल तक जाने को बेचैन लोग और जनाक्रोश रैलियों से मिलते संकेत

हर मामले में खुलती जा रही हरियाणा में बीजेपी की अगुवाई वाली खट्टर सरकार की पोल। कांग्रेस की जनाक्रोश रैलियों में जुटती विशाल भीड़ भी काफी कुछ इशारा कर रही है।

हरियाणा के फरीदाबाद में रविवार (4 फरवरी, 2024) को हुई जनाक्रोश रैली में लोगों का अभिवादन करते कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा (फोटो - @DeependerSHooda)
हरियाणा के फरीदाबाद में रविवार (4 फरवरी, 2024) को हुई जनाक्रोश रैली में लोगों का अभिवादन करते कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा (फोटो - @DeependerSHooda)
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दिव्येंदु

दावे पर आईना

युद्धग्रस्त इजरायल की कंपनियों में भर्ती की आस लगाए शिविरों में लंबी लाइनों में खड़े हरियाणा और यूपी के युवाओं की तस्वीरें अब तो मुख्य मीडिया में भी छप रही हैं। यही बताने को काफी है कि कम-से-कम इन दोनों राज्यों में रोजगार की क्या हालत है। दरअसल, हरियाणा और उससे सटे उत्तर प्रदेश में इजरायल के लिए कामगारों की भर्ती का अभियान इन दिनों बड़े पैमाने पर चल रहा है। इसके तहत निर्माण मजदूरों, बढ़ई, पेंटर, मिस्त्री आदि जैसे काम करने वालों को करीब 2 लाख रुपये प्रति माह के वेतन का वादा किया जा रहा है।

ऐसे में, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के इस दावे की पोल अपने आप खुल जाती है कि उन्होंने अपने करीब 9 साल के कार्यकाल के दौरान लाखों सरकारी नौकरियां दी हैं। अभी 25 जनवरी को ही खट्टर ने हिसार में एक कार्यक्रम में दावा किया कि उन्होंने अपने साढ़े नौ साल के कार्यकाल में सूबे के करीब 30 लाख लोगों को रोजगार दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा में बेरोजगारी दर उतनी नहीं है जितनी कि विपक्ष राजनीतिक प्रोपेगैंडा के तहत कहता रहा है।

कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने इस पर पलटवार करते हुए इजरायल की कंपनियों के लिए भर्ती अभियानों की ओर तो ध्यान दिलाया ही, यह भी कहा कि मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि हरियाणा में कब 30 लाख नौकरियां निकलीं, कब परीक्षा या इंटरव्यू हुए, कब नियुक्ति पत्र जारी हुए?

उन्होंने चुनौती दी कि अगर यह बात सच है तो मुख्यमंत्री इन 30 लाख लोगों की लिस्ट जारी कर दें। उन्होंने यह सवाल भी पूछा कि अगर सरकार पक्की नौकरियां दे रही है तो सरकारी विभागों में करीब 2 लाख पद खाली क्यों हैं?

उन्होंने कहा कि अगर सरकार रोजगार दे रही है तो फिर केन्द्र सरकार की रिपोर्ट में ही बेरोजगारी के मामले में हरियाणा नंबर एक पर क्यों हैं। बता दें कि पिछले साल संसद के मानसून सत्र में एक लिखित जवाब में केन्द्र सरकार ने बताया था कि हरियाणा में बेरोजगारी दर 9 फीसदी है। कांग्रेस ने इस बाबत कहा था कि हरियाणा में कांग्रेस शासन के दौरान बेरोजगारी दर 2.9 फीसदी थी, यानी बीते 9 साल में हरियाणा में यह दर तीन गुना बढ़ गई है।


झज्जर में हुई कांग्रेस नेता भूपिंदर हुड्डा की जनाक्रोश रैली
झज्जर में हुई कांग्रेस नेता भूपिंदर हुड्डा की जनाक्रोश रैली

चुनावी चोट की तैयारी

2014 और 2019 में हुए आम चुनावों में हरियाणा में भी कांग्रेस को निराशा ही हाथ लगी थी। यहां दस लोकसभा सीटें हैं लेकिन उसे एक पर भी जीत नहीं मिल पाई थी। वैसे, 2019 के विधानसभा चुनाव में उसकी जीत होते-होते रह गई थी। इसलिए इस बार मई के आम चुनाव और इसी साल अक्तूबर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस नेताओं ने अभी ही बिगुल फूंक दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा के अलावा कुमारी शैलजा, रनदीप सुरजेवाला और किरन चौधरी की हरियाणा के अलग-अलग हिस्सों में जनाक्रोश रैलियां हो रही हैं। उनके निशाने पर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के साथ ही हरियाणा की भाजपा-जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) सरकार भी है।

दरअसल, बीते कुछ महीने से हरियाणा में भाजपा-जेजेपी गठबंधन के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। दोनों ही दल एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने और गाहे-बगाहे आरोप लगाने में लगे हैं। यहां तक कि बात लोकसभा सीटों तक पर पहुंच चुकी है जिसमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह और हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला आमने-सामने आ गए हैं। जेजेपी ने चुनावों में अलग से अपने उम्मीदवार खड़े करने की घमकी भी दी है। इसी अनबन और लोगों के बीच महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की समस्याएं और भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर कांग्रेस मैदान में कूद गई है।

हरियाणा: रोजगार के लिए इज़रायल तक जाने को बेचैन लोग और जनाक्रोश रैलियों से मिलते संकेत

पिछले महीने दिसंबर में जींद के बाद अभी जनवरी में कुरुक्षेत्र और फिर, झज्जर में हुई रैलियों में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में किए कामों की याद भी लोगों को दिलाई। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि यहां कांग्रेस की सरकार बनी, तो पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाएगी, बुजुर्गों की पेंशन को बढ़ाकर 6 हजार कर दिया जाएगा, किसानों को एमएसपी की गारंटी दिलाई जाएगी, सरकार बनने पर पहली ही कैबिनेट बैठक में 2 लाख सरकारी नौकरी देने, 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने और 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर देने आदि का फैसला किया जाएगा। हरियाणा की खट्टर सरकार ने ‘परिवार पहचान पत्र’ की व्यवस्था लागू की है। इसका बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है। कांग्रेस नेता वादा कर रहे हैं कि सरकार बनने पर यह व्यवस्था खत्म कर दी जाएगी।

हालांकि मुख्य धारा का मीडिया प्रचारित करने में लगा है कि कांग्रेस का कथित ‘एसआरके’ गुट- मतलब, कुमारी शैलजा, रनदीप सुरजेवाला और किरन चौधरी अलग प्रचार में लगे हैं लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ कांग्रेस के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान और पूरी राज्य कार्यकारिणी की मौजूदगी से न सिर्फ कांग्रेस कार्यकर्ता बल्कि आम लोग भी जनाक्रोश रैलियों और ‘घर-घर कांग्रेस’ अभियान के साथ आने लगे हैं।


नौकरी सरकारी, प्रैक्टिस निजी

हरियाणा की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार का खुलासा होने से हड़कंप मच गया है। सामने आई रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी अस्पतालों में तैनात डॉक्टर अपने निजी अस्पताल या नर्सिंग होम चला रहे हैं और वे सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों को अपने अस्पतालों में रेफर कर मोटा पैसा कमा रहे हैं। इतना ही नहीं, सरकारी अस्पताल में मरीजों के साथ दुर्व्यवहार भी किया जा रहा है और ऑपरेशन आदि के लिए पैसे भी लिए जा रहे हैं। इस सिलसिले में स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक (प्रशासन) ने सभी सिविल सर्जन को पत्र लिखकर ऐसे डॉक्टरों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। पत्र में सभी डॉक्टरों और अस्पतालों के नाम लिखे गए हैं। यह पत्र और डॉक्टरों की सूची सार्वजनिक हो गई है जिसके बाद पूरे सेहत महकमे में हड़कंप मच गया है।

पत्र के साथ जारी इस सूची में दादरी, हिसार, सोनीपत, गुरुग्राम, सोहना, पलवल और अन्य अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों के नाम हैं। पत्र में नारायणगढ़, दादरी, जींद, असंध, नीलोखेड़ी, कलानौर, महम, सिरसा, डबवाली, ऐलनाबाद और सोनीपत जैसे 11 अस्पतालों की सूची है जहां जांच करने पर स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी पाई गई है। इसके अलावा ऐसे 25 अस्पताल हैं जहां शासन से मंजूरी के बाद भी जरूरी मेडिकल उपकरण नहीं हैं।

पत्र में कहा गया है कि सरकार अस्पतालों से मरीजों को खून आदि की जांच के लिए ऐसी लैब में रेफर किया जा रहा है जो सरकार से अप्रूव नहीं हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ऐसे 24 डॉक्टरों के नाम सामने आए हैं जिन्होंने अपने पति या पत्नी के नाम पर निजी अस्पताल खोल लिए हैं और वहीं प्रैक्टिस करते हुए सरकारी अस्पतालों के मरीजों के रेफर करते हैं।

वैसे, ज्वाइंट डायरेक्टर के पत्र के साथ ही सभी डॉक्टरों की सूची सार्वजनिक किए जाने पर हरियाणा मेडिकल एसोसिएशन ने नाराजगी जताई है। एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश ख्यालिया ने एक अखबार से बातचीत में कहा कि जांच पूरी किए बिना ही डॉक्टरों के नाम सार्वजनिक करना सही नहीं है। उनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग डॉक्टरों पर दबाव बनाना चाहता है।


हरियाणा: रोजगार के लिए इज़रायल तक जाने को बेचैन लोग और जनाक्रोश रैलियों से मिलते संकेत

अलग ढंग से विरोध

गणतंत्र दिवस के अवसर पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय द्वारा आयोजित ‘एट होम’ में भाग लेने से फरीदाबाद के विधायक नीरज शर्मा को रोक दिया गया। यह कार्यक्रम राजभवन में नहीं बल्कि पानीपत के आईओसीएल रिफाइनरी परिसर में आयोजित किया गया था। पानीपत पुलिस का कहना है कि विधायक को इसलिए प्रवेश नहीं कर दिया गया क्योंकि उन्होंने इस मौके के लिए निर्धारित ड्रेस कोड का पालन नहीं किया था। विधायक ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। शर्मा ने यह भी शिकायत की कि ‘पुलिस ने मेरा मोबाइल छीनने का प्रयास किया और एक रेस्ट हाउस में जब मुझे अवैध ढंग से रोक रखा गया था, तब पुलिस ने मेरे रिश्तेदारों को भी मुझसे मिलने नहीं दिया।’ वैसे, उन्होंने अपने कुरते पर ‘जय सियाराम’, रामायण की एक चौपाई, स्वस्तिक का चिह्न और अपने चुनाव क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं के बारे में पर्चियां चिपका रखी थीं।

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