हरियाणाः अगले ही दिन खुली खट्टर के दावों की पोल, फरीदाबाद में डॉक्टरों ने सुरक्षा और सैलरी को लेकर किया हंगामा
फरीदाबाद के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने शुक्रवार को पीपीई किट, एन-95 मॉस्क और कम सैलरी के लिए जमकर हंगामा किया। खास ये है कि एक दिन पहले सीएम खट्टर ने मेडिकल स्टाफ का वेतन दोगुना करने का ऐलान कर वाहवाही लूटने की कोशिश की थी।
हरियाणा की बीजेपी सरकार द्वारा कोरोना मरीजों के इलाज में लगे मेडिकल स्टाफ का वेतन दोगुना करने के ऐलान के अगले ही दिन फरीदाबाद स्थित मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने वेतनमान, पीपीई और एन-95 मॉस्क आदि को लेकर हंगामा कर दिया। वेतनमान दोगुना करने का ऐलान कर खट्टर सरकार ने खूब वाहवाही लूटी थी।
लेकिन सबसे बड़ी हैरानी की बात यह भी है कि कोरोना मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टरों और पारा-मेडिकल स्टॉफ को संक्रमण से बचाने के लिए आवश्यक उपकरणों को लेकर राज्य की खट्टर सरकार रोजाना बड़े-बड़े दावे कर रही है। लेकिन इसके बावजूद डॉक्टरों द्वारा इन्हीं चीजों की मांग को लेकर प्रदर्शन करना बीजेपी सरकार की असलियत को उजागर करता है।
सबसे पहले कोरोना मरीजों के इलाज के लिए हरियाणा में नामित मुख्य अस्पताल रोहतक पीजीआई में हेल्मेट लगाकर इलाज करते डॉक्टरों की वायरल तस्वीर ने सरकार की खूब किरकिरी करवाई थी। इसके बाद पंचकूला सिविल अस्पताल की एक नर्स ने सुरक्षा उपकरणों की कमी को उजागर कर दिया था, जिससे सरकार की फजीहत भारी हुई। अब फरीदाबाद एनआईटी-3 स्थित मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के तकरीबन 45 जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने हंगामा कर दिया। ये डॉक्टर पीपीई किट, एन-95 मॉस्क और तय वेतनमान के मुताबिक सैलरी देने की मांग कर रहे हैं।
इस अस्पताल को एक दिन पहले ही कोविड अस्पताल घोषित किया गया है। शुक्रवार को फरीदाबाद अस्पताल में जरूरी चीजों की उपलब्धता को लेकर सरकार ने एक लिस्ट जारी की है। इसके मुताबिक फरीदाबाद में 715 पीपीई किट्स, 1920 एन-95 मॉस्क, 42300 ग्लव्स, 8600 ट्रिपल लेयर मॉस्क और 3702 हैंड सेनिटाइजर की उपलब्धता है। हालांकि, सरकार की तरफ से यह नहीं बताया गया है कि जरूरत के मुताबिक यहां इनकी उपलब्धता पर्याप्त है या नहीं।
एसोसिएशन के जिला प्रधान डॉ. कमल का कहना है कि जूनियर डॉक्टर फ्रंट पर रहते हैं। मरीजों का इलाज सबसे पहले वही करते हैं, इसके बावजूद उनकी सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा जा रहा। उन्हें पीपीई के साथ एन-95 मास्क, सैनेटाइजर आदि नहीं दिए गए हैं। इन डॉक्टरों को तय वेतनमान के मुताबिक सैलरी भी नहीं मिल रही है। इसका मतलब जमीनी सच वह नहीं है, जो सरकार कह रही है।
दरअसल एक दिन पहले ही सीएम मनोहरलाल खट्टर ने डॉक्टरों, नर्सों, पैरा मेडिकल और ऐसे सभी कर्मचारी जो कोविड अस्पतालों, कोविड आईसीयू और कोविड आइसोलेशन वार्ड में कार्यरत हैं, उनका वेतन दोगुना करने की घोषणा की थी। इसमें कोरोना पॉजिटिव मरीजों को लाने वाले एंबुलेंस ड्राइवर को भी शामिल किया गया है।
मुख्यमंत्री ने यह ऐलान विडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये राज्य के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों, जिला आयुर्वेदिक अधिकारियों, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के अधिकारियों और राज्य के चिकित्सा महाविद्यालयों के निदेशकों और भारतीय चिकित्सा संघ के जिला अध्यक्षों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान किया था। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि प्रदेश में सभी सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में पीपीई किट से लेकर दवाईयां और वेंटिलेटर का प्रबंध संतोषजनक है।
उन्होंने ये भी ऐलान किया कि कोई मेडिकल कॉलेज चाहे केन्द्र सरकार या राज्य सरकार का हो, निजी या सरकारी सहायता प्राप्त हो, उनमें कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए मॉस्क, पीपीई किट्स, दवाइयां, वेंटिलेटर इत्यादि सभी प्रबंध हरियाणा सरकार द्वारा किए जाएंगे। खुद सरकार के मुखिया की ओर से दिए गए आश्वासन और ऐलान के बावजूद अगर डॉक्टर हंगामा करने पर मजबूर हैं तो फिर कहीं कुछ गंभीर गड़बड़ है।
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