हरियाणा विधानसभा चुनाव: BJP का सत्ता में वापसी का टूटेगा सपना? जानें कैसे बन रहे हैं समीकरण
हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी की साख दांव पर लगी हुई है। लोकसभा चुनाव 2024 में जिस तरह का ट्रेंड देखने को मिला है, अगर विधानसभा चुनाव में भी यह ट्रेंड जारी रहा तो बीजेपी का सत्ता में वापस आने का सपना टूट सकता है।
आज चुनाव आयोग तीन राज्यों के लिए चुनाव का ऐलान करने वाला है। आज दोपहर तीन बजे चुनाव आयोग हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र चुनाव के लिए शेड्यूल का ऐलान कर सकता है। हरियाणा विधानसभा की कार्यकाल 3 नवंबर को खत्म हो रहा है।
हरियाणा में किसकों कितनी सीटें
हरियाणा विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। वर्तमान में तीन सीटें खाली हैं। बीजेपी के 41 विधायक हैं। कांग्रेस के 29, जेजेपी के 10 और INLD और HLP के एक-एक विधायक हैं। सदन में पांच निर्दलीय विधायक हैं।
2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। राज्य की कुल 90 सीटों में से बीजेपी ने 40 सीटें जीती थी जबकि कांग्रेस को 31 सीटें मिलीं। इसके अलावा जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को 10 सीटें और अन्य को 9 सीटें मिली थी। बाद में बीजेपी ने जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।
बीजेपी की राह नहीं होगी आसान
हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी की साख दांव पर लगी हुई है। लोकसभा चुनाव 2024 में जिस तरह का ट्रेंड देखने को मिला है, अगर विधानसभा चुनाव में भी यह ट्रेंड जारी रहा तो बीजेपी का सत्ता में वापस आने का सपना टूट सकता है। बीजेपी अपने दम पर 2014 और 2019 में राज्य में अपनी सरकार बना चुकी है, लेकिन इस बार की राह उसकी आसान नहीं होगी। बीजेपी के लिए इस बार विधानसभा चुनाव में कई चुनौतियां लेकर सामने आ रही है। इसमें किसानों का मुद्दा काफी अहम है। कृषि कानूनों के विरोध में चले किसान आंदोलन का हरियाणा में अच्छा-खासा प्रभाव रहा था और बीजेपी को वहां लोकसभा चुनाव में भी किसान राजनीति वाली बेल्ट में काफी नुकसान उठाना पड़ा था।
बीजेपी के सामने एक बड़ी मुश्किल यह है कि जाटों की नाराजगी कैसे दूर करें। जाट समुदाय की हरियाणा में आबादी 25% तक है और इतने बड़े समुदाय की नाराजगी बीजेपी को भारी पड़ सकता है। पिछले साल जब महिला पहलवानों ने बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाया था तो हरियाणा में काफी विरोध हुआ था। बीजेपी ने इस मुद्दे पर हरियाणा में जाट समुदाय की नाराजगी को देखते हुए बृजभूषण शरण सिंह को टिकट नहीं दिया था लेकिन उनकी जगह उनके बेटे को टिकट दिया और वह जीत कर सांसद बने हैं।
महिला पहलवानों के यौन शोषण का मामला सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चित रहा था। ऐसा में यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को थोड़ा नाराजगी झेलना पड़ सकता है।
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