गुजरात में हिंदी भाषी कामगार और मजदूर खतरे में, सैकड़ों का पलायन, धमकाने वालों की धरपकड़ जारी

बीते एक सप्ताह में सैकड़ों कामगार और मजदूर अपने घरों को लौट गए हैं। इनमें से ज्यादातर उन देहाती इलाकों में रहते थे जहां फैक्टरियां हैं। लेकिन स्थानीय लोगों और गांव वालों से उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं। अपनी जान पर खतरा देख ये लोग पलायन कर रहे हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
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नचिकेता देसाई

गुजरात से पलायन हो रहा है। उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के कामगार और मजदूर अपने देस लौट रहे हैं। उन्हें चेतावनी दी गई है कि गुजरात में नजर आए तो खैर नहीं। यह सब शुरु हुआ सितंबर माह के आखिरी दिनों में, जब 14 माह की एक बच्ची से बलात्कार का मामला सामने आया और आरोप में बिहार के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। सरकार के हाथ-पांव फूले हुए हैं। इन हिंदी भाषियों पर हमले हो रहे हैं। उनकी बस्तियों और जहां वे काम करते हैं, उन फैक्टरियों पर सुरक्षा चौकस कर दी गई है।

बीते एक सप्ताह में सैकड़ों कामगार और मजदूर अपने-अपने घरों को लौट गए हैं। इनमें से ज्यादातर उन देहाती इलाकों में रहते थे जहां फैक्टरियां हैं। इन्हीं फैक्टरियों में यह लोग काम करते थे। लेकिन स्थानीय लोगों और गांव वालों से उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं। अपनी जान पर खतरा देख ये लोग पलायन कर रहे हैं।

हालात बिगड़ते देख राज्य के पुलिस प्रमुख शिवानंद झा ने कम से कम छह जिलों में औद्योगिक इकाइयों के आसपास सुरक्षा बलों को तैनात किया है।

बाहरी लोगों को धमकी देने और उन पर हमले के आरोप में पुलिस ने 300 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया है। इन सब पर दंगा भड़काने, फैलाने और हिंदी भाषियों को निशाना बनाने के आरोप हैं। ज्यादातर मामले अहमदाबाद, गांधीनगर, मेहसाणा और साबरकंठा में हुए हैं।

विधायक और ठाकुर सेना के अध्यक्ष अल्पेश ठाकुर का कहना है कि, “पुलिस ने बड़ी तादाद में निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया है।” उन्होंने ऐलान किया है कि अगर निर्दोष लोगों को नहीं छोड़ा गया तो वे सत्याग्रह करेंगे। ठाकुर सेना में एक लाख सदस्यों के होने का दावा किया जाता रहा है। बताया गया है कि बाहरी मजदूरों के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों में ज्यादातर इसी संगठन के लोग थे।

अल्पेश ठाकुर ने हिंदी भाषियों पर हमले की निंदा की है। उनका कहना है कि ठाकुर सेना शांति और भाईचारे में विश्वास करती है और उसका कोई भी सदस्य हिंसा में शामिल नहीं था। उन्होंने कहा कि, “गुजरात के लोगों को निजी फैक्टरियों में रोज़गार नहीं मिल रहा है, इसके चलते वे नाराज हैं।” उन्होंने बताया कि स्थानीय उद्योगों ने वादा किया था कि वे अपने यहां 80 फीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार देंगे, लेकिन यह वादा पूरा नहीं किया गया।

इस दौरान अहमदाबाद और मेहसाणा जिलों के ओद्योगिक इलाकों में मोटरसाइकिल सवाल युवाओं के दस्ते घूमते देखे गए हैं। ये लोग बाहरी मजदूरों के खिलाफ भड़काऊ नारे लगाते पाए गए हैं। सोशल मीडिया पर भी बाहरी लोगों के खिलाफ दुष्प्रचार चरम पर है। गुजरात पुलिस की साइबर क्राइम शाखा ने सोशल मीडिया पर भड़काऊ संदेश फैलाने के मामले में दो लोगों को चिंहित किया है और उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है।

इस बीच अहमदाबाद के बाहरी इलाकों में रहने वाले बाहरी प्रदेशों से आए मजदूर और कामगारों ने घरों को ताले लगा दिए हैं और सुरक्षित जगहों पर चले गए हैं।

मध्य और उत्तरी गुजरात के औद्योगिक इलाकों में जो हालात हैं, उनसे मुंबई की वह घटना याद आ जाती है जब बिहार और उत्तर प्रदेश से रेलवे की परीक्षा देने आए छात्रों और अभ्यर्थियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया था।

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