गुजरात हाईकोर्ट ने 'लव जिहाद' कानून की कई धाराओं पर लगाई रोक, साजिश साबित होने तक कोई तीसरा नहीं करा सकेगा FIR
हाईकोर्ट ने गुजरात सरकार के नए कानून के तहत तीसरे शख्स द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने पर यह कहते हुए रोक लगा दी है कि यह तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि लड़की को झूठ या किसी साजिश के तहत फंसाया गया है।
गुजरात हाईकोर्ट ने गुरुवार को 'गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधित) अधिनियम-2021' की कुछ धाराओं के कार्यान्वयन पर रोक लगाने का आदेश दिया है। इस अधिनियम (एक्ट) को 'लव जिहाद' के नाम से भी जाना जाता है। अदालत ने तीसरे शख्स द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने पर यह कहते हुए रोक लगा दी है कि यह तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि लड़की को झूठा या किसी साजिश के तहत फंसाया गया है।
अपने आदेश में हाईकोर्ट ने शादी के जरिए जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ लाए गए संशोधित कानून की कई धाराओं पर रोक लगा दी है। जिन धाराओं पर लगाई गई है, उनमें वह भी शामिल हैं, जिनमें अंतधार्मिक विवाह को जबरन धर्मांतरण का कारण बताया गया है। बता दें कि इस कानून में जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में कुछ ऐसे कठोर प्रावधान किए गए हैं, जिनकी वजह से दोषी साबित किए गए व्यक्ति को कड़ी सजा दी जा सकती है।
गुजरात राज्य विधानसभा के हाल के बजट सत्र में राज्य सरकार ने संशोधन विधेयक पारित किया था और राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद इसे इस साल 15 जून से लागू किया गया था। इस संशोधन को दो याचिकाओं द्वारा चुनौती दी गई है। एक याचिका जमीयत उलमा-ए-हिंद और जमीयत उलमा वेलफेयर ट्रस्ट और दूसरी याचिका अहमदाबाद निवासी मुजाहिद नफीस द्वारा दायर की गई है। इनमें कहा गया है कि संशोधित कानून विवाह के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है, जो किसी भी धर्म के प्रचार के अधिकार की गारंटी देता है।
याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अदालत ने गुरुवार को अधिनियम की धारा 3, 4, 4ए, 4बी, 4सी, 5, 6 और 6ए पर रोक लगा दी। न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव के साथ ही मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ की खंडपीठ की ओर से अंतरिम आदेश पारित किया गया है। इस कानून के प्रावधानों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह फैसला सुनाया।
अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा, "हमारी राय है कि आगे की सुनवाई तक, धारा 3, 4, 4ए से 4 सी, 5, 6 और 6ए की कठोरता केवल इसलिए संचालित नहीं होगी, क्योंकि विवाह एक धर्म के व्यक्ति द्वारा दूसरे धर्म के व्यक्ति से किया जाता है। बल, प्रलोभन या कपटपूर्ण साधनों के बिना और इस तरह के विवाह को गैरकानूनी धर्मांतरण के उद्देश्य से विवाह नहीं कहा जा सकता है।"
मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक मुजाहिद नफीस ने गुरुवार को मीडिया से कहा, "हाईकोर्ट ने एक अच्छा अवलोकन किया और किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने पर प्रतिबंध लगा दिया। वे यह कैसे तय कर सकते हैं कि धर्म परिवर्तन के लिए शादी की गई थी।"
अदालत के इस महत्वपूर्ण फैसले पर गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा, "जब भी संबंधित अदालतों द्वारा इस तरह के फैसले पारित किए जाते हैं, तो हमारे कानूनी विभाग और अन्य तकनीकी अनुभाग इस पर गौर करते हैं। एक बार जब हमें यह अंतरिम आदेश मिल जाएगा और हमारे कानूनी विशेषज्ञों को इसे देखने के बाद सरकार भविष्य की कार्रवाई फैसला करेगी।"
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