गुजरात: मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में हुए व्यापमं से भी बड़े घोटाले, संघ-बीजेपी से जुड़े नेता का सनसनीखेज आरोप
25 साल से संघ-बीजेपी से जुड़े रहे बड़ोदरा निवासी कल्याण सिंह चंपावत ने गुजरात में पीएम मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में सरकारी भर्तियों व अवैध निर्माण में हुए करोड़ों के घोटालों की जांच की मांग की है। विधायक जिग्नेश मवानी भी खुलकर उनके समर्थन में आ गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात माॅडल की कलई को अब खुद बीजेपी और संघ के बेहद करीब रहे लोग खोलने में जुटे हैं। इनमें कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने 2001 से 2013 तक गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में कई विभागों में सरकारी नौकरियों के नाम पर राज्य भर के हजारों बेरोजगार युवकों से बीजेपी के चुनाव फंड के लिए कई हजार करोड़ रूपया इकट्ठा करवाया था।
बड़ोदरा के निवासी कल्याण सिंह चंपावत ऐसे ही एक व्हिसल ब्लोअर हैं। उन्होने दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में पत्रकारों से बातचीत करते हुए नरेंद मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में गुजरात की बीजेपी सरकार के घोटालों का भंडाफोड़ किया है।
25 साल से बीजेपी से जुड़े रहे 56 वर्षीय चंपावत का दावा है कि गुजरात में 12-13 साल में पैसे के बदले सरकारी नौकरी दिलाने का गोरखधंधा मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले से भी बहुत बड़ा है। बकौल उनके राज्य में मोदी के मुख्यमंत्री रहते सरकारी नौकरी के बदले में सभी महकमों में 3.50 लाख लोगों को नौकरियां 5 से 50 लाख रूपए की भारी-भरकम रिश्वत लेकर बेची गईं। उन्होंने अपने दावों के समर्थन में दस्तावेज भी सबूत के तौर पर सार्वजनिक किए। उन्होने गुजरात के लाखों बेरोजगारों से धोखाधड़ी करने के मामले में खुद सरकारी गवाह बनने की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि वे खुद मोदी राज में हजारों करोड़ की रिश्वतखोरी के गवाह हैं और झूठ पकड़ने वाली मशीन से टेस्ट के लिए तैयार हैं।
गुजरात के अहमदाबाद शहर में 7 लाख से ज्यादा अवैध भवन निर्माण में भी चंपावत ने भारी घोटाले और हजारों करोड़ रूपए की संगठित लूट का दावा किया। उनका आरोप है कि मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में 24 हजार अवैध निर्माण कार्यों को नियमित किया गया। अवैध तरीके से मंजिलों को बढ़ाने, पार्किंग, आवासीय परिसरों में अवैध दूकानों को नियमित करने के लिए और व्यावसायिक भवनों की इजाजत के लिए भी करोड़ों रुपए रिश्वत वसूली गई।
संवाददाता सम्मेलन में राज्य के युवा दलित नेता और विधायक जिग्नेश मेवानी भी खुलकर उनके समर्थन में आ गए। उनकी मांग थी कि मोदी राज के इन घोटालों की स्वतंत्र एजेंसी से जांच हो। चंपावत का आरोप है कि मोदी कार्यकाल में गुजरात में हर माह सैकड़ों बेकसूर लोगों को झूठे मुकदमों मे फंसाया जाता रहा, जबकि किसी पर आरोप सिद्ध नहीं होते। 98 प्रतिशत लोग अदालतों से बरी हो जाते हैं क्योंकि वे बेकसूर होते हैं।
चंपावत पेशे से मैनेजमेंट ट्रेनर रहे हैं। अब मोदी और उनके करीबी लोगों को बेनकाब करने के लिए वे राजनीतिक मुहिम में जुट गए हैं। इस मुहिम को जनता और न्यायपालिका में ले जाने के लिए वे सक्रिय राजनीति में भी उतर आए हैं। हाल में उन्होने राष्टीय क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी के गुजरात राज्य अध्यक्ष का भी कार्यभार संभाल लिया है। उन्होने यह भी ऐलान कर दिया कि वे तब तक चुप नही बैठने वाले जब तक प्रधानमंत्री मोदी और गुजरात में घोटालों को अंजाम देने वाले उनके निकटस्थ लोगों पर कार्रवाई नहीं होती।
राज्य के घोटालों पर से पर्दा उठाते हुए वे कहते हैं कि बीजेपी ने बेरोजगारों को सरकारी नौकरी का लालच देकर फंड एकत्र करने के लिए मेरा भी इस्तेमाल किया। उसके बाद तो उनसे बीजेपी के कई लोगों ने डरा-धमका कर जबरन रकम ऐंठने का कुचक्र रचा और हरेन पांड्या की तरह मेरी भी हत्या करने की धमकी देते रहे।
इतना ही नहीं, उन्हें झूठे मुकदमे में जेल में भी डाल दिया गया। जेल से वे बाहर तब आ सके जब मोदी प्रधानमंत्री बन गए। उन्होंने उस वक्त मोदी के करीबी नरेंद्र गढ़वी, सुरक्षा अधिकारी, टेलीफोन ऑपरेटर समेत करीबी मंत्रियों और बीजेपी नेताओं के नाम गिनाए थे, जिनके जरिए उन्हें ब्लैकमेल कर बीजेपी के लिए फंड जुटाने का दबाव डाला जाता रहा।
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