गुजरात: 20 साल जेल की सजा काटने के बाद कोर्ट ने 122 लोगों को सिमी का सदस्य होने के आरोप से किया बरी, जानें पूरा मामला
कोर्ट ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन यह साबित करने के लिए ठोस, विश्वसनीय और संतोषजनक सबूत पेश करने में नाकाम रहा कि आरोपी सिमी से जुड़े हुए थे।
गुजरात में सूरत की एक अदालत ने बड़ा फैसला दिया है। अदालत ने 122 लोगों को प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के सदस्य होने के आरोप से बरी कर दिया है। सभी लोगों को दिसंबर 2001 में प्रतिबंधी संगठन सिमी की हुई बैठक में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत की गई थी।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एएन दवे की कोर्ट ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन यह साबित करने के लिए ठोस, विश्वसनीय और संतोषजनक सबूत पेश करने में नाकाम रहा कि आरोपी सिमी से जुड़े हुए थे और प्रतिबंधित संगठन की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए बैठक में शामिल हुए थे। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों को यूएपीए के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
सूरत की अठवालाइंस पुलिस ने 28 दिसंबर, 2001 को करीब 127 लोगों को सिमी का सदस्य होने के आरोप में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया था। सभी पर शहर के सगरामपुरा के एक हॉल में प्रतिबंधित संगठन की गतिविधियों को विस्तार देने के लिए बैठक में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। इन 20 सालों में मामले की सुनवाई के दौरान दौरान 5 आरोपियों की मौत हो गई थी।
इस मामले के आरोपियों ने अपने बचाव में कहा कि उनका सिमी से कोई संबंध नहीं है और वे सभी अखिल भारतीय अल्पसंख्यक शिक्षा बोर्ड के बैनर तले हुए कार्यक्रम में शामिल हुए थे। बरी होने के बाद सभी ने राहत की सांस ली है। इस मामले के आरोपी गुजरात के अलग-अलग हिस्सों के अलावा पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, बिहार और उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। केंद्र की तत्कालीन सरकार ने 27 सितंबर, 2001 को अधिसूचना जारी कर सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया था।
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