अमृतसर से ग्राउंड रिपोर्ट: पंजाब की सबसे हॉट सीट पूर्वी अमृतसर में मुकाबला दिलचस्प, ये मुद्दे हो सकते हैं निर्णायक
बेशक कड़े बताए जा रहे मुकाबले के बावजूद अमृतसर शहर के लोग गुंडागर्दी और बदमाशी कतई पसंद नहीं करते। यही वजह है कि 2014 में देश में कथित मोदी लहर के बावजूद बीजेपी के दिग्गज नेता अरुण जेटली यहां से चुनाव हार गए थे।
पंजाब की जवानी को लील रहे ड्रग्स का मुख्य सप्लाई जोन पाकिस्तान से सटे सीमावर्ती शहर अमृतसर में नशे से हुई तबाही के जख्म विधानसभा चुनाव में और गहरे हो रहे हैं। वजह बनी है पंजाब की सबसे हॉट सीट अमृतसर पूर्वी। यहां से चुनाव लड़ रहे छह हजार करोड़ के ड्रग्स रैकेट में आरोपी और शिरोमणि अकाली दल सुप्रीमो सुखबीर बादल के साले बिक्रम जीत सिंह मजीठिया अपने साथ जुड़े विवादों और चर्चाओं को भी साथ ही लेकर आए हैं। उनका मुकाबला है पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से। चुनाव में पूरी ताकत झोंकने के बावजूद मजीठिया की गुंडागर्दी और उनके जीतने की स्थिति में यहां नशे का प्रकोप बढ़ने का खौफ लोगों को सता रहा है। यही यहां के चुनाव में निर्णायक भी साबित हो सकता है।
पंजाब में यदि कहीं सियासी पारा चरम पर है तो वह है अमृतसर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र। पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और अकाली दल के प्रत्याशी बिक्रम जीत सिंह मजीठिया के बीच यहां मुकाबला है। पंजाब की इस सबसे हॉट सीट में घुसते ही बैनर, झंडों और पोस्टरों से पटी गलियां-मोहल्ले और शोर मचाते प्रचार वाहन इस बात की तस्दीक कर देते हैं कि यह सीट नाक का सवाल बन गई है। हालात ये हैं कि प्रचार सामग्री से पटे इस क्षेत्र में पूरे घमासान की कहानी बैनर, पोस्टरों और झंडों की जुबानी भी समझी जा सकती है। सिखों के मक्का कहे जाने वाले इस शहर में ही नहीं पूरे प्रदेश में यदि किसी सीट की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है तो माझा में आते इस क्षेत्र की ही हो रही है।
बिक्रम जीत सिंह मजीठिया का खौफ ऐसा है कि लोग बात करने पर अपनी तस्वीर खिंचाने या नाम बताने से भी कतराते हैं। मजीठिया की दबंगई का आलम यह है कि जहां भी नवजोत सिंह सिद्धू के पोस्टर लगे हैं वहां जबरन लोगों को धमका कर अपने पोस्टर लगवा दिए हैं। इतने खौफ के बावजूद ऐसे लोग मिल गए जो खुल कर अपनी बात कहने से नहीं चूके। जाहिर है कि लोगों ने ठान रखा है कि हमें अपना वोट किसे देना है।
बेशक कड़े बताए जा रहे मुकाबले के बावजूद अमृतसर शहर के लोग गुंडागर्दी और बदमाशी कतई पसंद नहीं करते। यही वजह है कि 2014 में देश में कथित मोदी लहर के बावजूद बीजेपी के दिग्गज नेता अरुण जेटली यहां से चुनाव हार गए थे। इसकी सबसे बड़ी वजहों में से एक बिक्रम जीत सिंह मजीठिया का लोगों को धमकाना भी माना गया था। क्योंकि मजीठिया ही जेतली की चुनावी कमान संभाल रहे थे।
अमृतसर के स्थानीय लोगों की अगाध आस्था का केंद्र गुरुद्वारा शहीदा साहिब के बाहर मिले रणदीप सिंह का कहना था कि मजीठिया अगर जीता तो रेहडि़यों और फडि़यों में चिट्टा बिकेगा। खुलेआम ड्रग्स बिकेगा। जैया मजीठा में हो रहा है। आतंकवाद के दौर में कभी भयंकर खौफ में जीता रहा सुल्तानविंड रोड पर हार्डवेयर की दुकान के मालिक अनिल और कमल शर्मा का कहना था कि जहां मजीठिया आते हैं वहां ड्रग्स का इश्यू आ ही जाता है। नशे और गुंडागर्दी के कारण मजीठिया को लोग स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। बेशक मजीठिया ने यहां पैसा झोंक दिया है। उनका कहना था कि अकालियों का वोट शेयर इस बार घटेगा। नजदीकी मुकाबले में ही हार-जीत तय होगी। दलितों में चन्नी फैक्टर तो काम कर ही रहा है। अनिल और कमल शर्मा का कहना था कि केजरीवाल अगर पंजाब का सीएम बनना चाहें तो वह कतई स्वीकार नहीं होंगे।
बीजेपी शासन की चर्चा करते हुए वह कहते हैं कि मोदी युग में हुए घोटाले से मध्य वर्ग की कमर टूट गई है। हालिया 22 हजार करोड़ के घोटाले की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 70 रुपये की मिलने वाले चीज आज 140 रुपये की हो गई है। बीजेपी के आईटी सेल के खेल से सारे मुद्दे दबा दिए जाते हैं। छेहरटा के पवन शर्मा का कहना था कि पंजाब की जवानी नशे ने बेकार कर दी है। चुनाव में वोट उसे बिल्कुल नहीं देना है, जो नशा बेचता हो या जिस पर नशा बेचने का आरोप हो। सिद्धू के मुकाबले यदि मजीठिया यहां से जीते तो बदमाशी बढ़ जाएगी, जिसे अमृतर के लोग बिल्कुल स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। भयंकर रेल हादसे का शिकार हुए जौड़ा फाटक क्षेत्र में गिल डेयरी के मालिक हरपाल सिंह का कहना था मुकाबला अकाली-कांग्रेस के बीच ही है। वह यह चर्चा करने से नहीं चूके कि हादसे में मृतकों के परिजनों को सिद्धू ने हर तरह से मदद दी है। सिद्धू ने आर्थिक मदद के साथ ही नौकरी और राशन तक का बंदोबस्त परिजनों के लिए किया है।
प्रीतमनगर के दीपक शर्मा का कहना था कि बदमाशी और नशा मजीठिया के साथ ही है। मजीठिया लोगों को धमका रहे हैं कि हमारे साथ आ जाओ नहीं तो सरकार बनने पर फिर ठीक नहीं होगा। दीपक शर्मा ने नशे का हाल बताते हुए कहा कि यहां मोहकमपुरा में गली-गली में नशा बिक रहा है। कोई भी सामान्य आदमी गली में जाए तो बच्चे पूछते हैं कि आपको सामान चाहिए क्या। सिद्धू से पहले इस इलाके को कोई पूछता नहीं था। सिद्धू ने पुल से लेकर गलियों-नालियों तक के काम करवाए हैं। नशे से बर्बाद हो रहे बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा की व्यवस्था होने की जरूरत पर वह बल देते हैं। नशे से हुई तबाही के निशान अमृतसर के मकबूलपुरा में इतने भयावह हैं कि हर दूसरे-तीसरे घर में किसी न किसी को नशे ने लील लिया है। यही नहीं अमृतसर के इस्लामाबाद से लेकर गुरुनानक पुरा, नारायण गढ़, गुरु की वडाली, कोट खालसा, फतेह सिंह कालोनी, अन्न गढ़, भाई मंज सिंह रोड, सुल्तान विंड, मोगमपुरा व आबादी मोहल्ला वह इलाके हैं जो नशे से कम या बुरी तरह प्रभावित हैं।
जाहिर है नशा और गुंडागर्दी यहां दो ऐसे मुद्दे हैं जो चुनाव में बड़ा मुद्दा हैं। सिद्धू ने तो अपना पूरा एजेंडा ही पोस्टरों में हर गली-नुक्कड़ में लगवा रखा है, जिसकी लोग चर्चा कर रहे हैं। इसी हल्के में 15 फरवरी को शाम हुए प्रियंका गांधी के रोड शो में स्वैच्छिक तौर पर उमड़ी लोगों की भीड़ का जुनून अगर संकेत माने तो चुनाव की दिशा तय हो गई है। तकरीबन एक घंटे चले इस रोड शो में प्रियंका गांधी पर लोग लगातार फूल बरसा रहे थे। अमतसर की दूसरी अहम सीट अमृतसर केंद्रीय है, जहां से उप-मुख्यमंत्री ओमप्रकाश सोनी चुनाव लड़ रहे हैं। यह सोनी के लिए सेफ सीट मानी जा रही है। लेकिन चर्चा यहां भी सोनी के चुनाव से ज्यादा सिद्धू और मजीठिया के चुनाव की ही थी। यहां हॉल गेट पर चाय की दुकान चला रहे रमेश कुमार का कहना था कि इस चुनाव में मजीठिया गुंडागर्दी जरूर करेगा। लोगों को यकीन है कि मजीठिया के चलते चुनाव शांतिपूर्ण नहीं होगा। उसके चिट्टे बेचने का मामला कौन नहीं जानता। मुकाबला कड़ा होगा, लेकिन शहर के लोग उसे पसंद नहीं करेंगे।
माझा की दूसरी सबसे अहम सीट पाकिस्तान की सीमा से सटी डेरा बाबा नानक में भी मुकाबला कड़ा है। महज 10-12 हजार की हिंदू बहुल आबादी वाला डेराबाबा नानक छोटा सा कस्बा है। यहां से उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा कांग्रेस प्रत्याशी हैं। मुख्य बाजार में कपड़े की दुकान और जनरल स्टोर के मालिक अमन कुमार और हैपी ने कहा कि यहां मुकाबला अकाली और कांग्रेस के बीच ही है। हार-जीत का अंतर यहां बेहद कम होने वाला है। आम आदमी पार्टी की यहां खास चर्चा न होने की बात उन्होंने कही। 25 विधानसभा सीटों वाला पंजाब का माझा क्षेत्र मालवा के बाद दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। पाकिस्तान से यह इलाका सटा होने के कारण बेहद संवेदनशील है और नशे से बेहद प्रभावित है। लोग यहां मजाक में कहते हैं कि कोई अपना कपड़ा भी हिला दे तो 100-200 ग्राम हेरोइन निकल आएगी। साफ है कि इस क्षेत्र में यह बड़ा चुनावी मुद्दा भी है। 2017 के विधानसभा चुनाव में अमृतसर, तरनतारन, गुरुदासपुर और पठानकोट को अपने में समेटे मालवा की 25 विस सीटों में कांग्रेस की झोली में 23 सीटें आई थीं। अकाली दल को दो सीटें, जबकि आम आदमी पार्टी का यहां सूपड़ा साफ हो गया था। लेकिन इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प और कड़ा है।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia