दिल्ली से सटे नोएडा में कोरोना से लड़ाई में घोर लापरवाही, जिला अस्पताल के कूड़ेदान में मिले इस्तेमाल पीपीई किट
नोएडा जिला अस्पताल में कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को पीपीई किट की सुविधा दी गई है, लेकिन अस्पताल में इन पीपीई किट को इस्तेमाल करने के बाद इन्हें आम कचरों के डिब्बे में ही फेंकने की घटना सामने आई है, जो खतरनाक हो सकता है।
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 366 हो गई है और लगातार स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन मिलकर कोरोना से निपटने के लिए कई तरह के सख्त कदम उठा रहे हैं। लेकिन इसी बीच जिला अस्पताल में इस्तेमाल में लाए गए पीपीई किट के डिस्पोजल को लेकर भारी लापरवाही सामने आई है, जो यहां इलाज कराने आ रहे दूसरे लोगों के लिए मुसीबत बन सकती है।
दरअसल नोएडा जिला अस्पताल में कोरोना से बचाव के लिए डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को पीपीई किट की सुविधा दी गई है, ताकि डॉक्टर संक्रमण से सुरक्षित रहें। लेकिन अस्पताल में पीपीई किट को इस्तेमाल करने के बाद इन्हें आम कचरों के डिब्बे में ही फेंकने की घटना सामने आ रही है।
इस घटना के सामने आने के बाद जिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. वंदना शर्मा ने कहा, "जिसने भी ये फेंकी है, मैं इसकी जांच जरूर करुंगी, लेकिन हमने पीपीई किट को फेंकने की सबको ट्रेनिंग दी हुई है। हो सकता है इमरजेंसी में किसी ने फेंक दी हो।" वहीं इस मामले पर गौतमबुद्धनगर के जिला अधिकारी सुहास एल वाई ने कहा, "अगर ऐसा कुछ है तो हम जरुर पता करेंगे और कार्रवाई करेंगे।"
गौरतलब है कि कोविड-19 से निपटने के लिए जारी गाइडलाइंस के तहत सभी बायोमेडिकल वेस्ट का नियमों के अनुसार ही निस्तारण किया जाना होता है। इसके लिए अस्पताल में लाल, काले, पीले और सफेद रंग के डस्टबिन रखे गए हैं। पीपीई किट को इस्तेमाल के बाद हाइपोक्लोराइट के घोल में डुबोया जाता है और बाद में इसे बैग में पैक किया जाना होता है। क्वारंटीन केंद्रों से जो कचरा निकलता है, उसे पीले बैग में इकट्ठा करके बॉयोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट में भेजना होता है।
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