कहानी एक डॉन की: दादा स्वतंत्रता सेनानी, नाना ब्रिगेडियर, कुख्यात अपराधी से नेता कैसे बना मुख्तार अंसारी? पढ़िए
मुख्तार अंसारी की अंडरवल्र्ड में यात्रा साल 1980 में शुरू हुई। अंसारी उस समय मखनु सिंह गिरोह का सदस्य था। 1980 के दशक में यह गिरोह साहिब सिंह के नेतृत्व वाले गिरोह से सैदपुर में जमीन के मामले को लेकर एक अन्य गिरोह के साथ भिड़ गया।
कुख्यात अपराधी मुख्तार अंसारी, मउ निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार विधायक रह चुका है। उसका ऐसा दबदबा कि लोग उसके खिलाफ बोलने से पहले सोचते हैं। उसने पांच बार लगातार चुनाव जीता। इतना ही नहीं, पांच में से दो बार स्वतंत्र चुनाव लड़कर जीत हासिल की। मुख्तार का अपने क्षेत्र में दबदबा ऐसा है कि जेल में रहते हुए भी उसने 2007, 2012 और 2017 के चुनाव में भी अपनी जोरदार जीत दर्ज हासिल की। 57 वर्षीय मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश का ऐसा कुख्यात अपराधी माना जाता है जो सूबे में अपना रसूख रखता है और लोग उसका सम्मान करते हैं।
मुख्तार अंसारी की अंडरवल्र्ड में यात्रा साल 1980 में शुरू हुई। अंसारी उस समय मखनु सिंह गिरोह का सदस्य था। 1980 के दशक में यह गिरोह साहिब सिंह के नेतृत्व वाले गिरोह से सैदपुर में जमीन के मामले को लेकर एक अन्य गिरोह के साथ भिड़ गया, जिसके बाद हिंसक घटनाएं बढ़ती चली गईं। साहिब सिंह के गैंग के सदस्य बृजेश सिंह ने बाद में अपना खुद का गैंग बना लिया और 1990 के गाजीपुर के अनुबंध कार्य माफिया पर कब्जा कर लिया।
अंसारी के गिरोह ने उसके साथ 100 करोड़ रुपये के अनुबंध कारोबार को नियंत्रण करने के लिए प्रतिस्पर्धा की, जो कोयला खनन, रेलवे निर्माण, स्क्रैप निपटान, सार्वजनिक कार्यों और शराब व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में फैला था। गैंग अपहरण के अलावा संरक्षण और जबरन वसूली रैकेट भी चला रहा था।
उसने 1995 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में छात्र संघ से राजनीति में एंट्री की और 1996 में बीएसपी के टिकट पर विधायक बना। 2002 में सिंह ने अंसारी के काफिले पर हमला किया। इस हमले में अंसारी के तीन लोगों की मौत हो गई। बृजेश सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया और उसे मृत मान लिया गया। अंसारी पूर्वांचल में गैंग का प्रमुख बन गया। हालांकि, बृजेश सिंह किसी तरह से बच निकला और झगड़ा फिर से शुरू हो गया।
अंसारी के राजनीतिक प्रभाव का मुकाबला करने के लिए सिंह ने भाजपा नेता कृष्णानंद राय के चुनाव अभियान का समर्थन किया। राय ने 2002 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मोहम्मदाबाद से मुख्तार अंसारी के भाई और पांच बार के विधायक अफजल अंसारी को हरा दिया। अंसारी ने गाजीपुर-मऊ क्षेत्र में चुनावों के दौरान अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए मुस्लिम वोट बैंक का इस्तेमाल किया। उनके विरोधियों ने हिंदू वोटों को मजबूत करने की कोशिश की, जो जातिगत आधार पर विभाजित हैं।
अपराध, राजनीति और धर्म के मिश्रण ने क्षेत्र में सांप्रदायिक हिंसा के कई उदाहरणों को जन्म दिया। ऐसे ही एक दंगे के बाद 2005 में लोगों को हिंसा के लिए भड़काने के आरोप में मुख्तार अंसारी को गिरफ्तार किया गया था। तब से ही वह करीब 16 सालों से जेल में है।
उसके दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी 1927-28 में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष थे। वह मुस्लिम लीग के प्रमुख भी थे। साथ ही वह जामिया मिलिया इस्लामिया के संस्थापक सदस्य और पूर्व कुलपति भी थे। डॉन के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान अंसारी, जिन्हें 'शेर का नोहशेरा' कहा जाता है, महावीर चक्र से सम्मानित थे। मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी एक राष्ट्रीय स्तर के भारतीय निशानेबाज हैं, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक हासिल किये हैं।
वहीं, बीएसपी सांसद और मुख्तार के बड़े भाई अफजल अंसारी ने कहा, "ज्यादातर मामलों में मुख्तार को आपराधिक साजिश के लिए गिरफ्तार किया गया और राजनीतिक कारणों से उसके खिलाफ मामले दर्ज किए गए। हमें न्यायपालिका पर भरोसा है। हम मीडिया ट्रायल नहीं चाहते, जो चल रहा है।"
कृष्णानंद राय हत्याकांड के बारे में बात करते हुए अफजल ने कहा, हत्या के समय मुख्तार पहले से ही जेल में था। उस पर मामले में साजिश रचने का आरोप लगाया गया है।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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Published: 07 Apr 2021, 2:33 PM