रुपया पहुंचने वाला है 72 के पार, सरकार का तर्क, घबराएं न, हम नहीं, वैश्विक हालात हैं जिम्मेदार
बुधवार को आखिरकार केंद्र सरकार ने रुपए की गिरती हालत पर चुप्पी तोड़ी। लेकिन जो तर्क दिया वह समझ से परे है। सरकार ने कहा कि रुपए की गिरावट हमारे हालात की वजह से नहीं बल्कि वैश्विक परिस्थितियों के कारण है और इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
लगता है मोदी सरकार के पास हर समस्या और संकट के हल के लिए जनधन खातों का गुणगान है। डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है और 72 रूपए के आंकड़े को छू रहा है, लेकिन केंद्र सरकार देश को यह बता रही है कि अब तक कितने जनधन खाते खुले, इनमें कितने महिलाओं के हैं और कितने पुरुषों के। और, अब उसका लक्ष्य और भी खाते खोलने का है। रुपया गिर रहा है, पेट्रोल-डीज़ल के दाम आसमान पर हैं, इस पर सरकार का जवाब है कि दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को इससे घबराने की जरूरत नहीं है, जो हो सकता है, किया जा रहा है।
बुधवार को जब मुद्रा बाजार में एक डॉलर की कीमत 72 रुपए के पास पहुंच गई तो चौतरफा हाहाकार नजर आने लगा, लेकिन सरकार की नींद लगता है तब भी नहीं खुली। देर शाम वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रेस कांफ्रेंस की और बताया कि घबराने की जरूरत नहीं है, कोई आफत नहीं टूट पड़ी है, सबकुछ काबू में है। सरकार का बचाव करते हुए जेटली ने कहा कि रुपये में गिरावट का कारण कोई घरेलू आर्थिक स्थिति नहीं है। वित्त मंत्री ने तर्क दिया कि, “अगर आप घरेलू आर्थिक स्थिति और वैश्विक स्थिति को देखते हैं, तो इसका कारण घरेलू नहीं बल्कि वैश्विक है।“ उनका तर्क है कि “डॉलर के मुकाबले दुनियाभर की करेंसी गिर रही है।” उन्होंने बताया कि ‘हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि डॉलर लगभग हर मुद्रा के खिलाफ मजबूत हुआ है।’
वित्त मंत्री संभवत: कह रहे हैं कि दुनिया भर में आग लगी है तो हमारे यहां भी लगी है और इसे बुझाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हमारे घर के हालात तो बहुत अच्छे हैं। वित्त मंत्री यहीं नहीं रुके। उन्होंने जोर देकर कहा कि दूसरे देशों की करेंसी की तुलना में रुपये की स्थिति अभी भी बेहतर है। हाल के दिनों में रुपये में जो भी थोड़ी बहुत गिरावट हुई है, उसके लिए जो भी जरूरी है, आरबीआई वो कदम उठा रही है। यहां वित्त मंत्री को शायद ध्यान नहीं रहा कि पिछले 6 दिन से रुपया लगातार नीचे जा रहा है और इसमें कोई मामूली कमी नहीं हुई है, पूरे 165 पैसे की कमी रुपए ने दर्ज की है, जिसे वित्त मंत्री मामूली गिरावट बता रहे हैं।
उन्होंने पूरे विश्वास के साथ कहा कि, “रुपये में गिरावट को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था को घबराने की जरूरत नहीं है।” लेकिन वित्त मंत्री शायद भूल गए कि रुपए में लगातार गिरावट के असर क्या होते हैं, या वे जानबूझकर इसके असर को बताने में संकोच कर रहे हैं अथवा देश को गुमराह कर रहे हैं। वित्त मंत्री जी हम आपको बता देते हैं कि गिरते रुपए का क्या क्या असर होगा :
- रुपया गिरेगा तो पेट्रोल-डीज़ल के पहले से आसमान छूते दाम और ऊपर जाएंगे
- जब तेल के दाम बढ़ेंगे तो उसका असर बाकी चीज़ों की कीमतों पर पड़ेगा
- आरबीआई को ब्याज दरें बढ़ानी पड़ेंगी
- ब्याज दर बढ़ेगी तो कर्ज महंगा होगा। घर-गाड़ी का सपना चकनाचूर होगा
- पहले से लिए कर्ज की किश्त में इजाफा होगा
- विदेशों में पढ़ रहे छात्रों को फीस के लिए ज्यादा रुपए देने होंगे, क्योंकि उनकी फीस की मुद्रा डॉलर होती है
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में किसी राहत का संकेत नहीं
वित्त मंत्री अरुण जेटली से जब पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसे आम बात बताया। उन्होंने कहा कि यह तो ऊपर-नीचे होते रहते हैं। पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों में राहत देने के लिए एक्साइज़ ड्यूटी में किसी किस्म की कटौती का कोई संकेत न देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उतार-चढ़ाव हो रहा है और इनमें कोई तय बदलाव नहीं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि भारत कच्चे तेल का शुद्ध खरीदार है और जब इसकी कीमतें अल्पकालिक तौर पर भी ऊपर जाती हैं, भारत पर गहरा प्रतिकूल असर होता है।
जेटली को जब याद दिलाया गया कि यूपीए शासन में तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर तो आप और सुषमा स्वराज सरकार पर राशन-पानी लेकर चढ़ बैठे थे, तो उन्होंने अपने उन कदमों का बचाव किया। वित्त मंत्री ने कहा कि उस वक्त मुद्रास्फीति दहाई अंकों में थी। अगर हम उस समय आलोचना नहीं करते तो यह कर्तव्यों से विमुख होना होता।
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