मोदी सरकार में सरकारी नौकरियों पर आफत, एमटीएनएल के 22,000 कर्मचारी वेतन के बिना, बीएसएनएल पर भी खतरा
सरकारी दूरसंचार कंपनी एमटीएनएल के कर्मचारियों को पिछले महीने का वेतन अब तक नहीं मिला है। जबकि बीएसएनएल के कर्मचारियों को जुलाई की सैलरी मिलने पर आफत नजर आ रहा है। इसके अलावा खबर है कि दोनों कंपनियों ने वेंडर्स के पैसे देने भी बंद कर दिए हैं।
केंद्र की मोदी सरकार में लगातार आर्थिक संकट से जूझ रही सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल और एमटीएनएल की हालत इस कदर खस्ता हो गई है कि कंपनी के पास अपने कर्मचारियों का वेतन देने के भी पैसे नहीं हैं। एक न्यूज चैनल की खबर के अनुसार मोदी सरकार में लगातार संकट से जूझ रहे एमटीएनएल और बीएसएनएल के कर्मचारियों की सैलरी पर एक बार फिर ग्रहण लग गया है।
न्यूज चैनल ‘सीएनबीसी आवाज़’ की खबर के मुताबिक एमटीएनएल के कर्मचारियों का पिछले महीने की वेतन अब तक नहीं मिला है। जबकि बीएसएनएल के कर्मचारियों को जुलाई की सैलरी मिलने पर आफत नजर आ रहा है। इसके अलावा खबर में कहा गया है कि दोनों कंपनियों द्वारा वेंडर्स को पैसे देना भी बंद किए जाने की खबर है।
इस साल की पहली तिमाही तक के आंकड़ों के अनुसार बीएसएनएल में 1,63,902 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें 46,597 एक्जीक्यूटिव क्लास और 1,17,305 नॉन-एक्जीक्यूटिव क्लास में हैं। जबकि एमटीएनएल के कर्मचारियों की संख्या 21,679 है, जिनमें से 3,128 एक्जीक्यूटिव क्लास और 18,551 कर्मचारी नॉन-एक्जीक्यूटिव क्लास के पदों पर कार्यरत हैं।
संसद में सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक सरकारी कंपनी बीएसएनएल पिछले कई सालों से लगातार घाटे में चल रही है। सरकार के अनुसार साल 2018-19 में इसका घाटा 14,202 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के घाटे का लगभग दोगुना रहा। साल 2017-18 में यह घाटा 7993 करोड़ रुपये था। जबकि 2016-17 में यह घाटा 4793 करोड़ रुपये रहा और 2015-16 में 4859 करोड़ रुपये था।
पिछले पांच साल से सरकार इसकी हालत सुधारने के लिए कदम उठाने की बात जरूर कर रही है, लेकिन उसके किसी कदम का अब तक असर नहीं दिखा है। संसद को दी गई जानकारी में टेलीकॉम मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने बताया कि बीएसएनएल और एमटीएनएल के बहीखातों की हालत काफी खराब है और सरकार इन्हें रिवाइव करने की कोशिश कर रही है।
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