योगी सरकार के एस्मा को ठेंगा दिखा यूपी के 20 लाख से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर, नई पेंशन योजना का विरोध

कर्मचारी यूनियन के एक नेता ने कहा कि विभिन्न कर्मचारी संघों के साथ वार्ता विफल रहने के बाद सरकार ने आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) लागूकर सभी प्रदर्शनों को प्रतिबंधित कर दिया है, लेकिन हड़ताल शुरू हो चुकी है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया
user

नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के 20 लाख से ज्यादा कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग को लेकर बुधवार को हड़ताल पर चले गए। कर्मचारी राज्य की नई पेंशन योजना का विरोध कर रहे हैं, जिसमें सरकार का हिस्सा 10 फीसदी से बढ़कर 14 फीसदी हो गया है। इसका यह मतलब भी है कि कर्मचारी के योगदान में चार फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है, जिसका वे विरोध कर रहे हैं।

कर्मचारी यूनियन के एक नेता ने कहा कि विभिन्न कर्मचारी संघों के साथ वार्ता विफल रहने के बाद सरकार ने आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) लागूकर सभी प्रदर्शनों को प्रतिबंधित कर दिया है, लेकिन हड़ताल शुरू हो चुकी है।

राज्य की राजधानी में कई सरकरी कार्यालय खाली नजर आए या बंद रहे। यूनियन नेता प्रदर्शन के लिए कार्यालयों के बाहर इकठ्ठा हुए। राज्यव्यापी हड़ताल में 150 से ज्यादा सरकारी कर्मचारी संगठन हिस्सा ले रहे हैं।

इन सभी यूनियन के प्रतिनिधि समूह के संजोयक हरि किशोर तिवारी ने मीडिया को बताया कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो हड़ताल 12 फरवरी तक जारी रहेगी। उन्होंने कहा हालांकि, उनके प्रदर्शन के शुरुआती दिनों में स्वास्थ्य और ऊर्जा क्षेत्र के कर्मचारी शामिल नहीं होंगे।

उन्होंने कहा, "ऐसा संवेदना के आधार पर किया जा रहा है ताकि लोग प्रभावित न हों लेकिन बाद में इसमें स्वास्थ्य सेवा के कर्मचारी भी शामिल होंगे।"

मंगलवार देर रात मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडे ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सभी जिला अधिकारियों को हड़ताल कर रहे कर्मचारियों पर एस्मा लगाने का निर्देश दिया था। वहीं हड़ताल कर रहे कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शिव बरन सिंह यादव ने कहा कि वे अनुशासनात्मक और दंडात्मक कार्रवाई की धमकियों से डरने वाले नहीं हैं।

उन्होंने कहा, "हमने सरकार को हमारी मांगों पर सोचने के लिए पर्याप्त समय दिया है लेकिन उसकी सुस्ती के कारण चीजें यहां तक आ पहुंची हैं।" उन्होंने कहा कि सरकार गलत नीतियों के खिलाफ कर्मचारियों के हड़ताल के उनके लोकतांत्रिक अधिकार को छीन नहीं सकती।

एस्मा क्या है ?

एस्मा संसद द्वारा पारित अधिनियम है, जिसे 1968 में लागू किया गया था। इसके जरिये हड़ताल के दौरान लोगों के जनजीवन को प्रभावित करने वाली आवश्यक सेवाओं की बहाली सुनिश्चित कराने की कोशिश की जाती है। इसमें आवश्यक सेवाओं की एक लंबी सूची है, जिसमें सार्वजनिक परिवहन (बस सेवा, रेल, हवाई सेवा), डाक सेवा, स्वास्थ्य सेवा (डॉक्टर और अस्पताल) जैसी सेवाएं शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में एस्मा लागू किया जा सकता है। एस्मा भले ही केंद्रीय कानून है, लेकिन इसे लागू करने की स्वतंत्रता ज्यादातर राज्य सरकारों पर निर्भर है। एस्मा लागू हो जाने के बाद हड़ताली कर्मचारियों को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है। इसके अलावा इसमें कारावास और जुर्माने का भी प्रावधान है।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia