हरियाणा में OPS मांग रहे सरकारी कर्मचारियों को मिले डंडे और आंसू गैस के गोले, पुलिस ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा
कर्मचारियों को रोकने के लिए पंचकूला-चंडीगढ़ सीमा पर पुलिस ने भारी बैरीकेडिंग कर रखी थी। पहला अवरोध तो पार कर कर्मचारी निकल गए, लेकिन चंडीगढ़ की सीमा पर पहुंचते ही पुलिस एक्शन में आ गई।
पुरानी पेंशन स्कीम मांग रहे हरियाणा के हजारों सरकारी कर्मचारियों पर पुलिस ने बर्बरता की हद कर दी। पुलिस ने कर्मचारियों को दौड़ा-दौडा कर पीटा। यहां तक कि पुलिस ने महिला कर्मचारियों को भी नहीं बख्शा। वाटर कैनन चलाई। आंसू गैस के गोले दागे गए। यह ठीक उसी तरह था जैसे पुलिस ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के दिल्ली कूच के दौरान किया था। फर्क सिर्फ इतना था कि वह देश की राजधानी की सीमाओं पर हुआ था और यह राज्य की राजधानी चंडीगढ़ की सीमाओं पर हुआ है।
ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग कर रहे पूरे हरियाणा से आए कर्मचारियों के सैलाब ने पंचकूला में एक नई इबारत लिख दी। रविवार को ओपीएस को लेकर हरियाणा में आंदोलन का यह सबसे बड़ा आगाज था। हरियाणा के हर जिले से आए हजारों कर्मचारियों ने पंचकूला में ऐसी हुंकार भरी कि सरकार का भी दम फूलने लगा। कर्मचारियों की तादाद इतनी भारी थी कि तकरीबन 1 किलोमीटर के दायरे में झंडे बैनर और लोग ही नजर आ रहे थे। हजारों महिला कर्मचारियों की भी इसमें भागीदारी थी। पुलिस की भी इतनी तैयारी नहीं थी। ओपीएस की मांग को लेकर मुख्यमंत्री आवास घेरने निकले कर्मचारियों की तादाद देख इस बात का अंदेशा पहले ही था कि पुलिस लाठीचार्ज कर सकती है। हुआ भी यही।
कर्मचारियों को रोकने के लिए पंचकूला-चंडीगढ़ सीमा पर पुलिस ने भारी बैरीकेडिंग कर रखी थी। पहला अवरोध तो पार कर कर्मचारी निकल गए, लेकिन चंडीगढ़ की सीमा पर पहुंचते ही पुलिस एक्शन में आ गई। कर्मचारी चंडीगढ़ सीमा आवास जाना चाहते थे। एक्शन में आई पुलिस ने वाटर कैनन से लेकर आंसू गैस के गोले दागने शुरू कर दिए। देखते ही देखते कर्मचारियों पर लाठियां भी बरसने लगीं। पुलिस ने जो मिला जमकर उस पर लाठियां बरसाईं। दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। कर्मचारी कह रहे थे कि पुलिस ने तो कोई मर्यादा ही नहीं रखी। महिला कर्मचारियों को भी नहीं छोड़ा। इसमें कई कर्मचारी घायल हुए हैं।
पुलिस और कर्मचारियों के बीच कई घंटे यह टकराव होता रहा। इससे पहले पंचकूला में कर्मचारियों ने ऐलान कर दिया कि या तो सरकार उन्हें पुरानी पेंशन दे या फिर सत्ता से विदाई के लिए तैयार रहे। हजारों कर्मचारियों के गूंजते नारे और बैनर-तख्तियों में लिखी मांगे ही सब कुछ बयां कर रही थीं। आज संघर्ष करना है या बुढ़ापे में जिल्लत की मौत मरना है, पांच राज्यों में फिर से बहाल हुई पुरानी पेंशन, अब हरियाणा में बहाल हो पुरानी पेंशन, पेंशन खैरात नहीं, हक है लेकर रहेंगे, जो पेंशन बहाल करेगा, वही देश पर राज करेगा, तख्त बदल दो, राज बदल दो, पुरानी पेंशन बहाल करो, अभी करो तत्काल करो, एक देश में दो विधान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान, एक विधायक चुनाव जीतकर जिंदगी भर पेंशन पाता है, फिर कर्मचारियों से उनका हक क्यों छीना जाता है, हमें पेंशन में सुधार नहीं, हूबहू पुरानी पेंशन चाहिए, ओपीएस हमारा है, बुढ़ापे का सहारा है। इन नारों के जरिए ही कर्मचारी अपनी पूरी बात कह रहे थे। साथ ही वह यह भी बयां कर रहे थे कि अब वक्त आ गया है जब वह अपने हक के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं।
कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने पर 2030 तक देश के दिवालिया हो जाने के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बयान का हिसाब भी वह लेकर आए थे। कर्मचारियों का कहना था कि यह सिर्फ झूठ का पिटारा है। 2 फीसदी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने से देश कैसे दिवालिया हो जाएगा। जींद से आई अनीता का कहना था कि पुरानी पेंशन से कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है। शिक्षा विभाग में कार्यरत कैथल से आए बल्कार सिंह का कहना था कि सरकार पहले कह रही थी कि 38000 शिक्षकों के पद खाली हैं। अब मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि महज 13000 पद खाली हैं। थोड़े समय बाद यह कहेंगे कि एक भी पद खाली नहीं है। यही हाल पुरानी पेंशन का है। रोहतक से आए रविंदर का कहना था कि या तो हम पुरानी पेंशन लेंगे। यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो इस सरकार को ही बदल देंगे। सरकार यह समझ ले कि सरकारी कर्मचारी कमजोर नहीं है। हर कर्मचारी के साथ कम से कम 100 लोग जुड़े होते हैं।
कालेज टीचर एसोशिएशन के प्रवक्ता एसोसिएट प्रोफेसर डा. रवि शंकर का कहना था कि यदि सरकार यह समझती है कि सरकारी कर्मचारी सिर्फ 2 फीसदी हैं। यह 2 फीसदी कर्मचारी उसका क्या बिगाड़ पाएंगे। तो वह यह समझ ले कि हिमाचल में कर्मचारी ने अपनी ताकत दिखा दी है। यहां भी दिखा देगा। कई कर्मचारी संविधान निर्माता भीमराव अंबेदकर की तस्वीर लगी संविधान की किताब अपने साथ लेकर आए थे। इसके जरिये वह यह बता रहा थे जनतांत्रिक तरीके से अपने हक की आवाज बुलंद करना उनका अधिकार है। पंचकूला की सड़कों पर उमड़ा कर्मचारियों का यह सैलाब महज आगाज था। आने वाले दिनों में दिल्ली कूच से लेकर पूरे देश में आंदोलन के लिए कर्मचारियों ने कमर कस ली है।
पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष समिति के राज्य प्रधान विजेंदर धारीवाल ने सरकार और प्रशासन की इस कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा कि कर्मचारी किसी भी लाठी या डंडे से डरने वाले नही हैं। वे अपना हक पुरानी पेंशन लेकर रहेंगे। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम की मांग पूरी तरह से जायज है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों पर लाठीचार्ज करना निंदनीय है। लाठी और गोलियों से सरकार नहीं चलती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधानसभा में ओपीएस का मुद्दा उठाएगी।
इनेलो के प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने पंचकूला में पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष समिति के बैनर के नीचे हजारों की संख्या में प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों पर लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले छोड़ने और वाटर कैनन का इस्तेमाल करने की कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा यह बर्बरतापूर्ण कार्रवाई प्रदेश की बीजेपी गठबंधन सरकार के आदेशों पर की गई है। बीजेपी गठबंधन सरकार बजाय कर्मचारियों की बात सुनने के तानाशाही रवैया अपना रही है और कर्मचारियों का दमन कर रही है।
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