श्रीलंका पर सर्वदलीय बैठक में सरकार ने राज्यों की आर्थिक हालत पर की चर्चा, विपक्षी दलों ने उठाया सवाल
कई विपक्षी दलों ने इस बैठक में देश के राज्यों की आर्थिक स्थिति को सामने लाने पर आपत्ति जताई। बैठक में शामिल हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने कहा कि श्रीलंका पर बैठक बुलाना और राज्यों पर प्रस्तुति देना अनुचित था।
श्रीलंका संकट पर मंगलवार को सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सरकार की ओर से भारतीय राज्यों की आर्थिक स्थिति पर प्रस्तुति देने पर हंगामे की स्थिति पैदा हो गई। विपक्षी दलों ने इसका विरोध करते हुए श्रीलंका पर बैठक में इस तरह के कदम पर आपत्ति जताई।
बैठक के बाद जयशंकर ने कहा, "यह सरकार की पहल थी कि नेताओं को राज्यों की स्थिति के बारे में बताया जाए। हमने कुल 46 दलों को आमंत्रित किया गया था, 28 बैठक में शामिल हुए। 8 मंत्री सरकार से बी थे। श्रीलंका में बहुत गंभीर संकट है। श्रीलंका में स्थिति बहुत ही अभूतपूर्व है और वित्तीय और राजनीतिक संकट का सामना कर रही है । उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई राजनीतिक इरादा नहीं था लेकिन अधिकारियों ने सभी राज्यों की आर्थिक स्थिति प्रस्तुत की।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि श्रीलंका एक गंभीर संकट में है, लेकिन इस सुझाव को खारिज कर दिया कि भारत पर भी ऐसा ही संकट हो सकता है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका का बड़ा सबक राजकोषीय विवेक और सुशासन पर लिया जाना है, और सौभाग्य से इस देश में, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हमारे पास बहुत ही पर्याप्त उपाय हैं।
हालांकि, कई विपक्षी दलों ने इस बैठक में देश के राज्यों की आर्थिक स्थिति को सामने लाने पर आपत्ति जताई। बैठक में शामिल हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने कहा कि श्रीलंका पर बैठक बुलाना और राज्यों पर प्रस्तुति देना अनुचित था। टीएमसी के अलावा अन्य कई नेताओं ने भी इस पर आपत्ति जताई।
दरअसल वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की प्रस्तुति में आशंका थी कि मुफ्त की चीजों से राज्यों की आर्थिक स्थिति को नुकसान हो सकता है। सरकार की ओर से बैठक में संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी मौजूद थे, जबकि पी चिदंबरम और कांग्रेस के मनिकम टैगोर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, द्रमुक के टी.आर. बालू और एम.एम. अब्दुल्ला उपस्थित लोगों में शामिल थे।
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