किसानों से गतिरोध पर सफाई देने में जुटी सरकार, कहा- हर शंका का समाधान होगा, बातचीत के लिए फिर से तैयार

केंद्र सरकार ने माना है कि कृषि कानूनों को लेकर किसानों की मांगे सही हैं और उनपर विचार किया जा रहा है। साथ ही सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह फिर से किसानों के साथ बात करने को तैयार है।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

किसानों के साथ वार्ता का सिलसिला टूटने और किसान द्वारा आंदोलन को तेज करने के आह्वान के साथ ही केंद्र सरकार एक बार फिर दबाव में आती दिख रही है। सरकार ने साफ किया है कि वह किसानों के साथ बातचीत के लिए फिर से तैयार है। गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने प्रेस वार्ता के दौरान माना कि कृषि कानूनों को लेकर किसानों की चिंताए हैं और सरकार उनका सम्मान करती है।

पीयूष गोयल ने कहा कि, ”हम मानते हैं कि किसानों को कुछ मुद्दों पर चिंता है और हम इसका सम्मान करते हैं और जैसा कि हमने कहा कि इन चिंताओं के समाधान के लिए हम चर्चा के लिए तैयार हैं।” पीयूष गोयल ने कहा कि कुछ चिंताएं ऐसी थीं कि किसान अपनी उपज को निजी मंडियों में बेचने के लिए मजबूर होगा। यह बिल्कुल गलत है, कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

इस प्रेस कांफ्रेंस में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दोहराया कि किसानों की चिंता वाले प्रावधानों को दुरुस्त करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि, “सरकार किसानों को मंडी की बेड़ियों से आजाद करना चाहती है जिससे वे अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी को भी, अपनी कीमत पर बेच सकें।“

तोमर ने कहा कि, “हमने किसानों के पास एक प्रस्ताव भेजा था। वे चाहते थे कि कानून निरस्त कर दिए जाएं। हम ये कह रहे हैं कि सरकार खुले दिमाग के साथ उन प्रावधानों पर बातचीत करने के लिए तैयार है जिन पर किसानों को आपत्ति है। ये कानून एपीएमसी या एमएसपी को प्रभावित नहीं करते हैं। हमने यह बात किसानों को समझाने की कोशिश की। एमएसपी चलती रहेगी।“


उन्होंने दोहराया कि एमएसपी के मामले में किसानों को कोई शंका है तो इसे लेकर हम लिखित में आश्वासन देने को तैयार हैं। तोमर ने कहा कि “ऐसा कहा जा रहा है कि किसानों की जमीन पर उद्योगपति कब्जा कर लेंगे। गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग लंबे समय से चल रही है, लेकिन कहीं भी ऐसा देखने को नहीं मिला है कि किसी उद्योगपति ने किसान की जमीन पर कब्जा कर लिया हो। फिर भी हमारे कानून में प्रावधान बनाया है कि इन कानूनों के तहत होने वाला समझौता केवल किसानों की उपज और खरीदने वाले के बीच होगा। इन कानूनों में किसान की जमीन को लेकर किसी लीज या समझौते का कोई प्रावधान नहीं किया गया है।“

लेकिन उन्होंने एक बात साफ कर दी कि एमएसपी का इन कानूनों से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने दोहराया कि एमएसपी वैसे ही जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों से बातचीत के लिए तैयार है और उम्मीद है कि समाधान जल्द निकलेगा। कृषि मंत्री और वाणिज्य मंत्री दोनों ने किसानों से आंदोलन खत्म करने काआग्रह किया।

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