गोरखपुर ऑक्सीजन कांड: डॉक्टर कफील साबित हुए निर्दोष, 60 बच्चों की मौत मामले में किया गया था सस्पेंड

यूपी के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अगस्त 2017 में ऑक्सीजन की कमी से 60 बच्चों की मौत के मामले में आई जांच रिर्पोट में डॉक्टर कफील खान को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

गोरखपुर ऑक्सीजन कांड में निलंबित डॉक्टर कफील खान को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है। डॉक्टर कफील निर्दोष साबित हुए हैं। बता दें कि यूपी के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अगस्त 2017 में ऑक्सीजन की कमी से 60 बच्चों की मौत हो गई थी, जिसके बाद इस मामले में डॉक्टर कफील को सस्पेंड कर दिया गया था।

डॉक्टर कफील की मां ने हिमांशु कुमार की रिपोर्ट पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि सच बाहर आ ही गया। मैं सीएम योगी से अपील करती हूं कि वो कफील को फिर से बहाल करें।

प्रमुख सचिव खनिज और भूतत्व विभाग की अगुवाई में हुई जांच के बाद डॉक्टर कफील पर लगाए गए आरोपों में सच्चाई नहीं पाई। रिपोर्ट के मुताबिक, कफील ने घटना की रात बच्चों को बचाने की पूरी कोशिश की थी। इस तरह डॉक्टर कफील पर लगाए गए सभी आरोप गलत पाए गए।


गोरखपुर ऑक्सीजन कांड में डॉक्टर कफील को निर्दोष साबित होने के बाद कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने ट्वीट कर लिखा, “गोरखपुर हादसे में शासन की बदइंतजामियों ने पहले बच्चों का जीवन छीना और फिर एक निर्दोष नागरिक के 9 महीने के लिए उसके सुकून छीन लिया। डॉ. कफील को निर्दोष बताती ये रिपोर्ट अजय बिष्ट सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है।”

रोचक तथ्य यह है कि यह रिपोर्ट इस साल यानी 2019 में 18 अप्रैल को सौंपी गई है, लेकिन 6 महीने बाद भी अभी तक इस बारे में डॉ कफील खान और अन्य को इसकी जानकारी नहीं दी गई है।

इस रिपोर्ट में हिमांशु कुमार ने कहा है कि डॉक्टर कफील खान किसी भी लापरवाही के दोषी नहीं पाए गए हैं, बल्कि उन्होंने तो हालात को काबू में करने के लिए अपनी तरफ से भरपूर कोशिश की थी। रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर कफील खान ने अपने सीनियर्स को ऑक्सीजन की कमी का जानकारी पहले ही दे दी थी, और जब हालात बिगड़ने लगे तो उन्होंने अपने स्तर से ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम किया था।

गौरतलब है कि 2017 में कफील खान उस समय चर्चा मे आए थे जब प्रशासन ने उनपर आरोप लगाया था कि वे बिना सीनियर्स की अनुमति या सूचना के सरकारी अस्पताल के स्टोर से ऑक्सीजन सिलेंडर अपने नर्सिंग होम ले गए थे, और उन्होंने अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से बिगड़ते हालात की जानकारी किसी को नहीं दी थी, नतीजतन बीआरडी अस्पताल के शिशु रोग विभाग में कई बच्चों की मौत हो गई थी।

इसके बाद डॉ कफील खान को गिरफ्तार कर 7 महीने जेल में रखा गया। उन पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया, जिनमें गैर इरादतन हत्या का मामला भी था। पिछले साल अप्रैल में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी।

जमानत पर रिहा होने के बाद डॉ कफील ने बच्चों की मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। उनका आरोप था कि उन्हें और उनके परिवार को बिना किसी कारण के निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा था, “मेरी और मेरे परिवार की जिंदगी नर्क बनाने के लिए सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है। ये सबकुछ सरकार के इशारे पर हुआ था। अगस्त 2017 में बीआरडी अस्पातल में जो कुछ हुआ वह नरसंहार के सिवा कुछ नहीं था, क्योंकि जो लोग इसके लिए जिम्मेदार थे उन्हें बीते 6 माह से हालात की जानकारी थी कि अस्पताल को ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का बकाया भुगतान नहीं किया गया है।” जमानत पर रिहा होने के बाद भी डॉ कफील खान सस्पेंड ही थे। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी।


इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर डॉ कफील का निलंबन रद्द करने और उनके खिलाफ दर्ज मामले रद्द करने की मांग की थी। आईएमए ने कहा था कि, “अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी सप्लाई कंपनी को भुगतान न किए जाने के कारण हुई थी। फिर भी डॉ कफील को इसका जिम्मेदार माना गया जबकि उन्होंने हालात को काबू में करने के लिए अपने पास से ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे थे, और इससे कई बच्चों की जान बची थी।”

एक आरटीआई से यह जानकारी भी सामने आई थी कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 10 से 12 अगस्त 2017 के दौरान करीब 54 घंटे तक ऑक्सीजन की कमी थी और इस दौरान डॉ कफील ने अपने स्तर से ऑक्सीजन के बड़े सिलेंडर का इंतजाम किया था। यह तथ्य सरकार ने भी माना था। इस मामले की विभागीय जांच में भी डॉ कफील की कोई गलती सामने नहीं आई थी।

(विश्वजीत के इनपुट के साथ)

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Published: 27 Sep 2019, 2:29 PM