गोरखपुर उपचुनाव: सीएम योगी के करीबी हैं गोरखपुर के विवादित डीएम, बीजेपी के पिछड़ने पर रोका नतीजों का ऐलान
गोरखपुर लोकसभा सीट योगी आदित्यनाथ के नाक का सवाल है। वह किसी कीमत पर इसे नहीं खोना चाहते हैं। लेकिन लगता है कि उनकी इस चाहत को पूरा करने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन ने अपने कंधों पर ले रखी है।
उत्तर प्रदेश की गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के वोटों की गिनती जारी है। गोरखपुर राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ माना जाता है और वह यहीं से सांसद रहे हैं। इसीलिए ये सीट उनकी नाक का सवाल बन गया है और वह किसी भी कीमत पर इस सीट को खोना नहीं चाहते हैं। लेकिन लगता है कि उनकी इस चाहत को पूरा करने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन ने अपने कंधों पर ले रखी है।
खबरों के मुताबिक, गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के वोटों की गिनती शुरू होते ही प्रशासन का दखल शुरू हो गया। दूसरे राउंड की गिनती के बाद जैसे ही बीजेपी पिछड़ी तो जिले के डीएम राजीव रौतेला ने नतीजों की घोषणा पर ही रोक लगा दी। यहीं नहीं इसके साथ डीएम ने वहां मौजूद सभी पत्रकारों को भी मतगणना केंद्र से बाहर कर दिया और नतीजों की रिपोर्टिंग पर रोक लगा दी। बताया जा रहा है कि गोरखपुर में इस समय 12 से ज्यादा राउंड की गिनती पूरी हो चुकी है, लेकिन नतीजों की घोषणा नहीं की जा रही है। राजनीतिक दलों और पत्रकारों के हंगामा करने और चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इसकी जानकारी देने के बाद भी डीएम ने सिर्फ चार राउंड के नतीजों की ही घोषणा की ।
हालांकि, मतगणना केंद्र पर मौजूद डीएम राजीव रौतेला ने आरोपों से इनकार करते हुए धीमी मतगणना को इसकी वजह बताया और कहा कि पर्यवेक्षक के साइन नहीं करने की वजह से नतीजे नहीं घोषित किए जा सके हैं। उनका कहना है कि जानकारी देने के लिए पर्यवेक्षक का इंतजार किया जा रहा है।
स्थानीय पत्रकारों के अनुसार प्रशासन मतगणना के नतीजों की सूचना मीडिया को देने से बच रहा है और साथ ही उसे अंदर भी नहीं जाने दिया जा रहा है। गोरखपुर डीएम के इस व्यवहार पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट कर इसे शर्मनाक बताया है। उन्होंने लिखा, गोरखपुर में मतगणना के नतीजों की घोषणा पर रोक लगाना और मीडिया को बाहर निकालना गोरखपुर के डीएम की शर्मनाक कार्रवाई है। डीएम को संबोधित करते हुए सरदेसाई ने आगे लिखा, भगवान के लिए ! सर, आप सरकारी नौकर हैं, ना कि किसी राजनीतिक दल के प्रतिनिधी।
इस घटना की शिकायत करते हुए समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने राज्य के मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि लोगों और मीडिया को गोरखपुर मतगणना केंद्र से बाहर कर दिया गया है। डीएम और जिला प्रशासन बीजेपी को जीताने के लिए काम कर रहा है।
वहीं, इस घटना को लेकर राज्य विधानसभा में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार अवैध तरीके से नतीजों को प्रभावित करने का प्रयास कर रही है। विपक्ष के हंगामे पर विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। इससे पहले समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार प्रवीण कुमार निशाद ने मतगणना के लिए लाई गई इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर सवाल खड़े करते हुए आरोप लगाया था कि ईवीएम बदल दिए गए हैं। हालांकि, उन्होंने अपनी जीत को सुनिश्चित बताया था।
इस घटनाक्रम के केंद्र में रहे गोरखपुर के डीएम राजीव रौतेला को सीएम योगी आदित्यनाथ का बेहद करीबी माना जाता है। रौतेला मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं, जहां से खुद सीएम योगी आदित्यनाथ आते हैं। पिछले वर्ष गोरखपुर में के बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई बच्चों की मौत के समय भी रौतेला यहीं तैनात थे। पूरे देश को हिलाकर रख देने वाली इस घटना के बाद कई डॉक्टरों समेत कुछ अधिकारियों पर भी कार्रवाई हुई थी, लेकिन उस समय भी रौतेला के पद पर कोई आंच नहीं आई थी।
यही नहीं रौतेला का विवादों से पहले से चोली दामन का साथ रहा है। उनका नाम अवैध खनन के मामले में भी विवादों में आ चुका है, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें निलंबित करने का आदेश दिया था। दिसंबर 2017 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर के डीएम राजीव रौतेला और कानपुर देहात के डीएम राकेश कुमार सिंह को निलंबित करने का आदेश दिया था। यह निलंबन अवैध खनन मामले के संबंध में किया गया था। दोनों पर रामपुर में नियुक्ति के दौरान अवैध खनन रोकने के हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने का आरोप है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दिलीप बी भोसले और न्यायाधीश एमके गुप्ता की पीठ ने मुख्य सचिव को आदेश देते हुए कहा था कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ फौरन कार्रवाई की जाए।
लेकिन हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बावजूद सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार ने गोरखपुर के डीएम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। रौतेला तमाम आरोपों और विवादों के बावजूद गोरखपुर में लगातार बने हुए हैं। कहा जाता है कि सीएम योगी आदित्यनाथ का बेहद करीबी होने की वजह से उन्हें गोरखपुर में तैनात किया गया है।
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