उत्तराखंड में अभी टला नहीं है खतरा! ग्लेशियर टूटने के बाद मलबे ने रोका नदी का वेग, झील में भरा पानी, मच सकती है तबाही
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऋषिगंगा नदी पर ग्लेशियर टूटने के बाद कई झील बन गईं हैं जिसमें लाखों क्यूरेक पानी भर गया है। बीच-बीच में जब ये चट्टाने खिसकती हैं तो पानी नदी में आता है। ये एक ऐसी स्थिति जहां झील का पानी अचानक नदी में आया तो भारी तबाही मच सकती है।
उत्तराखंड के चमोली में बीते रविवार को आई त्रासदी में अब तक 25 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 100 से ज्यादा लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। जिनकी तलाश जारी है। उधर, चमोली के तपोवन में टनल में 30 से ज्यााद लोग फंसे हैं। रेस्क्यू टीम की ओर से जिंदगियों को बचाने की जंग अभी भी लड़ी जा रही है। इस दौरान उन्हें कई तरह की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है।
इस बीच खबर है कि ऋषिगंगा नदी पर ग्लेशियर टूटने के बाद कई झील बन गईं हैं जिसमें लाखों क्यूरेक पानी भर गया है। बीच-बीच में जब ये चट्टाने खिसकती हैं तो पानी नदी में आता है। ये एक ऐसी स्थिति जहां झील का पानी अचानक नदी में आया तो भारी तबाही मच सकती है। हिंदी न्यूज वेबसाइट आजतक के मुताबिक मुहाना कभी भी फट सकता है या खुल सकता है, फिर भारी तबाही मच सकती है। आज तक ने बताया है कि खुद आईटीबीपी ने भी एरियल सर्वे किया है।
सैटेलाइट इमेज और ग्राउंड जीरो से मिल रही एक्सपर्ट रिपोर्ट्स में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि मलबे के कारण नदी के पानी का बहाव रुक गया है। इससे पानी एक जगह जमा होकर झील का रूप लेता जा रहा है। अगर यह झील टूटी, तो फिर भयानक बाढ़ आ सकती है। चमोली की घटना ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है। जिस जगह से ग्लेशियर टूटा, अब वहां मलबे के कारण ऋषिगंगा नदी के पानी का बहाव रुक गया है। इससे एक झील बनती जा रही है। अगर भविष्य में यह झील फूटी, तो फिर विनाश आएगा। जिस जगह पर यह ग्लेशियर टूटा था, वो हिमालय का ऊपरी हिस्सा है। इसे रौंटी पीक के नाम से जाना जाता है।
बता दें कि 7 फरवरी यानी रविवार की सुबह करीब 10 बजे समुद्र तल से करीब 5600 मीटर की ऊंचाई पर 14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का ग्लेशियर टूटकर गिर गया था। इससे धौलीगंगा और ऋषिगंगा में बाढ़ की स्थिति बन गई। गुरुवार को फिर ऋषिगंगा का जलस्तर बढ़ने से तपोवन में रेस्क्यू का काम रोकना पड़ा था। वहीं NTPC की टनल में इतना मलबा भरा हुआ है कि उसे निकालने में काफी वक्त लग रहा है। टनल में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में आर्मी, ITBP, NDRF और SDRF की टीमें जुटी हुई हैं। बता दें कि यह टनल करीब ढाई किलोमीटर है। इसमें मलबा भरा हुआ है।
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