उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफाइड उत्पादों पर बैन के बाद एक्शन में FSDA, कई जगहों पर छापेमारी
जमीयत उलेमा-ए-हिन्द हलाल ट्रस्ट के सीईओ नियाज ए फारूकी ने कार्रवाई की निंदा की और इसे पूरी तरह से गलत बताया है। उन्होंने कहा कि हलाल ट्रस्ट का प्रमाण पत्र नियमों के तहत दिया जाता है और सिर्फ निर्यात के लिए होता है।
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा हलाल सर्टिफाइड उत्पादों पर बैन लगाने के बाद खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीमें हरकत में आ गई हैं। एफएसडीए की चार टीमों ने सोमवार को पांच इलाकों में 10 दुकानों और स्टोर पर छापेमारी की। हलाल इस दौरान सर्टिफिकेशन के उत्पाद की बिक्री या स्टॉक नहीं पाया गया। अधिकारियों के मुताबिक, आज भी छापेमारी जारी रहेगी।
एफएसडीए के सहायक आयुक्त एसपी सिंह ने बताया कि लखनऊ के अलग-अलग इलाकों में दोपहर 12 बजे से छापेमारी शुरू की गई और शाम 4 बजे तक जारी रही। इस दौरान गोमतीनगर, अलीगंज, हजरतगंज, नरही और विकासनगर में छापेमारी की गई। गोमतीनगर के स्पेंसर फन मॉल, बर्नवाल जनरल स्टोर, अपना मेगा मार्ट, द न्यू रिटेल शॉप और अलीगंज के पप्पू स्टोर समेत कई जगहों पर छापेमारी की गी। जांच टीम ने स्टोर संचालकों को हलाल सर्टिफिकेशन के उत्पादों की बिक्री नहीं करने के भी निर्देश दिए।
उधर, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द हलाल ट्रस्ट के सीईओ नियाज ए फारूकी ने कार्रवाई की निंदा की और इसे पूरी तरह से गलत बताया है। उन्होंने कहा कि हलाल ट्रस्ट का प्रमाण पत्र नियमों के तहत दिया जाता है और सिर्फ निर्यात के लिए होता है। विदेश में खासतौर पर मुस्लिम देशों में उत्पाद निर्यात करने वाली कंपनियां प्रमाण पत्र लेती हैं। मलयेशिया चीनी निर्यात करने वाली चीनी मिलें भी हलाल प्रमाण पत्र लेती हैं। उन्होंने कहा कि हम इस मामले को अदालत में ले जाएंगे।
वहीं, पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने यूपी में हलाल सर्टिफिकेशन को बैन करने को लेकर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से शिकायत की है। शिकायत में कहा है कि राज्य सरकार का आदेश प्रथम दृष्टया विधि सम्मत नहीं दिखता है। यह सही है कि खाद्य पदार्थ, औषधि, चिकित्सा सामग्री, प्रसाधन से जुड़े कानून में अलग से हलाल सर्टिफिकेशन की व्यवस्था नहीं है। लेकिन, इसका यह मतलब नहीं है कि अगर कोई व्यक्ति हलाल सर्टिफिकेशन लिखता या लगाता है तो गैरकानूनी करते हुए उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।
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